बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरने वाले के. सुंदर ने हाल में आरोप लगाया था कि भाजपा द्वारा नामांकन वापस लेने के लिए उन्हें शुरू में तो धमकी दी गई, लेकिन बाद में 2.5 लाख रुपये की रिश्वत दी गई. हालांकि सुंदर के नामांकन वापस लेने के बावजूद प्रदेश भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन मंजेश्वर सीट से हार गए थे.
कासरगोड़/तिरुवनंतपुरम: केरल पुलिस ने प्रदेश भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन के खिलाफ हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कासरगोड़़ जिले के मंजेश्वर सीट से नामांकन वापस लेने के लिए के. सुंदर को धमकाने और रिश्वत देने के आरोप में बीते सोमवार को मामला दर्ज किया. केरल में छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव हुए थे.
पुलिस ने बताया कि मंजेश्वर सीट से सुरेंद्रन के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले माकपा उम्मीदवार वीवी रामेसन द्वारा दायर एक याचिका पर एक मजिस्ट्रेट अदालत के निर्देशों के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने बताया कि मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (बी) तथा (ई) के तहत दर्ज किया गया है, जो घूसखोरी से संबंधित है.
अदालत ने कहा है कि बिना वारंट के कोई गिरफ्तारी नहीं करनी चाहिए.
बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरने वाले के. सुंदर ने हाल में आरोप लगाया था कि भाजपा द्वारा नामांकन वापस लेने के लिए उन्हें शुरू में तो धमकी दी गई, लेकिन बाद में 2.5 लाख रुपये की रिश्वत दी गई.
उन्होंने आरोप लगाया था कि युवा मोर्चा के नेता और प्रदेश भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन के करीबी सुनील नाइक ने उन्हें पैसे और एक स्मार्ट फोन दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, के. सुंदर ने बताया कि कथित तौर पर उन्हें एक वाइन पार्लर और कर्नाटक में एक नया घर भी ऑफर किया गया था. इसके साथ ही उन्होंने नामांकन वापस लेने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की थी.
पुलिस ने के. सुंदर का बयान दर्ज किया, जिसमें दावा किया गया था कि स्थानीय भाजपा नेताओं ने उनका अपहरण कर लिया था, जिन्होंने कथित तौर पर उन्हें अपना नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया था.
के. सुंदर ने 21 मार्च को चुनावी दौड़ से हटने की घोषणा की थी. सुंदर के अनुसार, उस दिन प्रदेश युवा मोर्चा के पूर्व कोषाध्यक्ष सुनील नाइक कासरगोड़ के बडियादुक्का गांव में उनके घर आए थे.
सुनील ने फेसबुक पर के. सुंदर के चुनाव से नामांकन वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी. के. सुंदर बसपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन वापस लेने के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे.
के. सुंदर ने 2016 में चुनाव लड़ा था, लेकिन 2021 में सुरेंद्रन के समर्थन में नामांकन वापस ले लिया था. सुंदर को 2016 में 467 वोट मिले थे, जिस वजह से सुरेंद्रन यूडीएफ के उम्मीदवार से 89 वोट से हार गए थे. हालांकि, इस बार भी सुरेंद्रन चुनाव हार गए.
के. सुंदर के खुलासे पर कासरगोड़ पुलिस ने शुरुआती जांच की थी.
याचिका दायर करने वाले माकपा उम्मीदवार वीवी रामेसन इस चुनाव में जीतने वाले आयूएमएल के एकेएम अशरफ और दूसरे स्थान पर आने वाले सुरेंद्रन के बाद तीसरे स्थान पर आए थे.
भाजपा ने आरोपों को खारिज किया है और इसे पार्टी के खिलाफ एक साजिश बताया है.
दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश युवा मोर्चा के पूर्व कोषाध्यक्ष सुनील नाइक कोझीकोड के रहने वाले हैं और उनका नाम राज्य में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बुए 3.5 करोड़ रुपये की राजमार्ग डकैती में आया है. इस मामले की कथित हवाला केस के रूप में पुलिस जांच कर रही है.
सुनील ने पुलिस को बताया था कि उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता एके धर्मराजन को रियल एस्टेट में निवेश के लिए 25 लाख रुपये का भुगतान किया था.
धर्मराजन ने दावा किया था कि डकैती में उसे केवल 25 लाख रुपये का नुकसान हुआ था, लेकिन पुलिस ने अब तक 1 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है.
जांच खत्म करने के लिए कहीं भाजपा और माकपा समझौता तो नहीं कर लेंगे: कांग्रेस
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को कहा कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व से कथित रूप से जुड़े कोडकारा हवाला लूट कांड की जांच का ब्योरा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दिया गया है, क्योंकि उसने यह मांगा था.
विजयन ने विधानसभा में इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि ईडी ने 27 मई को ब्योरा मांगा था और पुलिस ने एक जून को ही वह उसे सौंप दिया.
हालांकि इस हवाला लूट कांड से सदन में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन और विजयन के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया. कांग्रेस नेता सतीशन ने सवाल किया कि क्या वाम मोर्चा सरकार की भाजपा के पक्ष में मामले के साथ समझौते करने की योजना है.
हालांकि विजयन ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी पार्टी का भाजपा के साथ समझौता करने की इतिहास नहीं रहा है और सभी अपराधी कानून के कठघरे में खड़े किए जाएंगे.
सतीशन ने कहा, ‘हमें शक है कि पुलिस और वाममोर्चा सरकार ने केरल में भाजपा नेताओं की शह पर कालेधन के स्रोत एवं फंडिंग की प्रभावी तरीके से जांच की भी है या नहीं. इससे पहले केंद्रीय जांच एजेंसियों ने चुनाव से बस पहले सोने की तस्करी के मामले को लेकर केरल में जांच करीब करीब खत्म कर दी. हमें शक है कि कहीं आप दोनों कोई समझौता तो नहीं कर लेंगे.’
कांग्रेस विधायक शफी पराम्बिल ने यह स्थगन प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव के दौरान कालाधन झोंककर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को तहस-नहस करने का प्रयास कर रही है और उन्होंने पुलिस से निष्पक्ष तरीके से जांच करने को कहा.
विजयन ने विपक्षी कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, ‘हम सभी जानते है कि समझौता करने में कौन माहिर है. कांग्रेस पार्टी ने ही प्रवीण तोगड़िया के विरूद्ध मामले वापस लिए थे. हम चिंतिंत नहीं हैं. हम आपकी राजनीति के विद्यालय से नहीं हैं. हम समझौता नहीं करेंगे.’
ओम्मन चांडी सरकार ने 2014 में विश्व हिंद परिषद के नेता तोगड़िया के विरूद्ध आठ जुलाई, 2003 में उनके द्वारा कोझिकोड में दिए गए भाषण को लेकर दर्ज मामला वापस ले लिया था.
विजयन ने कहा, ‘हम अपराधियों को कानून से बचकर नहीं जाने देंगे.’
हवाला प्रकरण का जिक्र करते उन्होंने कहा कि एक शिकायत दर्ज कराई गई कि एक गिरोह ने शमजीर की कार पर हमला किया और 25 लाख रुपये लेकर चंपत हो गया. लेकिन पुलिस ने पैसे देने वाले व्यक्ति धरमराजन से जब पूछताछ की तब उसने बताया कि कार में साढ़े तीन करोड़ रुपये थे.
मुख्यमंत्री ने बताया कि पुलिस ने भादंसं की संबंधित धाराएं लगाई गई है और 96 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं तथा 20 लोगों को गिरफ्तार किया है. विजयन के अनुसार, 3.5 करोड़ रुपये में से 10,112,001 रुपये और 347 ग्राम सोना बरामद किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केरल में विधानसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के लिए एक बड़ा झटका थे, क्योंकि वह राज्य में अपनी एकमात्र सीट बरकरार रखने में भी विफल रही थी.
इसके तुरंत बाद राज्य के नेताओं ने कथित तौर पर प्रतिद्वंद्वियों और सहयोगियों के साथ किए गए चुनाव पूर्व नकद सौदों के बारे में रिपोर्ट करना शुरू कर दिया. जिसमें मध्य केरल में 3.5 करोड़ रुपये की एक राजमार्ग डकैती भी शामिल थी, जिसमें जांच ने भाजपा नेताओं की संभावित संलिप्तता की ओर इशारा किया है.
आरएसएस कार्यकर्ता एके धर्मराजन ने एक बयान में दावा किया था कि बीते तीन अप्रैल को त्रिशूर और एर्णाकुलम के बीच राजमार्ग पर उनके 25 लाख रुपये गायब हो गए थे. पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की तो मामले में और भी धनराशि का पता चला और संदेह हुआ कि यह हवाला से संबंधित मामला हो सकता है.
जांच के दौरान यह पता चला कि लूटी गई राशि 3.5 करोड़ रुपये से अधिक की थी और कथित तौर पर भाजपा के चुनावी खर्च के उपयोग के लिए थी.
केरल पुलिस अब भाजपा और आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं से उस नकदी के बारे में पूछताछ कर रही है, जो मतदान से तीन दिन पहले कथित तौर पर चोरी हो गई थी. नकदी के स्रोत और लूट के दावे की भी जांच की जा रही है.
इस मामले के सामने आने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने केरल इकाई को मुहैया कराए गए चुनावी फंड के वितरण और उनके इस्तेमाल पर एक रिपोर्ट जमा करने के लिए एक तीन सदस्यीय ‘स्वतंत्र’ समिति से कहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)