पिछले साल भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया है. शिक्षा मंत्रालय का नेतृत्व धर्मेंद्र प्रधान करेंगे. उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक सात मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, जिनमें से अधिकांश आरक्षित जाति समुदाय से आते हैं. उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव किए जाने के बाद बुधवार को मनसुख मंडाविया को नया स्वास्थ्य मंत्री और नौकरशाह से नेता बने अश्विनी वैष्णव को नया रेल मंत्री बनाया गया, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय मिला.
मनसुख मंडाविया को डॉ. हर्षवर्धन की जगह नई जिम्मेदारी दी गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा कोविड महामारी को संभालने के तरीके को लेकर हुई कड़ी आलोचना के बाद बुधवार को 11 अन्य केंद्रीय मंत्रियों के साथ हर्षवर्धन को हटा दिया गया था.
वहीं, अब तक रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री रहे मंडाविया उस मंत्रालय का भी पूरा प्रभार संभालेंगे.
ओडिशा से राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्री बनाया गया है और उन्हें संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के अतिरिक्त विभाग भी दिए गए हैं. 51 वर्षीय पूर्व आईएएस अधिकारी वैष्णव ने आईआईटी कानपुर और व्हार्टन बिजनेस स्कूल से डिग्री हासिल की है.
पिछले साल भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया है, जबकि खेल मंत्री रहे किरेन रिजिजू को कानून एवं न्याय मंत्रालय का पूरा कार्यभार सौंपा गया है.
राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति में बताया गया कि गृह मंत्री अमित शाह को नवगठित सहकारिता मंत्रालय का प्रभार भी मिला है. नए मंत्रालय में बीएल वर्मा उनके उप मंत्री होंगे.
अनुराग सिंह ठाकुर, जो पहले वित्त राज्य मंत्री थे, उन्हें कैबिनेट में पदोन्नत किया गया और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय भी आवंटित किया गया है.
फेरबदल के बाद राजनाथ सिंह के पास रक्षा मंत्रालय और निर्मला सीतारमण के पास वित्त मंत्रालय बरकरार है. नितिन गडकरी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री बने रहेंगे और सुब्रह्मण्यम जयशंकर विदेश मंत्री बने रहेंगे.
पीयूष गोयल अब वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अलावा कपड़ा मंत्रालय का भी प्रभार संभालेंगे. इससे पहले कपड़ा मंत्रालय स्मृति ईरानी के पास था.
स्मृति ईरानी के पास अब केवल महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी है. पहली बार लोकसभा सांसद बने मुंजापारा महेंद्रभाई को महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री नियुक्त किया गया.
शिक्षा मंत्रालय का नेतृत्व धर्मेंद्र प्रधान करेंगे. वह कौशल विकास और उद्यमिता का प्रभार भी संभालेंगे.
जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के राम चंद्र प्रसाद सिंह इस्पात मंत्री होंगे, जबकि पशुपति कुमार पारस को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और किरण रिजिजू को विधि एवं न्याय मंत्री बनाया गया है.
हरदीप पुरी को कैबिनेट रैंक में भी पदोन्नत किया गया है और उन्हें पेट्रोलियम, आवास और शहरी मामलों का काम सौंपा गया है. वह पहले नागरिक विमानन मंत्रालय भी संभाल रहे थे.
नारायण राणे को लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यमिता मंत्रालय तथा असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को पोत, जहाजरानी, जलमार्ग एवं आयुष मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया है .
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के पर्यटन और विकास के साथ-साथ जी. किशन रेड्डी को संस्कृति विभाग दिया गया है, जिन्हें अब कैबिनेट रैंक दिया गया है. इससे पहले, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय पहले जितेंद्र सिंह के पास स्वतंत्र प्रभार के रूप में था.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) होंगे. वह प्रधानमंत्री कार्यालय में, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में, परमाणु ऊर्जा विभाग में और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री बने रहेंगे.
श्रीपद येसो नाइक, जो आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे, अब बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री के अलावा पर्यटन मंत्रालय में भी राज्य मंत्री होंगे. अब तीन गृह राज्य मंत्री होंगे- नित्यानंद राय, अजय कुमार और निशिथ प्रामाणिक.
वीरेंद्र कुमार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री जबकि भूपेंद्र यादव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री और श्रम एवं रोजगार मंत्री होंगे.
नरेंद्र सिंह तोमर के पास कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय बरकरार है. प्रल्हाद जोशी संसदीय कार्य मंत्री, कोयला मंत्री और खान मंत्री होंगे.
अजय भट्ट रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री और पर्यटन मंत्रालय में राज्य मंत्री होंगे.
दो नए राज्य मंत्रियों – प्रतिमा भौमिक और ए. नारायणस्वामी – को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के प्रमुख रामदास अठावले नए मंत्रिपरिषद में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के राज्य मंत्री के रूप में काम करना जारी रखेंगे.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, सभी महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दे और सभी अन्य विभागों का प्रभार है जो किसी मंत्री को नहीं दिए गए हैं.
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार शाम यहां राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में 15 कैबिनेट मंत्रियों और 28 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई. यह मई 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यभार संभालने के बाद मंत्रिपरिषद में पहला फेरबदल है.
इसमें 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि सात वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्रियों को पदोन्नत कर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. आठ नए चेहरों को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिपरिषद विस्तार में मंत्री बनने वाले कुल 43 नेताओं में 32 ऐसे चेहरे हैं जो पहली बार केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी निभाएंगे.
ऐसे नेताओं में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, जद (यू) अध्यक्ष आरसीपी सिंह, भाजपा के महामंत्री भूपेंद्र यादव और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पारस गुट के नेता पशुपति कुमार पारस प्रमुख हैं.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद के 36 नए चेहरों में आठ वकील, चार डॉक्टर, दो पूर्व आईएएस अधिकारी और चार एमबीए डिग्री धारक और कई इंजीनियर हैं.
नए मंत्रिपरिषद को देखने से लगता है कि क्षेत्रीय और सामुदायिक आकांक्षाओं को साधने के अलावा, उच्च योग्यता वाले सदस्यों और राज्यों में प्रशासनिक अनुभव रखने वाले लोगों को शामिल कर कार्यकाल के बीच में सरकार को मजबूती प्रदान करने के प्रयास पर ध्यान दिया गया है.
इससे पहले प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, आईटी एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सहित 12 मंत्रियों को मंत्रिपरिषद से हटा दिया था.
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पिछड़ा वर्ग, दलितों और महिलाओं का बढ़ा प्रतिनिधित्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार को किए व्यापक फेरबदल और विस्तार में पिछड़ा वर्ग, दलितों, जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व जहां बढ़ाया है वहीं उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी दृष्टि से अहम राज्यों को खासा तवज्जो दी है.
वर्तमान मंत्रिपरिषद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एकमात्र ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने 1998 और 2004 की तत्कालीन वाजपेयी सरकारों में भी काम किया है. उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक सात मंत्रियों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है. इनमें से अधिकांश आरक्षित जाति समुदाय से आते हैं. उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
जिन 36 नए चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है उनमें उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र को मिला है. इन राज्यों से चार-चार सांसदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है.
गुजरात से तीन, मध्य प्रदेश, बिहार और ओड़िशा से दो-दो नेताओं को मंत्री बनाया गया है जबकि उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा, नयी दिल्ली, असम, राजस्थान, मणिपुर और तमिलनाडु से एक-एक नेता को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है. इनमें से अधिकांश को राज्यमंत्री बनाया गया है.
इस विस्तार में त्रिपुरा और मणिपुर को भी जगह दी गई है. दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं. सहयोगी दलों का ध्यान रखते हुए बिहार से जनता दल युनाईटेड और लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट से पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. दोनों बिहार से ताल्लुक रखते हैं.
सात महिलाओं को इस मंत्रिपरिषद विस्तार में जगह दी गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को मिलाकर अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मंत्रियों के तौर पर काम करने वाली महिलाओं की कुल संख्या नौ हो गई है.
डेटा संरक्षण विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति के पांच सदस्य केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर संयुक्त समिति के पांच सदस्य बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए. इनमें इस समिति की अध्यक्ष मीनाक्षी लेखी भी शामिल हैं.
लेखी के अलावा चार अन्य जिन्हें मंत्री बनाया गया है, उनमें लोकसभा सदस्य अजय भट्ट और राज्यसभा सदस्यों राजीव चंद्रशेखर, भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव शामिल हैं. दिसंबर 2019 में गठित समिति में सदस्यों की प्रभावी संख्या 18 है.
समिति ने कई बैठकें की हैं और ट्विटर, फेसबुक, गूगल और ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के प्रतिनिधियों को तलब किया है. मसौदा डेटा संरक्षण विधेयक में लोगों की स्पष्ट सहमति के बिना उनकी व्यक्तिगत जानकारी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है.
इसका उद्देश्य व्यक्तिगत जानकारी की रक्षा करना, ‘डेटा प्रोसेसर’ के दायित्वों को परिभाषित करना, व्यक्तियों के अधिकारों को परिभाषित करना और उल्लंघनों के लिए दंड का प्रावधान करना है.
इस साल मार्च में समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए आगामी मानसून सत्र तक का समय दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)