घटना बीते हफ़्ते मत्ती गांव में सरपंच के घर पर मज़दूरी कम किए जाने को लेकर जमींदारों और खेतिहर मज़दूरों के बीच एक बैठक में हुई. आरोप है कि एक ज़मींदार ने दलित समुदाय से आने वाली मज़दूर को थप्पड़ मारा. यह भी बताया गया कि सरपंच ने कथित तौर पर दलित मज़दूरों को जमीन पर बैठाया, जबकि ज़मींदारों को कुर्सियां दी गईं.
नई दिल्ली: पंजाब के मनसा जिले में 15 जून को एक दलित महिला, जो खेतिहर मजदूर के तौर पर काम करती हैं, को एक जमींदार द्वारा थप्पड़ मारे जाने के मुद्दे पर समुदाय विशेष में व्यापक आक्रोश है.
पुलिस ने कथित तौर पर दलित महिला को थप्पड़ मारने के आरोप में जमींदार के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसके बाद 19 जून को भीखी पुलिस थाने के बाहर प्रदर्शन भी हुए.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मत्ती गांव की सरपंच सुखविंदर कौर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई. बता दें कि उन्हीं अधिकारक्षेत्र के तहत यह घटना हुई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष भगवंत समाओ का कहना है कि यह घटना मत्ती गांव की सरपंच के आवास पर जमींदारों और मजदूरों के बीच बैठक के दौरान हुई थी.
उन्होंने कहा, ‘मजदूर के शारीरिक उत्पीड़न के लिए वह (सरपंच) भी समान जिम्मेदार हैं. उन पर भी मामला दर्ज होना चाहिए.’
इस बीच प्रदर्शनकारियों ने पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) जसजोत सिंह के समक्ष अपनी मांगें रखीं. उन्होंने कथित तौर पर उनसे वादा किया है कि मामले की जांच के बाद सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मत्ती गांव में सरपंच के घर पर 15 जून को जमींदारों और खेतिहर मजदूरों की बैठक बुलाई गई थी. ग्राम पंचायत ने पिछले साल की तुलना में कम मजदूरी की बात कही थी, जिसके बाद मजदूरों ने धान की रोपाई का काम रोक दिया था. हालांकि, मजदूरों को शुरुआत में धान की दोबारा रोपाई के लिए 3.500 रुपये प्रति एकड़ का वादा किया गया था, लेकिन ग्राम पंचायत ने इसे घटाकर 2,500 रुपये से 2,600 रुपये प्रति एकड़ कर दिया था.
जब इसे लेकर मजदूरों के साथ बैठक हुई, तब जमींदार गोरा सिंह ने कथित तौर पर एक दलित महिला को थप्पड़ मार दिया था.
मामले के उजागर होने के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) और इसके अध्यक्ष विजय सांपला ने मानसा के डिप्टी कमिश्नर, पंजाब सरकार के मुख्य सचिव और पंजाब पुलिस के डीजीपी को नोटिस जारी किया. नोटिस में संबंधित अधिकारियों से सात दिनो के भीतर मामले पर की गई कार्रवाई पर तथ्यों और सूचनाओं को पेश करने का आदेश दिया है.
सांपला ने निर्धारित समयसीमा के भीतर नोटिस का जवाब नहीं देने पर आगे की कार्रवाई की चेतावनी दी है.
सांपला ने कहा, ‘सरपंच ने बैठक में कथित तौर पर दलित मजदूरों को जमीन पर बैठाया जबकि जमींदारों को बैठने के लिए कुर्सियां दी गईं.’
पंजाब के कई गांवों में धान की रोपाई के लिए दर निर्धारण का मुद्दा उठा है. कई ग्राम पंचायतें धान की रोपाई के लिए प्रति एकड़ कम की पेशकश कर रही हैं, जिससे मजदूरों और उनके जमींदारों के बीच विवाद पैदा हो गया है.
इसे लेकर लुधियाना और संगरूर के गांवों में भी विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं.
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