वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ को जापान के प्रतिष्ठित फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित किया गया

वरिष्ठ पत्रकार और पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक पी. साईनाथ को भारत में गरीब कृषक गांवों की रिपोर्टिंग करने और ग्रामीण आबादी की आवाज को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

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वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ (फोटोः फ्लिकर)

वरिष्ठ पत्रकार और पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक पी. साईनाथ को भारत में गरीब कृषक गांवों की रिपोर्टिंग करने और ग्रामीण आबादी की आवाज को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

वरिष्ठ पत्रकार पी. साईंनाथ (फोटोः फ्लिकर)
वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ (फोटोः फ्लिकर)

नई दिल्लीः वरिष्ठ पत्रकार और पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (परी) के संस्थापक संपादक पी. साईनाथ को इस साल जापान के प्रतिष्ठित ग्रैंड फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

जापान के शीर्ष पुरस्कारों में से एक ग्रैंड फुकुओका सभी एशियाई देशों के लिए खुला हुआ है और साईनाथ को भारत में गरीब कृषक गांवों की रिपोर्टिंग करने और ग्रामीण आबादी की आवाज को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा गया, ‘समाचार वेबसाइट पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (परी) के संस्थापक साईनाथ को सम्मानित किया जा रहा है. एक प्रतिबद्ध पत्रकार जो भारत में खेती करने वाले गरीब लोगों की आवाज उठाते हैं. साथ ही वह इन लोगों की जीवनशैली को वास्तविकता से रूबरू कराते हुए ‘ग्रामीण कहानियों’ की रिपोर्ट करते हैं. एशिया परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है लेकिन इन सबके बीच साईनाथ नई चीजों को जनमानस के आगे रख रहे हैं और नागरिक सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं. इस कारण से वह फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित होने के योग्य हैं.’

फुकुओका पुरस्कार शैक्षणिक, सांस्कृतिक और ग्रैंड प्राइज इन तीन श्रेणियों में दिए जाते है. इससे पहले भारत में इस पुरस्कार से प्रोफेसर रोमिला थापर (शैक्षणिक), उस्ताद अमजद अली खन (सांस्कृतिक) और एआर रहमान (ग्रैंड) को सम्मानित किया जा चुका है.

बता दें कि 2021 का अकादमिक पुरस्कार जापान के शिक्षाविद मिओ किशिमोतो और सांस्कृतिक पुरस्कार थाईलैंड के लेखक एवं फिल्मकार प्रब्दा यून को दिया गया.

साईनाथ ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया कि पुरस्कार के साथ मिलने वाले पांच मिलियन येन यानी 33 लाख रुपये से वह कोविड-19 से दम तोड़ चुके स्ट्रिंगर्स के परिवारों की मदद करेंगे. साथ में दलित और आदिवासी समुदायों के ग्रामीण पत्रकारों के लिए फेलोशिप शुरू करेंगे.

साईनाथ ने पुरस्कार स्वीकार करते हुए इसे ग्रामीण भारत से रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों और परी को समर्पित किया.

उन्होंने परी के ग्रामीण समुदायों की व्यापक कवरेज का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पुरस्कार पत्रकारिता की ‘लुप्तप्राय प्रजाति’ के समर्थन का संकेत देता है.

उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान जब जन पत्रकारिता की सबसे ज्यादा जरूरत है, ऐसे में कॉरपोरेट स्वामित्व वाले मीडिया समूहों ने हजारों पत्रकारों को नौकरियों से निकाल दिया है.

साईनाथ ने पत्रकार के तौर पर अपने चार दशकों के करिअर के दौरान ग्रामीण भारत के संकट और कृषि अर्थव्यवस्था को लेकर व्यापक काम किया है.

साईनाथ इससे पहले भी कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं, जिनमें एमनेस्टी इंटरनेशनल ग्लोबल ह्यमून राइट्स जर्नलिज्म पुरस्कार और रैमन मैग्सेसे पुरस्कार शामिल हैं.

वह कई किताबें भी लिख चुके हैं, जिनमें एवरीबडी लव्ज अ गुड ड्रॉट काफी लोकप्रिय है और उस पर नीरोज गेस्ट्स जैसी डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है.