कार्बी-आंगलोंग प्रादेशिक परिषद के तहत भूमि हस्तांतरण स्वीकार्य नहीं: एनएससीएन-आईएम

नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त प्रादेशिक परिषद को अंतिम रूप देने की केंद्र और असम सरकार की प्रस्तावित योजना को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि यह असम में रेंगमा नगाओं की पैतृक भूमि को अलग करती है. उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत सरकार और उनके संगठन के बीच हुई नगा शांति वार्ता का महत्वपूर्ण एजेंडा भी है, जिस पर अंतिम निर्णय लंबित है.

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एनएससीएन-आईएम प्रमुख टी. मुइवाह. (फाइल फोटो: द वायर)

नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त प्रादेशिक परिषद को अंतिम रूप देने की केंद्र और असम सरकार की प्रस्तावित योजना को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि यह असम में रेंगमा नगाओं की पैतृक भूमि को अलग करती है. उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत सरकार और उनके संगठन के बीच हुई नगा शांति वार्ता का महत्वपूर्ण एजेंडा भी है, जिस पर अंतिम निर्णय लंबित है.

एनएससीएन-आईएम प्रमुख टी. मुइवाह. (फोटो: द वायर)
एनएससीएन-आईएम प्रमुख टी. मुइवाह. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: प्रभावशाली नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने कहा है कि कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त प्रादेशिक परिषद को अंतिम रूप देने के लिए भारत सरकार और असम की प्रस्तावित योजना स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह असम में रेंगमा नगाओं की पैतृक भूमि को अलग करती है.

एक बयान में नगा संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक मुइवाह (एनएससीएन-आईएम) ने कहा कि कार्बी आंगलोंग में कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद (केएएटीसी) बनाने का प्रस्ताव छह विद्रोही संगठनों- कार्बी लोंगरी नॉर्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट (केएलएनएलएफ), पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल कार्बी लोंगरी (पीडीसीकेएल), यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (यूपीएलए) और कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर (केपीएलटी) के तीन धड़े को खुश करने के का एक समझौता है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्होंने कहा कि किसी भी प्राधिकरण को रेंगमा नगाओं के हितों को खत्म करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, जो विवादित प्रस्ताव के तहत भूमि के वैध मालिक हैं.

एनएससीएन-आईएम ने जोर देकर कहा कि कार्बी आंगलोंग, जिसे पहले रेंगमा हिल्स के नाम से जाना जाता था, निहित स्वार्थों के चलते बाहरी लोगों के आक्रामक आवाजाही का शिकार है. फिर भी, मिट्टी के सच्चे सपूतों के रूप में उनकी ऐतिहासिक स्थिति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है.

संगठन ने कहा कि इसी कारण से रेंगमा नगाओं का अहोमों और ब्रिटिश शासकों के साथ एक गौरवशाली इतिहास रहा है. इसके अलावा उन्होंने याद दिलाया कि असम में रेंगमा मुद्दा भारत-नगा राजनीतिक वार्ता के महत्वपूर्ण एजेंडा में से एक है, जो अंतिम निर्णय के लिए लंबित है.

संगठन ने कहा, ‘नगा राजनीतिक आंदोलन कुल मिलाकर इसकी भूमि और इसके लोगों के बारे में है, क्योंकि भूमि ही आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक शक्ति और लोगों के पहचान को दर्शाती है. नगा लोगों ने आंदोलन के दौरान अनगिनत जानें कुर्बान की थीं.’

प्रस्तावित केएएटीसी के आलोक में संवेदनशील स्थिति को देखते हुए, एनएससीएन ने कहा कि वह नगा पैतृक भूमि के हस्तांतरण को स्वीकार नहीं करेगा. यह भारत-नगा राजनीतिक वार्ता की भावना को कम करने के समान है.

असम में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने बीते मई महीने में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) और नॉर्थ कछार हिल्स ऑटोनॉमस काउंसिल (एनसीएचएसी) को बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल जैसी क्षेत्रीय परिषदों में अपग्रेड करने का फैसला किया है.

केएएसी और एनसीएचएसी दोनों नगालैंड के साथ सीमा साझा करते हैं.

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