कोविड-19 महामारी के बीच मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर गए

अपनी छह सूत्रीय मांगों लेकर जूनियर डॉक्टर बीते 6 मई को भी हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिए जाने के बाद उसी दिन हड़ताल वापस ले ली गई थी. मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि 24 दिन पहले उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था, लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.

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हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टर्स (फोटो: ट्विटर @JDAMgmIndore)

अपनी छह सूत्रीय मांगों लेकर जूनियर डॉक्टर बीते 6 मई को भी हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिए जाने के बाद उसी दिन हड़ताल वापस ले ली गई थी. मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि 24 दिन पहले उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था, लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.

हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टर्स (फोटो: ट्विटर @JDAMgmIndore)
हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टर्स (फोटो: ट्विटर @JDAMgmIndore)

भोपाल: मध्य प्रदेश में महामारी के दौरान करीब तीन हजार जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर चले गए. जूनियर डॉक्टर सरकार से मुख्य तौर पर उनका मानदेय बढ़ाने और कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें और उनके परिवार के लिए मुफ्त इलाज की मांग कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया कि प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध जूडा के सदस्य सोमवार से हड़ताल पर हैं. इसके तहत जूनियर डॉक्टर आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी), इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) तथा स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के अन्य वार्डों में काम नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘यदि आज शाम तक सरकार की ओर से हमारी मांगों पर लिखित आदेश जारी नहीं किया जाता है तो कल एक जून से हम प्रदेशभर में कोविड-19 ड्यूटी भी बंद करने के लिए विवश होंगे.’

उन्होंने बताया कि उनकी छह मांगें हैं. इनमें मानदेय में बढ़ोतरी, कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों व उनके परिजन के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था, तथा कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त करना आदि शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि जूडा में प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों के लगभग तीन हजार सदस्य शामिल हैं.

इससे पहले जूनियर डॉक्टर बीते 6 मई को हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिए जाने के कुछ घंटे बाद हड़ताल वापस ले लिया था.

मीणा ने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने 24 दिन पहले उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘प्रदेश सरकार हमारी मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आदेश जारी करे.’

दैनिक भास्कर के मुताबिक चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर कहा कि कोरोना के समय में हड़ताल करना ठीक नहीं है. पीड़ितों को डॉक्टर्स की जरूरत है. जूडा की चार मांगें मानी गई हैं. स्टाइपेंड बढ़ाने की प्रक्रिया भी जारी है. डॉक्टर्स हठधर्मिता कर रहे हैं.

वहीं, विदिशा जिले में पूर्व से लंबित सात सूत्रीय मांगों को लेकर आशा, उषा व आशा सहयोगिनी मंगलवार से हड़ताल पर जा रही हैं. वे अपनी मांगों पर अमल नहीं होने पर आशा एवं सहयोगी कार्यकताएं अनिश्चित कालीन हड़ताल पर रहेंगी.

इस सबंध में आशा, ऊषा एवं आशा सहयोगनी संघ ने सोमवार को कलेक्टोरेट सहित, सीएमएचओ, एसपी कार्यालय में हड़ताल संबंधी सूचना पत्र दिया है. हड़ताल की वजह से जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक असर पड़ने की आशंका है.

जिला अध्यक्ष सीमा रघुवंशी ने बताया कि 2005 से एनएचएम के तहत कार्य कर रही आशा एवं सहयोगनी कार्यकताएं कोविड के दौर में भी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रही हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)