केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने याचिका दायर कर दावा किया है कि उनके बारे में मनगढ़ंत समाचार प्रकाशित किए जा रहे हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में ग़लत बात की है. उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थों वाले लोगों द्वारा ऐसी ख़बरें प्रसारित की जा रही हैं, ताकि कैबिनेट फेरबदल के दौरान उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाए.
नई दिल्ली: बेंगलुरु की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा के खिलाफ कथित तौर पर ‘झूठी, आधारहीन और आपत्तिजनक खबरें’ प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, एडिशनल सिटी सिविल जज मल्लिकार्जुन ने गौड़ा द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके बारे में मनगढ़ंत समाचार प्रकाशित किए जा रहे हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में गलत बात की है.
आदेश में कहा गया है कि सुनवाई की अगली तारीख तक गौड़ा के खिलाफ झूठी, आधारहीन और लापरवाह समाचारों को प्रकाशित करने, प्रसारित करने से रोक लगाई जाती है.
इससे पहले इस साल की शुरुआत में सिटी सिविल कोर्ट ने मार्च महीने में 67 मीडिया घरानों को कथित सेक्स-फॉर-जॉब स्कैंडल के संबंध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंधित कर्नाटक के छह मंत्रियों के खिलाफ कोई भी मानहानिकारक सामग्री प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोक लगा दी थी.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी एक ऐसा ही आदेश दिया था कि टीवी समाचार चैनलों को सेक्स स्कैंडल से संबंधित समाचारों की रिपोर्टिंग करते समय ‘प्रोग्राम कोड’ का सख्ती से पालन करना चाहिए, जो टेलीविजन सामग्री को नियंत्रित करता है.
वर्तमान में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री के रूप में सेवारत गौड़ा ने अपनी याचिका में कहा कि मीडिया आउटलेट्स ने झूठी और तुच्छ समाचार प्रकाशित करना शुरू कर दिया है और उनके खिलाफ बिना किसी औचित्य या दस्तावेजी सबूत के आरोप लगा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थों वाले लोगों द्वारा इस तरह की खबरें प्रसारित की जा रही हैं, ताकि कैबिनेट फेरबदल के दौरान उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाए.
इसे लेकर कोर्ट ने माना कि यदि अंतरिम राहत नहीं दी जाती है, ऐसे समाचारों से गौड़ा की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हो सकती है.