आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट के जज अलग हुए

क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड, द वायर प्रकाशित करने वाले फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म, फैक्ट-चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ चलाने वाले प्रवदा मीडिया फाउंडेशन और अन्य द्वारा आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई हैं. मामले को जस्टिस भंभानी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड, द वायर प्रकाशित करने वाले फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म, फैक्ट-चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ चलाने वाले प्रवदा मीडिया फाउंडेशन और अन्य द्वारा आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई हैं. मामले को जस्टिस भंभानी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने सोमवार को डिजिटल समाचार पोर्टलों पर सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की आवश्यकता को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामलों की सुनवाई 28 मई को तय की है.

आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड और इसकी निदेशक रितु कपूर, द वायर प्रकाशित करने वाले फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म, फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज चलाने वाले प्रवदा मीडिया फाउंडेशन और अन्य द्वारा दायर की गई हैं.

मामलों को जस्टिस भंभानी और जस्टिस जसमीत सिंह की अवकाश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था. याचिकाकर्ताओं ने मामले के लंबित रहने के दौरान अंतरिम सुरक्षा की मांग करने के लिए अदालती अवकाश के दौरान मामलों को सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था.

क्विंट द्वारा दायर याचिका में यह तर्क दिया गया है कि डिजिटल समाचार पोर्टलों पर सामग्री को वस्तुतः निर्देशित करने की कार्यकारी शक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1) (ए) का पूरी तरह से उल्लंघन करेगी.

अन्य याचिकाओं में भी इसी तरह के तर्क दिए गए हैं. याचिका में कहा गया, ‘आईटी नियम, 2021 एक विशिष्ट और लक्षित वर्ग के रूप में समाचार और करेंट अफेयर्स की सामग्री के साथ डिजिटल पोर्टल पेश को करते हैं, जो एक ढीले-ढाले आचार संहिता के तहत विनियमित होते हैं और केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से देखे जाते हैं.’

याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि नियम राज्य को डिलीट करने, संशोधन या अवरुद्ध करने, निंदा, माफी के लिए मजबूर करने और अधिक के माध्यम से समाचार दर्ज करने और नियंत्रित करने के लिए अधिकार देते हैं.

इसमें तर्क दिया गया, ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स को सोशल मीडिया से जोड़ना और प्रिंट न्यूज मीडिया से अलग करना अनुचित और तर्कहीन वर्गीकरण है.