राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने झारखंड के 159 प्रखंडों में एक सरकारी योजना के तहत 55 फीसदी लाभार्थियों को पूरक पोषक आहार न मिलने की रिपोर्ट को लेकर राज्य सरकार और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भेजे नोटिस में कहा कि यदि मीडिया की ख़बर में मौजूद तथ्य सही हैं तो यह भोजन के अधिकार के हनन का एक गंभीर मुद्दा है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने झारखंड के 159 प्रखंडों (ब्लॉक) में एक सरकारी योजना के तहत 55 प्रतिशत लाभार्थियों को पूरक पोषक आहार नहीं मिलने का आरोप लगाने वाली एक रिपोर्ट को लेकर राज्य सरकार और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.
आयोग ने कहा कि समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत छह माह से छह साल के बीच की आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पूरक पोषक आहार मुहैया किया जाता है.
आयोग ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि एनएचआरसी ने एक सर्वेक्षण के आधार पर मीडिया में उस खबर का संज्ञान लिया है, जिसमें दावा किया गया है कि आईसीडीएस के तहत झारखंड के 159 प्रखंडों में 55 प्रतिशत लाभार्थियों को पूरक पोषक आहार नहीं मिला.
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा झारखण्ड राज्य के 159 ब्लॉकों में 55% लाभार्थियों को आईसीडीएस के तहत पोषण नहीं मिलने का आरोप लगाने वाली मीडिया रिपोर्ट पर केंद्र और झारखंड सरकार को नोटिस जारी.
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एनएचआरसी ने कहा कि यदि मीडिया की खबर में मौजूद तथ्य सही हैं तो यह भोजन के अधिकार के हनन का एक गंभीर मुद्दा बनना है. यह एक मूलभूत मानवाधिकार है और सरकार इसकी रक्षा के लिए कर्तव्यबद्ध है.
आयोग ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, केंद्रीय बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी कर छह हफ्तों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट मांगी जा रही है.
बयान में कहा गया है कि राइट टू फूड कैंपेन की सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर छह जुलाई को मीडिया में इससे जुड़ी खबर आई थी.
आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक झारखंड में कथित तौर पर हर दूसरे बच्चे का वजन कम है और 70 प्रतिशत बच्चों के शरीर में खून की कमी है.
इंडियन एक्सप्रेस ने आईसीडीएस सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर रिपोर्ट दी थी, जिसमें 159 ब्लॉकों में कुल 8,818 परिवारों को शामिल किया गया था.
रिपोर्ट 6 महीने से 3 साल की उम्र के 7,809 बाल लाभार्थियों, 3 साल से 6 साल की उम्र के 6,560 और 4,459 गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कवर करने वाले एक सर्वेक्षण के आधार पर प्रकाशित की गई थी.
सर्वेक्षण समूह के सदस्य अशरफी नंद प्रसाद ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि 200 करोड़ से अधिक के पूरक आहार लाभार्थियों को नहीं दिए गए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)