सुप्रीम कोर्ट ने फ़रीदाबाद ज़िले के खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए क़रीब दस हज़ार आवासीय निर्माण हटाने का आदेश दिया है, जिसे लेकर यहां महापंचायत होनी थी. इसमें हरियाणा भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी को शामिल होना था, जिन्हें पुलिस ने गांव में प्रवेश करने से रोक दिया.
फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद जिले के लकरपुर खोरी गांव में महापंचायत के दृष्टिगत एकत्र हुए लोगों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया, जहां उच्चतम न्यायालय ने हजारों अवैध ढांचे को हटाने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि गांव के निकट अरावली वन क्षेत्र में करीब दस हजार के करीब आवासीय ढांचे हैं, जिन्हें अवैध मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें हटाने का आदेश दिया है.
पुलिस का दावा है कि लोगों ने उन पर पथराव किया, जिससे कुछ लोग घायल हो गए.
इससे पहले पुलिस ने हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया. चढूनी को गांव में ‘महापंचायत’ को संबोधित करना था, जिसे स्थानीय लोगों ने बुलाया था. इस महापंचायत में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर भी चर्चा होनी थी.
पुलिस ने बताया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए पुलिस ने जब भीड़ को जमा होने से रोकने का प्रयास किया, तो कुछ लोगों ने उन पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके बाद उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा.
पुलिस उपायुक्त अंशु सिंगला ने बताया कि पुलिस ने लोगों से सहयोग करने तथा शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने में मदद करने की अपील की.
उन्होंने कहा, ‘हम लोग यहां उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों का सम्मान करने के लिए हैं. हम लोग केवल उतनी ही कार्रवाई कर रहे हैं जितना अदालत के आदेश का पालन करने के लिए जरूरी है.’
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए चढूनी ने कहा कि अधिकारियों ने इलाके में बिजली एवं जलापूर्ति बंद कर दी है.
उन्होंने बताया, ‘एक लाख लोग एक दिन में वहां नहीं बस गए हैं. वे लोग यहां चार दशकों से हैं. उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने सालों तक उन्हें बसने दिया. जब लोग वहां बस रहे थे तो सरकार ने अपनी आंखें क्यों बंद कर ली थी.’
उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश से जो लोग प्रभावित हो रहे हैं, सरकार को उन लोगों का पुनर्वास करना चाहिए स्थानीय लोगों ने भी पुनर्वास की मांग की है.
एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘हम अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं. अब उन्हें आगे आना चाहिए और सरकार से हमारे पुनर्वास के लिए आग्रह करना चाहिए.’
इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, एसीपी सुखबीर सिंह ने कहा, ‘हमारे पास स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. हमने छह लोगों को हिरासत में लिया है, उन्हें अदालत में पेश किया जा रहा है.’
हिरासत में लिए गए छह में भगत सिंह छात्र एकता मंच (बीएससीईएम) के सदस्य शामिल हैं. बीएससीईएम ने एक बयान में आरोप लगाया कि हिरासत में लिए गए लोगों में उसके अध्यक्ष रविंदर और कार्यकर्ता राजवीर कौर भी शामिल हैं.
बीएससीईएम ने आरोप लगाया कि, ‘पुलिस ने खोरी गांव में अंबेडकर पार्क का रास्ता अवरुद्ध कर दिया, जहां निवासियों को अपने घरों के विध्वंस पर चर्चा करने के लिए एक पंचायत करनी थी. रविंदर, राजवीर कौर और कई अन्य लोगों को बेरहमी से पीटा गया, रविंदर की पगड़ी जबरन उतारी गई, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया और पुलिस अधिकारियों द्वारा हमला किया गया.’
मजदूर आवास संघर्ष समिति, बस्ती सुरक्षा मंच और नेशनल एलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स सहित सभी एकजुटता समूहों की ओर से बुधवार शाम जारी एक प्रेस नोट में इन आरोपों को दोहराया.
इस बीच, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा कि एक सर्वेक्षण किया गया है और यह पता चला कि 3,400 लोग ऐसे हैं जो हरियाणा के मतदाता हैं.
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर 1400 परिवार हरियाणा के मतदाता हैं और उन्हें डाबुआ कॉलोनी के फ्लैटों में पुनर्वास का विकल्प दिया गया है और इस संबंध में आपैचारिकतायें पूरी की जा रही हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, खट्टर ने कहा, ‘इन लगभग 1,400 परिवारों के लिए हमारे पास फ्लैट तैयार हैं, उनकी दरें भी निर्धारित हैं. बैंकों से आसानी से कर्ज लेने की व्यवस्था की जाएगी.’
उन्होंने कहा, ‘इन 1,400 परिवारों के लिए हमने मोटे तौर पर व्यवस्था की है. अन्य परिवार दिल्ली से हैं, वे दिल्ली में मतदाता हैं, कुछ कहीं के मतदाता नहीं हैं, वे बाद में आए हैं.’
हालांकि गांव के लोगों का कहना है कि यह काफी नहीं है. गांव का निवासी घनश्याम ने कहा, ‘हम में से कुछ को भी शामिल नहीं किया जाएगा. जिनके पास यहां का या दिल्ली का पहचान पत्र नहीं है वे कहां जाएं?’
फरीदाबाद नगर निगम (एमसीएफ) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, गांव में 5,158 आवासीय इकाइयां विध्वंस का सामना कर रही हैं.
बता दें कि बीते 17 जून को उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले अपने आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार एवं फरीदाबाद नगर निगम को अतिक्रमित करीब 10,000 आवासीय निर्माण हटाने का आदेश दिया था और कहा था कि अदालत चाहती है कि वन भूमि को खाली कराया जाए.
न्यायालय ने सात जून को एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य और फरीदाबाद नगर निगम को निर्देश दिया था कि गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में सभी अतिक्रमण को हटाएं. इसके बाद से सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीयों द्वारा पुनर्वास की मांग की गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)