उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त कहा है कि गै़र सहायता प्राप्त निजी स्कूल आरटीआई अधिनियम के दायरे में होने चाहिए, क्योंकि इससे उत्तर प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों से जानकारी लेने में छात्रों और अभिभावकों को फ़ायदा होगा. उन्होंने मुख्य सचिव से सिफ़ारिश की कि सार्वजनिक सूचना के महत्व को देखते हुए निजी स्कूल प्रशासकों को आरटीआई के तहत जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को अब सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में माना जाएगा और इसके तहत मांगी गई जानकारी उन्हें जनता को मुहैया करानी होगी.
राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने बीते बुधवार को संजय शर्मा बनाम सूचना अधिकारी/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ के मामले में दायर एक अपील का निपटारा करते हुए यह निर्णय दिया. उन्होंने मुख्य सचिव से सिफारिश की कि सार्वजनिक सूचना के महत्व को देखते हुए निजी स्कूल प्रशासकों को जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आयुक्त ने यह भी कहा है कि गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल आरटीआई अधिनियम के दायरे में होने चाहिए, क्योंकि इससे उत्तर प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों से जानकारी लेने में छात्रों और अभिभावकों को फायदा होगा.
इससे पूर्व अपीलार्थी संजय शर्मा ने सूचना अधिकारी/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ के समक्ष राज्य की राजधानी के दो प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील दायर की थी.
अपील दायर होने के बाद निजी स्कूलों ने इस आधार पर आरटीआई के तहत जानकारी का खुलासा नहीं किया कि उन्हें राज्य द्वारा वित्त पोषित नहीं किया जाता है और वे अधिनियम के दायरे से बाहर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों की फंडिंग को लेकर पूर्व में कई टिप्पणियां की हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि यदि किसी शहर का विकास प्राधिकरण किसी निजी स्कूल को रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध कराता है, तो स्कूल को राज्य द्वारा पर्याप्त रूप से वित्त पोषित माना जाएगा.
महत्वपूर्ण रूप से राज्य सूचना आयोग ने भी यह कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी को याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई सभी जानकारी उपलब्ध करानी होगी.