भाजपा के केरल प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन पर आरोप है कि उन्होंने आदिवासी नेता तथा जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष सीके जानू को अप्रैल में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में वापस लाने के लिए 10 लाख रुपये का भुगतान किया था. इससे पहले सुरेंद्रन के ख़िलाफ़ मंजेश्वरम क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेने के लिए बसपा उम्मीदवार के. सुंदर को रिश्वत देने के आरोप में केस दर्ज किया था.
वायनाड: केरल के वायनाड की एक अदालत ने आदिवासी नेता तथा जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी (जेआरपी) की अध्यक्ष सीके जानू को छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में मन्नतवाड़ी सीट से एनडीए उम्मीदवार बनने के लिए रिश्वत देने सहित कई अन्य आरोप में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन और सीके जानू के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है.
सुरेंद्रन पर आरोप है कि उन्होंने जानू को अप्रैल में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में वापस लाने के लिए 10 लाख रुपये का भुगतान किया था.
हाल ही में सुरेंद्रन और जेआरपी नेता प्रसीता के बीच बातचीत के ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. बाद में उन्हें एक-एक करके जारी किया गया. हालांकि सुरेंद्रन और भाजपा ने आरोपों से इनकार किया है, लेकिन अदालत को प्रथमदृष्टया टेप की सत्यता के बारे में आश्वस्त किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वायनाड के कलपेट्टा स्थित प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की छात्र शाखा मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ) के राज्य अध्यक्ष पीके नवास द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया.
अदालत ने आदेश दिया कि आईपीसी की धारा 171बी (किसी भी व्यक्ति को किसी भी चुनावी अधिकार का प्रयोग करने के लिए उसे या किसी अन्य व्यक्ति को प्रेरित करने के उद्देश्य से लालच), आई-71 ई (रिश्वत) और 171-एफ (चुनाव में किसी पर अनुचित प्रभाव या व्यक्तित्व) के तहत मामला दर्ज किया जाए.
इससे पहले याचिकाकर्ता ने राज्य के पुलिस प्रमुख से संपर्क कर सुरेंद्रन और जानू के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी. मामला दर्ज नहीं होने पर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
इस महीने की शुरुआत में जेआरएस की राज्य कोषाध्यक्ष प्रसीता अझिकोड ने आरोप लगाया था कि जानू ने चुनाव से पहले एनडीए में लौटने के लिए सुरेंद्रन से 10 करोड़ रुपये की मांग की थी.
यह आरोप लगाया गया कि सुरेंद्रन ने अंतत: जानू को 10 लाख रुपये दिए, जिन्होंने बाद में वायनाड के सुल्तान बाथेरी से एनडीए के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.
सुरेंद्रन और प्रसीता अझिकोड के बीच कथित बातचीत का एक ऑडियो क्लिप भी प्रसारित किया गया, जिसमें सौदे का जिक्र था. जबकि सुरेंद्रन और जानू दोनों ने आरोपों से इनकार किया है, अझिकोड ने अपनी कथित बातचीत के और अधिक ऑडियो क्लिप जारी किए हैं.
एक ऑडियो क्लिप में सुरेंद्रन कथित तौर पर अझिकोड से पूछते हैं कि क्या जानू अपनी पार्टी के सहयोगी और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पीके कृष्ण दास को उनके सौदे के बारे में बताएंगे.
पिछले हफ्ते कासरगोड में पुलिस ने सुरेंद्रन के खिलाफ मंजेश्वरम विधानसभा क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेने के लिए बसपा उम्मीदवार के. सुंदर को कथित रूप से रिश्वत देने का मामला दर्ज किया था, जहां से सुरेंद्रन ने अप्रैल में विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे.
बाद में अपना नामांकन वापस लेने वाले और भाजपा में शामिल होने वाले सुंदर ने आरोप लगाया था कि उन्हें स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा 2.5 लाख रुपये का भुगतान किया गया था.
इस बीच त्रिशूर में पुलिस ने अदालत में बयान दिया है कि विधानसभा चुनाव से तीन दिन पहले हाईवे डकैती में लूटे गए पैसे भाजपा के हैं. पुलिस ने आरएसएस कार्यकर्ता एके धर्मराजन द्वारा दायर एक याचिका को चुनौती दी है, जिसने अब तक बरामद धन को जारी करने के लिए अदालत के निर्देश की मांग की थी.
जिस गाड़ी में से पैसे लूटे गए थे उसके ड्राइवर के अनुसार, पैसा धर्मराजन का था. जहां चालक ने अपनी शिकायत में कहा कि 25 लाख रुपये लूट लिए गए, वहीं पुलिस अब तक 1.25 करोड़ रुपये बरामद कर चुकी है. अपनी याचिका में धर्मराजन ने दावा किया कि उन्हें 3.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और यह पैसा उनका था.
पुलिस ने कहा कि पैसा भाजपा का था और कर्नाटक से लाया गया था, ताकि भाजपा अलाप्पुझा जिले के कोषाध्यक्ष केजी कार्थी को दिया जा सके. पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि धर्मराजन ने पैसे लाने के लिए हवाला का सहारा लिया.
अदालत 23 जून को धर्मराजन की याचिका पर विचार करने के लिए तैयार है.