उत्तर प्रदेश में बलरामपुर ज़िले के सीएमओ ने बताया कि इस संबंध में नगर कोतवाली में मामला दर्ज करा दिया गया है. इसकी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि शव सिद्धार्थनगर ज़िले के शोहरतगढ़ के रहने वाले प्रेम नाथ मिश्र का है और 28 मई को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी.
बलरामपुर (यूपी): उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में राप्ती नदी में कोविड संक्रमित एक व्यक्ति का शव फेंकने का वीडियो सामने आया है, जिसके बाद इस संबंध में केस दर्ज कर लिया गया है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. विजय बहादुर सिंह ने रविवार को बताया कि राप्ती नदी में फेंका जा रहा शव सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ़ के रहने वाले प्रेम नाथ मिश्र का है.
उन्होंने बताया कि 25 मई को कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 28 मई को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी.
सीएमओ ने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत प्रेम नाथ मिश्र के शव को उनके परिजनों को सौंप दिया गया था.
उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो में शव को राप्ती नदी में फेकते हुए देखा गया है और इस संबंध में कोतवाली नगर में मामला दर्ज करा दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है.
वायरल वीडियो में दो युवक एक शव को पुल से राप्ती नदी में फेंकते हुए नजर आ रहे हैं. शव फेंकने वाले दोनों युवकों में से एक पीपीई किट पहने नजर आ रहा है. घटना कोतवाली नगर क्षेत्र के राप्ती नदी पर बने सिसई घाट पुल की बताई जा रही है.
वीडियो वायरल होने के बाद नगर कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया है.
ये 'कूड़ा' नही, नदी में लाश फेंकी जा रही है,
तस्वीरें 'उत्तम-प्रदेश' के बलरामपुर की है…— Srinivas BV (@srinivasiyc) May 30, 2021
बता दें कि बीते दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा और इसकी सहायक नदियों में बड़ी संख्या में संदिग्ध कोरोना संक्रमितों के शव तैरते हुए मिले थे. बीते 10 मई को उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे बिहार में बक्सर जिले के चौसा के समीप गंगा नदी से 71 शवों को निकाला गया था.
इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 2000 से अधिक शव आधे-अधूरे तरीके या जल्दबाजी में दफनाए गए या गंगा किनारे पर मिले हैं.
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, मई महीने के दूसरे सप्ताह में अकेले उन्नाव में 900 से अधिक शवों को नदी के किनारे दफनाया गया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि कन्नौज में यह संख्या 350, कानपुर में 400, गाजीपुर में 280 बताई थी. इसके अनुसार, मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे शवों की संख्या लगातार बढ़ रही थी.
इसके बाद केंद्र ने इन दोनों राज्यों से कहा था कि शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने पर रोक लगाई जाए. साथ ही उनके सुरक्षित और सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर जोर दिया जाए.
हालांकि, 15 मई को केंद्र सरकार के साथ हुई एक बैठक में यूपी सरकार ने कहा कि प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में शवों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा रही है.
इससे पहले नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) ने सभी 59 जिला गंगा समितियों को एडवाइजरी जारी कर नदी में बह रहे शवों की समस्या के निपटान के लिए आवश्यक कदम उठाने और इससे संबंधित रिपोर्ट 14 दिनों के भीतर पेश करने को कहा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)