भारत के अनुरोध पर मालदीव ने स्थानीय मीडिया से राजनयिकों के ख़िलाफ़ झूठी ख़बर न छापने को कहा

भारतीय उच्चायोग ने बीते 24 जून को मालदीव के विदेश मंत्रालय को एक नोट भेजा था, जिसमें वहां तैनात राजनयिक कर्मचारियों की गरिमा पर हमला करने वाले दुर्भावनापूर्ण समाचार लेखों और सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में शिकायत की गई थी.

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मालदीव की राजधानी माले. (प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

भारतीय उच्चायोग ने बीते 24 जून को मालदीव के विदेश मंत्रालय को एक नोट भेजा था, जिसमें वहां तैनात राजनयिक कर्मचारियों की गरिमा पर हमला करने वाले दुर्भावनापूर्ण समाचार लेखों और सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में शिकायत की गई थी.

मालदीव की राजधानी माले. (प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भारत सरकार के अनुरोध के बाद मालदीव सरकार ने स्थानीय मीडिया से विदेशी राजनयिक कर्मचारियों के खिलाफ झूठी खबर प्रकाशित नहीं करने के लिए कहा है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत निर्धारित उनके काम में बाधा डालता है.

भारतीय उच्चायोग ने 24 जून को मालदीव के विदेश मंत्रालय को एक नोट भेजा, जिसमें वहां तैनात राजनयिक कर्मचारियों की गरिमा पर हमला करने वाले दुर्भावनापूर्ण समाचार लेखों और सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में शिकायत की गई थी.

पत्र में भारत ने मालदीव के विदेश मंत्रालय से कदम उठाने को कहा था ताकि राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के उल्लंघन में भारत के राजनयिकों की स्वतंत्रता और सम्मान से समझौता न किया जा सके.

24 जून को जारी यह पत्र दो दिन बाद लीक हो गया और मालदीव के मीडिया संगठनों ने बीते 29 जून को इसे प्रकाशित कर दिया.

इसके बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर मालदीव से मान्यता प्राप्त राजनयिक कर्मचारियों के खिलाफ झूठी खबर और आरोप के प्रकाशन की आलोचना की. केवल स्थानीय दिवेही भाषा में जारी किए गए नोट में भारत का नाम नहीं था.

इसमें कहा गया है कि राजनयिक संबंधों पर वियना सम्मेलन के तहत मालदीव पर देश में काम करने वाले विदेशी राजनयिकों को पूर्ण सुरक्षा देने की जिम्मेदारी है.

मालदीव के बयान में यह भी कहा गया है कि ये लेख न केवल देश के साथ संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि राजनयिकों को भी धमका सकते हैं और उन्हें अपना आधिकारिक काम करने से रोक सकते हैं.

सत्तारूढ़ गठबंधन में मुख्य राजनीतिक दल, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने भी एक बयान जारी किया, जिसमें सीधे तौर पर भारत और संबंधित मीडिया समूह का नाम लिया गया.

एमडीपी ने कहा, ‘मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी धियारेस में हाल की रिपोर्टों से बहुत चिंतित है, जिसमें मालदीव में भारतीय राजनयिकों के बारे में अपमानजनक और गलत टिप्पणी की गई है.’

इसने यह भी संकेत दिया कि वेबसाइट पर भारत के बारे में लेख एक राजनीतिक अभियान का हिस्सा थे, यह संकेत देते हुए कि इसके पीछे विपक्ष का हाथ था.

उसने कहा, ‘विपक्षी दलों द्वारा एक मुखर अभियान चलाया गया है जिसने भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए मालदीव सरकार को घेरने की कोशिश की है.’

पार्टी ने आगे कहा, ‘जबकि एमडीपी हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है और विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों पर जोरदार बहस का स्वागत करता है, एमडीपी ऐसे अपमानजनक प्रचार की निंदा करता है, जो केवल कलह और दुश्मनी बोने की इच्छा से प्रेरित हैं.’

वहीं भारत में जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से भारतीय उच्चायोग के पत्र के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने मालदीव के विदेश मंत्रालय और एमडीपी के बयानों की ओर इशारा किया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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