संविधान के अनुच्छेद 139ए के तहत केंद्र सरकार ने सात जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें आईटी नियमों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया था. अदालत ऐसा करने से मना कर दिया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आईटी नियमों को चुनौती देने वाले मामलों की दिल्ली और केरल के उच्च न्यायालयों में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और इसके बजाय मामलों को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए केंद्र सरकार की याचिका को 16 जुलाई तक टाल दिया.
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने केंद्र की याचिका को एक लंबित विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के साथ सलंग्न कर दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में ओटीटी प्लेटफॉर्म के नियमन से संबंधित अनेक याचिकाओं पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि नये सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित कार्यवाही पर रोक लगाई जाए.
हालांकि, मामले में एक अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि लंबित याचिका नये नियमों से पहले की है.
इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इसे (केंद्र की याचिका को) एसएलपी के साथ जोड़ेंगे.’ मामला 16 जुलाई को एक उचित पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
रिपोर्ट के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 139ए के तहत केंद्र सरकार ने 7 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें आईटी नियमों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया था.
इस तथ्य का हवाला देते हुए कि सर्वोच्च न्यायालय पहले से ही शीर्ष (ओटीटी) प्लेटफार्मों के लिए बनाए गए नियमों की चुनौतियों की सुनवाई कर रहा है, केंद्र ने तर्क दिया है, ‘यदि उच्च न्यायालय मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों के विपरीत कोई आदेश पारित करते हैं तो इससे पूरे देश में भ्रम और प्रशासनिक समस्याएं पैदा करेगा.’
केंद्र की स्थानांतरण याचिका में द वायर की आईटी नियमों को चुनौती के साथ द न्यूज मिनट, लाइव लॉ, द क्विंट, ऑल्टन्यूज और अन्य की भी चुनौती शामिल है.
नये आईटी नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग कंपनियों को विवादास्पद विषयवस्तु तत्काल हटानी होगी, शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और जांच में सहयोग देना होगा.
नये नियमों में ऑनलाइन मीडिया पोर्टल और प्रकाशक, ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया मंचों के कामकाज पर नियमन के भी प्रावधान हैं.
मालूम हो कि बीते सात जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने द क्विंट, द वायर और ऑल्ट न्यूज की आईटी नियम का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था.
बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम) को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं.
याचिकाएं आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती हैं जिसमें विशेष रूप से नियमों के भाग III को चुनौती दी गई है, जो डिजिटल मीडिया प्रकाशनों को विनियमित करना चाहता है.
याचिकाओं का तर्क है, नियमों का भाग III आईटी अधिनियम (जिसके तहत नियमों को फ्रेम किया गया है) द्वारा निर्धारित अधिकार क्षेत्र से परे है और यह संविधान के विपरीत भी है.
कई व्यक्तियों और संगठनों- जिनमें द वायर, द न्यूज मिनट की धन्या राजेंद्रन, द वायर के एमके वेणु, द क्विंट, प्रतिध्वनि और लाइव लॉ अपने-अपने राज्यों में विशेष रूप से महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और तमिलनाडु के उच्च न्यायालयों का रुख कर चुके हैं.
वहीं, डिजिटल न्यूज में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले 13 परंपरागत अखबार और टेलीविजन मीडिया की कंपनियों ने भी डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (डीएनपीए) के तहत मद्रास हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर करते हुए इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 को संविधान विरोधी, अवैध और संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19 (1) क और अनुच्छेद 19 (1) छ का उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की है.
मद्रास हाईकोर्ट ने 23 जून को याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
कर्नाटक संगीतकार, लेखक और कार्यकर्ता टीएम कृष्णा ने भी आईटी नियमों के खिलाफ एक याचिका के साथ मद्रास हाईकोर्ट का भी रुख किया है.
पत्रकार निखिल वागले और वेबसाइट द लीफलेट ने नियमों को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. कन्नड़ समाचार आउटलेट प्रतिध्वनि ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. भारत की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने भी नियमों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है.
बीते 9 जुलाई को लाइव लॉ को दी गई इसी तरह की सुरक्षा का हवाला देते हुए केरल उच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि सरकार द्वारा आईटी नियमों के तहत न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है. एनबीए कई समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)