उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर रोक के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंची राज्य सरकार

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोविड-19 के बीच चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष ज़ाहिर करते हुए इस पर रोक लगा दी थी. सरकार ने कहा है कि अदालत ने 'ग़लत तरीके' से रोक लगाई है.

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केदारनाथ मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोविड-19 के बीच चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष ज़ाहिर करते हुए इस पर रोक लगा दी थी. सरकार ने कहा है कि अदालत ने ‘ग़लत तरीके’ से रोक लगाई है.

Kedarnath: A view of Kedarnath Temple, after a monsoon alert was issue to the pilgrims, in Kedarnath on Friday, July 13, 2018. (PTI Photo) (PTI7_13_2018_000202B)
केदारनाथ मंदिर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा पर रोक लगाने और एक जुलाई से तीन जिलों के निवासियों के लिए आंशिक रूप से इसे खोलने के राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय को पलटने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया.

राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस बात को स्वीकार नहीं करके गलत किया कि चारधाम के आसपास रहने वाली आबादी के महत्वपूर्ण हिस्से की आजीविका यात्रा पर निर्भर करती है.

सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पाबंदियों के साथ चारधाम यात्रा आयोजित करने के 25 जून के मंत्रिमंडल के आदेश के हिस्से पर ‘गलत तरीके’ से रोक लगाई, जिसमें तीन जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में रहे लोगों को सीमित संख्या में तीर्थयात्री की अनुमति देने की बात कही गई थी.

राज्य सरकार ने कहा फिलहाल (15 जून से 2 जुलाई के बीच) चमोली में कोरोना वायरस संक्रमण दर 0.64 प्रतिशत, रुद्रप्रयाग में 1.16 प्रतिशत और उत्तरकाशी में 0.75 प्रतिशत है.

बता दें कि उच्च न्यायालय ने 28 जून को कोविड-19 के बीच यात्रा के दौरान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष जाहिर करते हुए सरकार के इस फैसले पर रोक लगाई थी.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, ‘कहने की जरूरत नहीं है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर सुनामी की तरह तबाही लाई है. इससे न सिर्फ देश में लगभग तीन लाख लोगों की मौत हुई है बल्कि इसने परिवारों को तबाह किया है और बच्चों को अनाथ किया है. यह लहर अप्रैल और मई 2021 में अपने चरम पर थी. इस अवधि के दौरान न तो जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध थी और न ही ऑक्सीजन टैंक उपलब्ध थे और अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बेड भी नहीं थे. पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस भी नहीं थीं. स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी. नतीजतन लोगों को कोरोना की दूसरी लहर से जान बचाने के लिए मदद की गुहार लगानी पड़ी.’

अदालत ने कहा था कि मौजूदा परिस्थितियों में कुछ लोगों की भावनाओं का ध्यान रखने के बजाय कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप से सबको बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है.

हिंदू देवताओं और नदियों को समर्पित चार पवित्र मंदिर- बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित हैं और हर साल लाखों भक्त चारधाम यात्रा के दौरान इन मंदिरों में जाते हैं. यह यात्रा अप्रैल से नवंबर के बीच होती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)