सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि पारदर्शी वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है और इससे लोगों को लाभ होगा. संशोधित नियम के मुताबिक चैनलों पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम से परेशानी होने पर दर्शक उस संबंध में प्रसारक से लिखित शिकायत कर सकता है.
नई दिल्ली: केंद्र ने टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित की जाने वाली सामग्री के संबंध में मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए त्रिस्तरीय वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के वास्ते केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों में संशोधन किया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 को बृहस्पतिवार को एक आधिकारिक गजट (परिपत्र) में प्रकाशित करके उसे अधिसूचित किया.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया, ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन करके टीवी चैनलों पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों के संबंध में लोगों की शिकायतों का निस्तारण करने के लिए एक वैधानिक तंत्र विकसित किया है.’
The @MIB_India has by amending the Cable Television Network Rules, 1994, developed a statutory mechanism to redress citizens' grievances & complaints against programmes of TV Channels.
The @MIB_India has also decided to recognize Statutory Bodies of TV channels under CTN Rules. pic.twitter.com/3Uj1ryz8ob
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) June 17, 2021
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पारदर्शी वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है और इससे लोगों को लाभ होगा.
जावड़ेकर ने कहा, ‘मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों के तहत टीवी चैनलों की वैधानिक निकायों को भी मान्यता देने का निर्णय लिया है.’
संशोधित नियम शिकायतों के निपटारे का त्रिस्तरीय तंत्र बनाते हैं – प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन, प्रसारकों के स्व-नियमन निकायों द्वारा स्व-नियमन और केंद्र सरकार के तंत्र के माध्यम से निगरानी.
चैनलों पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम से परेशानी होने पर दर्शक उस संबंध में प्रसारक से लिखित शिकायत कर सकता है.
नियमों के अनुसार, ‘शिकायत किए जाने के 24 घंटों के भीतर प्रसारक को शिकायतकर्ता को सूचित करना होगा कि उसकी शिकायत प्राप्त हो गई है. ऐसी शिकायत प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर प्रसारक को उसका निपटारा करना होगा और शिकायतकर्ता को अपना निर्णय बताना होगा.’
नियमों के अनुसार शिकायतकर्ता ‘स्व-नियामक निकाय, जिसका ब्रॉडकास्टर सदस्य है, को 15 दिनों के भीतर अपील कर सकता है.’
इसके अनुसार स्व-नियामक निकाय अपील प्राप्ति के 60 दिनों के भीतर अपील का निपटारा करेगा, प्रसारक को मार्गदर्शन या सलाह के रूप में अपना निर्णय बताएगा और शिकायतकर्ता को इस तरह के निर्णय के बारे में सूचित करेगा.
नियमों के अनुसार, ‘जहां शिकायतकर्ता स्व-नियामक निकाय के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, वह इस तरह के निर्णय के 15 दिनों के भीतर, निगरानी तंत्र के तहत विचार करने के लिए केंद्र सरकार से अपील कर सकता है.’
द एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) विज्ञापन संहिता के उल्लंघन के संबंध में शिकायतों की सुनवाई करेगा, शिकायत प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर निर्णय लेगा और प्रसारक और शिकायतकर्ता को इसकी सूचना देगा.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुरुवार को मंत्रालय ने कहा, ‘शिकायत निवारण ढांचे को मजबूत करने के लिए एक वैधानिक तंत्र बनाने की आवश्यकता महसूस की गई. कुछ प्रसारकों ने अपने संघों/निकायों को कानूनी मान्यता देने का भी अनुरोध किया था. यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी पहले ही शिकायत निवारण तंत्र को औपचारिक रूप देने के लिए उचित नियम बनाने की सलाह दी थी.’
बता दें कि बीते 25 फरवरी को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने ओटीटी मंच और डिजिटल मीडिया के लिए नई नीतियों की घोषणा की थी.
इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 के नाम से लाए गए ये दिशानिर्देश देश के टेक्नोलॉजी नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुआ सबसे बड़ा बदलाव हैं. ये इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे.
नए नियमों के हिसाब से बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को किसी उचित सरकारी एजेंसी या अदालत के आदेश/नोटिस पर एक विशिष्ट समय-सीमा के भीतर गैर कानूनी सामग्री हटानी होगी.
इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी लागू होंगे.
नियमों के तहत स्वनियमन के अलग-अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली भी स्थापित की गई है. इसमें पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा, दूसरा स्तर प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा.
नियम आने के बाद ऑनलाइन प्रकाशकों के संगठन डिजिपब ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर अपना विरोध भी जताया था.
ऑनलाइन प्रकाशनों ने नए नियमों को अनुचित, इनके नियमन की प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक और इनके क्रियान्वयन के तरीके को अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया है.
वहीं, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए विवादित डिजिटल मीडिया नियमों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा था कि नए डिजिटल मीडिया नियमों से प्रेस की आजादी को धक्का लगेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)