एबीपी गंगा में कार्यरत प्रतापगढ़ के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव ने शराब माफिया से धमकी मिलने का संकेत देते हुए इलाहाबाद पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी. पुलिस ने दावा किया है कि सोमवार की रात सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया समेत विपक्ष के नेताओं ने पुलिस के दावे पर सवाल उठाए हैं.
नई दिल्ली: विपक्षी नेताओं और भाजपा के एक सांसद ने बीती सोमवार की रात प्रतापगढ़ जिले में एक निजी समाचार चैनल के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत पर गंभीर सवाल उठाए है.
बीते दिनों शराब माफिया के विरुद्ध खबर चलाने वाले पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव ने 12 जून को इलाहाबाद के अपर पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की थी.
पत्रकार की मौत पर सवाल उठाने वालों में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ प्रतापगढ़ के भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता भी शामिल हैं.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए ट्वीट किया, ‘प्रतापगढ़ में एक कथित हादसे में एक टीवी पत्रकार की संदिग्ध मौत बेहद दुखद है. भावभीनी श्रद्धांजलि! भाजपा सरकार इस मामले में एक उच्च स्तरीय जांच बैठाकर परिजन और जनता को ये बताए कि पत्रकार द्वारा शराब माफिया के हाथों हत्या की आशंका जताने के बाद भी उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी गयी.’
प्रतापगढ़ में एक कथित हादसे में एक टीवी पत्रकार की संदिग्ध मौत बेहद दुखद है। भावभीनी श्रद्धांजलि!
भाजपा सरकार इस मामले में एक उच्च स्तरीय जाँच बैठाकर परिजन और जनता को ये बताए कि पत्रकार द्वारा शराब माफिया के हाथों हत्या की आशंका जताने के बाद भी उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी गयी।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 14, 2021
मायावती ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘यूपी में शराब माफियाओं आदि का आतंक किसी से भी छिपा हुआ नहीं है, जिनके काले कारनामों को उजागर करने पर ताजा घटना में प्रतापगढ़ जिले के टीवी पत्रकार की नृशंस हत्या अति-दुःखद है. सरकार घटना की अविलम्ब, निष्पक्ष व विश्वसनीय जांच कराकर दोषियों को सख्त सजा सुनिश्चित करे, बीएसपी की यह मांग है.’
यूपी में शराब माफियाओं आदि का आतंक किसी से भी छिपा हुआ नहीं है, जिनके काले कारनामों को उजागर करने पर ताजा घटना में प्रतापगढ़ जिले के टीवी पत्रकार की नृशंस हत्या अति-दुःखद। सरकार घटना की अविलम्ब निष्पक्ष व विश्वसनीय जाँच कराकर दोषियों को सख्त सजा सुनिश्चित करे, बीएसपी की माँग।
— Mayawati (@Mayawati) June 15, 2021
प्रियंका ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा, ‘12 जून को सुलभ श्रीवास्तव ने एडीजी (प्रयागराज जोन) को लिखे पत्र में बताया था कि स्थानीय शराब माफिया अवैध शराब पर उनकी खबर से नाराज हैं और उन्हें अपनी और अपने परिवार की सलामती की चिंता है. प्रशासन को पत्र भेजे जाने के एक दिन बाद ही संदिग्ध हालात में वह मृत पाए गए.’
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका ने कहा कि सुलभ श्रीवास्तव के परिजन एवं पत्रकार साथियों ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने तथा सच सामने लाने की मांग की है.’
प्रियंका ने दावा किया, ‘प्रदेश में कई जगहों से जहरीली शराब से मौत होने की खबरें आई हैं. अलीगढ़ से लेकर प्रतापगढ़ तक जहरीली शराब के चलते सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो चुकी है. ऐसे में एक पत्रकार द्वारा खबरें दिखाने को लेकर शराब माफ़ियाओं से ख़तरा होने की आशंका बताती है कि प्रदेश में कानून के राज का इक़बाल खत्म हो चुका है.’
उन्होंने कहा, ‘इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. प्रदेश भर जड़ जमा चुके शराब माफिया एवं प्रशासन के गठजोड़ पर कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही पीड़ित परिवार और मृतक के आश्रितों को तुरंत आर्थिक मदद दी जाए.’
उप्र के प्रतापगढ़ में पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के साथ घटी दुखद घटना दिखाती है कि कानून के राज का इकबाल खत्म हो गया है।
जरूरी है कि:
मामले की CBI जांच हो, परिवार को आर्थिक सहायता मिले एवं शराब माफियाओं व प्रशासन के गठजोड़ पर निर्णायक चोट की जाए।
मुख्यमंत्री जी को मेरा पत्र। pic.twitter.com/z8MOMOJTme
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 15, 2021
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘उत्तर प्रदेश में एबीपी पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के निधन पर स्तब्ध हूं. यह देखकर दुख होता है कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता हमारे लोकाचार का हिस्सा होने के बावजूद, हम उन लोगों की जान बचाने में असमर्थ हैं जो सच्चाई को सामने लाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.’
Shocked at the demise of ABP journalist Sulabh Srivastava in Uttar Pradesh.
Sad to see that despite "democracy & freedom" being a part of our ethos, we are unable to save lives who are working tirelessly towards unfolding the truth.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) June 14, 2021
वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद ने भी पत्रकार की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत को लेकर सवाल उठाया है.
प्रतापगढ़ से भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता ने ट्वीट कर कहा, ‘जनपद प्रतापगढ़ के एबीपी न्यूज गंगा के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव का कटरा रोड पर उनका शव मिला, पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव बीते दिनों शराब माफियाओं के खिलाफ बेबाकी से रिपोर्टिंग कवरेज की थी. ऐसे में अचानक उनका दुर्घटना के दौरान शव मिलना संदेह पैदा होता है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने सुलभ श्रीवास्तव को न्याय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी व अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी और अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल से उक्त घटना क्रम को अवगत कराते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही व परिजनों को आर्थिक सहायता की मांग की है.’
हमने सुलभ श्रीवास्तव को न्याय दिलाने के लिए मा0 मुख्यमंत्री @myogiadityanath जी व अपरमुख्यसचिव गृह श्री @AwasthiAwanishK अपर मुख्य सचिव सूचना श्री @navneetsehgal3 से उक्त घटना क्रम को अवगत करातेहुए दोषियों के खिलाफ कठोरसे कठोरकार्यवाही व परिजनों को आर्थिक सहायता की मांगकी है
2/3— Sangam Lal Gupta (@mpsangamlal) June 14, 2021
बता दें कि इससे पहले आप सांसद संजय सिंह ने भी श्रीवास्तव की मौत को हत्या करार देते हुए ट्वीट कर कहा, ‘शराब माफियाओं के खिलाफ खबर चलाने के कारण यूपी में एक पत्रकार की हत्त्या हो जाती है जबकि एक दिन पहले सुलभ जी ने एडीजी को पत्र लिखकर हत्त्या की आशंका जताई थी लेकिन सब सोते रहे.’
पत्रकार की मौत को दुर्घटना साबित करने में लगी यूपी पुलिस: एडिटर्स गिल्ड
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस पर एक टीवी पत्रकार की मौत को दुर्घटना साबित करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, जबकि उसने उन्हें अपनी जान खतरे में होने के बारे में सूचित किया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, गिल्ड ने एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस प्रतापगढ़ में सुलभ श्रीवास्तव की रहस्यमय मौत का जिस लापरवाह तरीके से जांच कर रही है, वह उससे स्तब्ध है.
गिल्ड ने आरोप लगाया, ‘पुलिस उनकी मौत को दुर्घटना के कारण बता रही है और दावा कर रही है कि उनकी बाइक एक हैंडपंप से टकरा गई थी.’
ईजीआई ने कहा कि पत्रकार की मौत ऐसे समय में हुई है जब मीडिया को केंद्र और राज्य सरकारों के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जो इस बात पर जोर देते हैं कि वे (पत्रकार) महामारी से निपटने के बारे में प्रशासन की आधिकारिक सूचना का पालन करें.
संगठन ने आगे कहा, ‘इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि पुलिस और स्थानीय अधिकारी उदारतापूर्वक और अनुचित रूप से देशद्रोह और यूएपीए जैसे कानूनों का उपयोग आरोप दायर करने और पत्रकारों को गिरफ्तार करने के लिए करते हैं.’
ईजीआई ने आगे कहा, ‘यह केदार नाथ सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले की भावना के खिलाफ है और हाल ही में विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह के मामले में दोहराया गया है.’
इसने आरोप लगाया कि सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और कार्टूनिस्टों को भी सोशल मीडिया पर निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि सरकार द्वारा इन प्लेटफार्मों पर ऐसे महत्वपूर्ण पत्रकारों को हटाने के लिए यह कहते हुए दबाव डाला जा रहा है कि वे देश के कानून का उल्लंघन कर रहे हैं.
ईजीआई ने आगे कहा, ‘यह सब उन प्रतिबद्धताओं के विपरीत है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी -7 शिखर सम्मेलन में लोकतंत्र, खुलेपन और सत्तावाद के खिलाफ की थी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)