कोविड महामारी के बीच समाचारों पर भरोसा बढ़ा है, पर भारत में औसत से नीचे: रिपोर्ट

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ‘रॉयटर्स इंस्टिट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म’ द्वारा किए सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में पुराने प्रिंट ब्रांड और सरकारी प्रसारक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो अधिक भरोसेमंद हैं, जबकि प्रिंट मीडिया, सामान्य तौर पर समाचार चैनलों की तुलना में अधिक भरोसेमंद माने गए.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ‘रॉयटर्स इंस्टिट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म’ द्वारा किए सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में पुराने प्रिंट ब्रांड और सरकारी प्रसारक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो अधिक भरोसेमंद हैं, जबकि प्रिंट मीडिया, सामान्य तौर पर समाचार चैनलों की तुलना में अधिक भरोसेमंद माने गए.

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच खबरों पर भरोसा बढ़ा है. वैश्विक स्तर पर 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे ज्यादातर समाचारों पर भरोसा करते हैं, लेकिन भारत में यह आंकड़ा औसतन 38 प्रतिशत से कम है. बुधवार को जारी एक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ‘रॉयटर्स इंस्टिट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म’ द्वारा किए गए 46 देशों के सर्वेक्षण में समाचारों पर विश्वास के मामले में फिनलैंड 65 प्रतिशत के साथ सबसे ऊपर है, जबकि अमेरिका 29 प्रतिशत स्कोर के साथ सबसे नीचे है.

वहीं, भारत में पुराने प्रिंट ब्रांड और सरकारी प्रसारक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो अधिक भरोसेमंद हैं, जबकि प्रिंट मीडिया, सामान्य तौर पर, समाचार चैनलों की तुलना में अधिक भरोसेमंद माने गए.

अध्ययन में पाया गया एक और दिलचस्प निष्कर्ष यह है कि व्यक्तित्व- मशहूर हस्तियां और प्रभावशाली लोग- भारत में चार बड़े मंचों फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर सोशल मीडिया समाचार उपयोगकर्ताओं के बीच सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करते हैं.

हालांकि, अध्ययन में संकेत दिया गया है कि इसका आंकड़ा भारत में मुख्य रूप से अंग्रेजी बोलने वाले ऑनलाइन समाचार उपयोगकर्ताओं के सर्वेक्षण पर आधारित है, जो देश में एक बड़े, अधिक विविध, देश में मीडिया बाजार का एक छोटा उपसमूह है.

सर्वेक्षण के अनुसार एशिया-प्रशांत में, भारत को आठवां स्थान दिया गया है, जबकि थाईलैंड शीर्ष पर है जहां 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे समाचारों पर विश्वास करते हैं.

रॉयटर्स इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए अध्ययन से यह भी पता चला है कि इस साल झूठी और भ्रामक सूचनाओं के बारे में वैश्विक चिंताएं अधिक हैं.

भारतीय उत्तरदाताओं ने कोविड-19 के बारे में गलत सूचनाएं व्हाट्सएप से (28 प्रतिशत), फेसबुक (16 प्रतिशत), यूट्यूब (14 प्रतिशत), गूगल (सात प्रतिशत) और ट्विटर (चार प्रतिशत) के जरिये मिलने पर चिंता जताई.

सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के बीच खबरों पर भरोसा बढ़ा है. वैश्विक स्तर पर 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे ज्यादातर समाचारों पर भरोसा करते हैं.

भारत उन कुछ देशों में भी शामिल है जहां अधिकांश उत्तरदाताओं (50 प्रतिशत से अधिक) समाचार संगठनों की वित्तीय स्थिति के बारे में चिंतित थे, जबकि यह अनुपात अमेरिका में केवल 32 प्रतिशत, ब्रिटेन में 26 प्रतिशत, जर्मनी में 23 प्रतिशत और सिंगापुर में 41 प्रतिशत था.

सर्वेक्षण के अनुसार भारत के लोगों में, पुराने प्रिंट ब्रांड और सरकारी प्रसारक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो के प्रति उच्च स्तर का विश्वास दिखाई दिया.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सर्वेक्षण में पाया गया कि प्रिंट ब्रांड को सामान्य तौर पर टीवी ब्रांडों की तुलना में अधिक भरोसेमंद माना जाता हैं, जिन्हें उनके कवरेज में कहीं अधिक ध्रुवीकरण और सनसनीखेज के रूप में देखा जाता है.

सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत सबसे मजबूत मोबाइल केंद्रित बाजारों में से एक है, जहां स्मार्टफोन के माध्यम से 73 प्रतिशत और कंप्यूटर के माध्यम से सिर्फ 37 प्रतिशत समाचार प्राप्त होते हैं.

भारत में 60 करोड़ से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से कई केवल मोबाइल फोन के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग करते हैं.

हालांकि, अध्ययन ने संकेत दिया है कि निष्कर्षों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि उत्तरदाता आम तौर पर अधिक समृद्ध, युवा, औपचारिक शिक्षा के उच्च स्तर वाले होते हैं और व्यापक भारतीय आबादी की तुलना में शहरों में रहने की अधिक संभावना रखते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)