गुजरात सरकार जबरन धर्म परिवर्तन के ख़िलाफ़ 15 जून से लागू करेगी विधेयक

गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की क़ैद की सज़ा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में इसी तरह के क़ानून पहले से ही प्रभावी हैं.

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विजय रूपाणी. (फोटो: पीटीआई)

गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की क़ैद की सज़ा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में इसी तरह के क़ानून पहले से ही प्रभावी हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी. (फोटो: पीटीआई)
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी. (फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात सरकार ने गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021 को 15 जून से लागू करने का निर्णय लिया है. इसके तहत शादी के जरिये जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर सख्त सजा का प्रावधान रखा गया है.

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने विधेयक को लागू करने का निर्णय लिया है. 15 जून से यह विधेयक कानून बन जाएगा.

इस विधेयक को राज्य विधानसभा ने बीते एक अप्रैल को बहुमत से पारित किया था और इसे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मई में मंजूरी दे दी थी.

सरकार के अनुसार, गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021 के जरिये धर्म परिवर्तन कराने के उद्देश्य से महिलाओं को शादी के जाल में फंसाने के उभरते चलन पर रोक लगाई जाएगी.

इस विधेयक के माध्यम से 2003 के कानून में संशोधन किया गया है, जिसमें जबरदस्ती या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने पर सजा का प्रावधान है.

संशोधन के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

यदि पीड़ित नाबालिग, महिला, दलित या आदिवासी है तो दोषी को चार से सात साल तक की सजा सुनाई जा सकती है और कम से कम तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

यदि कोई संगठन कानून का उल्लंघन करता है तो प्रभारी व्यक्ति को न्यूनतम तीन वर्ष और अधिकतम दस वर्ष तक की कैद की सजा दी जा सकती है.

मालूम हो कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने धर्मांतरण को रोकने के लिए अपने राज्यों में ऐसा कानून लागू किया है. पार्टी के नेता इसे लव जिहाद या शादी के माध्यम से हिंदू महिलाओं का धर्म परिवर्तन करने का षड्यंत्र बताते हैं.

पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने  ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंजूरी दी थी. इस अध्यादेश के तहत शादी के लिए छल-कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

इस साल जनवरी में मध्य प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 प्रदेश में लागू किया है. इसमें धमकी, लालच, जबरदस्ती अथवा धोखा देकर शादी के लिए धर्मांतरण कराने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है.

इस कानून के जरिये शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा दिसंबर में भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या शादी के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून को लागू किया था. इसका उल्लंघन करने के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)