निजी डेटा संरक्षण विधेयक सरकार और निजी कंपनियों द्वारा किसी भी व्यक्ति के डेटा के इस्तेमाल के नियमन से जुड़ा है. इस विधेयक की जांच करने वाली संसद की संयुक्त समिति को रिपोर्ट देने के लिए मानसून सत्र तक का वक़्त दिया गया है. वॉट्सऐप ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि निजता नीति (प्राइवेसी पॉलिसी) पर अभी रोक लगा दी गई है तथा संसद के अनुमति देने पर ही इसे लागू किया जाएगा.
नई दिल्ली: वॉट्सऐप ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जब तक डेटा संरक्षण विधेयक प्रभाव में नहीं आ जाता तब तक वह उपयोगकर्ताओं को नई निजता नीति (प्राइवेसी पॉलिसी) अपनाने के लिए बाध्य नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि इस नीति पर अभी रोक लगा दी गई है तथा ‘संसद के अनुमति देने पर ही’ इसे लागू किया जाएगा.
वॉट्सऐप ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष यह भी साफ किया कि इस बीच वह नई निजता नीति को नहीं अपनाने वाले यूजर्स के लिए उपयोग के दायरे को सीमित नहीं करेगा.
वॉट्सऐप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, ‘हम स्वत: ही इस (नीति) पर रोक लगाने के लिए तैयार हो गए हैं. हम लोगों को इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं करेंगे.’
साल्वे ने कहा कि इसके बावजूद वॉट्सऐप अपने उपयोगकर्ताओं के लिए अपडेट का विकल्प दर्शाना जारी रखेगा. इस पर अदालत ने कहा कि भले ही इसके क्रियान्वयन को रोक दिया गया है, लेकिन नीति तो फिर भी अस्तित्व में है.
अदालत ने कहा, ‘आप इसे लागू भले नहीं कर रहे हों, लेकिन नीति तो अभी अस्तित्व में है और किसी भी दिन यह वापस आ सकती है.’
इस पर साल्वे ने कहा कि जब तक डेटा संरक्षण विधेयक कानून का रूप नहीं ले लेता है तब तक कंपनी इस रुख पर कायम रहेगी. उन्होंने कहा, ‘वादा है कि जब तक इस पर संसद कानून नहीं बना देती तब तक मैं कुछ भी नहीं करूंगा.’
निजी डेटा संरक्षण विधेयक सरकार और निजी कंपनियों द्वारा किसी भी व्यक्ति के डेटा के इस्तेमाल के नियमन से जुड़ा है. इस विधेयक की जांच करने वाली संसद की संयुक्त समिति को रिपोर्ट देने के लिए मानसून सत्र तक का वक़्त दिया गया है.
अदालत फेसबुक और उसकी सहायक कंपनी वॉट्सऐप की अपीलों पर सुनवाई कर रही है, जो वॉट्सऐप की नई निजता नीति के मामले में जांच के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है.
पिछले महीने वॉट्सऐप ने जांच पर अंतरिम रोक लगाने की मांग के साथ यह आवेदन दिया था.
वॉट्सऐप और फेसबुक ने 24 मार्च के सीसीआई के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें प्रतिस्पर्धा नियामक इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि वॉट्सऐप का आचरण ‘उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा को अन्य फेसबुक कंपनियों के साथ साझा करना न तो पूरी तरह से पारदर्शी और न ही स्वैच्छिक और उपयोगकर्ता सहमति पर आधारित है’, जो कि उपयोगकर्ताओं के लिए अनुचित प्रतीत होता है. सीसीआई ने डीजी को 60 दिनों के भीतर जांच पूरी करने का आदेश दिया था.
साल्वे ने अदालत से अनुरोध किया कि जांच के संबंध में सीसीआई द्वारा भेजी गई प्रश्नावली के जवाब देने के लिए वॉट्सऐप को जुलाई माह के अंत तक का वक्त दिया जाए.
अदालत ने इस मामले की सुनवाई 30 जुलाई तक स्थगित कर दी. साथ यह दर्ज किया कि सीसीआई का हलफनामा रिकॉर्ड में नहीं था.
बता दें कि बीते जनवरी महीने की शुरुआत में भारी विरोध के बाद वॉट्सऐप ने अपनी नई निजता नीति को पंद्रह मई तक के लिए टाल दिया था.
वॉट्सऐप को अपनी नई निजता नीति में बदलावों की वजह से भारत सहित वैश्विक स्तर पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. दुनियाभर में इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही थी कि वॉट्सऐप यूजर्स के डेटा को अपनी मूल कंपनी फेसबुक से साझा कर सकती है, जिसके बाद कंपनी ने इसे टालने का फैसला किया था.
बीते मार्च महीने में केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से वॉट्सऐप को 15 मई से प्रभावी होने जा रही उसकी नई निजता नीति एवं सेवा शर्तें लागू करने से रोकने का अनुरोध किया था.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फेसबुक के स्वामित्व वाले सोशल नेटवर्किंग मंच वॉट्सऐप की नई निजता नीति को चुनौती देने वाली एक याचिका के जवाब में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में यह कहा था.
मार्च की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को वॉट्सऐप की नई निजता नीति की पड़ताल के लिए तीन सप्ताह का वक्त दिया था. केंद्र ने तब अदालत को बताया कि 15 मई से प्रभावी होने जा रही ‘वॉट्सऐप’ की नई निजता नीति की उच्चतम स्तर पर पड़ताल की जा रही है और सरकार इस मुद्दे पर उससे कुछ स्पष्टीकरण मांग रही है.
केंद्र ने उच्च न्यायालय से कहा था कि वॉट्सऐप भारतीय यूजर्स से अलग तरह का बर्ताव कर रहा है, उसकी नई नीति सरकार के लिए चिंता का विषय है और वह इस मुद्दे पर गौर कर रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)