इस साल 29 जनवरी को नई दिल्ली स्थित इज़रायली दूतावास के पास कम तीव्रता वाला एक विस्फोट हुआ था, जिसमें संलिप्तता के आरोप में दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने 23 जून को कारगिल के चार युवाओं को गिरफ़्तार किया था.
नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में 29 जनवरी को इजरायली दूतावास के पास कम तीव्रता के आईईडी विस्फोट मामले में कथित साजिश रचने के आरोप में दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा द्वारा गिरफ्तार किए गए कारगिल के चार छात्रों को जमानत दे दी गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने गुरुवार को इन छात्रों को जमानत देते हुए कहा कि इनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया और इनकी पृष्ठभूमि बेदाग है.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डॉ. पंकज शर्मा ने नजीर हुसैन, जुल्फिकार अली, एजाज हुसैन और मुजम्मिल हुसैन को जमानत देते हुए कहा कि जांचकर्ता अधिकारी द्वारा ऐसा कुछ भी आपत्तिजनक साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जिससे पता चल सके कि ये छात्र किसी आतंकी संगठन से जुड़े हुए थे या समाज के लिए खतरा हैं. इन सभी छात्रों की उम्र 20 से 29 के बीच है.
जस्टिस शर्मा ने कहा, ‘इन छात्रों की उम्र, इनकी पृष्ठभूमि और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि ये सभी आरोपी छात्र हैं और इनका निश्चित निवास स्थान है इन्हें जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दिया जाता है.’
हालांकि, विस्फोट मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है, लेकिन दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया था.
विशेष शाखा ने इजरायली दूतावास के बाहर कथित तौर पर विस्फोटक रखने के दौरान सीसीटीवी कैमरे में कैद दो लोगों की पहचान के लिए दस लाख रुपये का इनाम घोषित करने के बाद 23 जून को चार युवाओं को गिरफ्तार किया था.
दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा था कि विशेष शाखा ने केंद्रीय एजेंसी और स्थानीय पुलिस के साथ संयुक्त अभियान के दौरान कारगिल से छात्रों को गिरफ्तार किया है और इन्हें दिल्ली लाया गया है.
अदालत ने जमानत का आदेश देते हुए कहा, ‘जांच अधिकारी द्वारा दायर की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि आरोपियों में से आमतौर पर इजरायल, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के खिलाफ ट्विटर पर अत्यधिक आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करता था और इस आरोपी को एक अन्य आरोपी ट्विटर पर फॉलो करता था.’
आदेश में कहा गया, ‘रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है कि जिससे पता चले कि इनमें से किसी भी आरोपी ने भारत के खिलाफ किसी तरह का आपत्तिजनक कंटेंट ट्विटर पर पोस्ट किया है.’
अदालत ने यह ध्यान में रखते हुए कि जांचकर्ता अधिकारी पहले ही आरोपियों से पहले ही सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद कर चुके हैं. अदालत ने कहा कि आरोपियों की पृष्ठभूमि दोषमुक्त हैं और ये सभी छात्र हैं.
अदालत ने आदेश में कहा, ‘जांचकर्ता की रिपोर्ट के मुताबिक नजीर ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) का समर्थक है लेकिन यह आतंकी संगठन नहीं है.’
आदेश में कहा गया, ‘आरोपियों ने अपने सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट मुहैया कराकर जांच में सहयोग किया. जांचकर्ता अधिकारी के पास आरोपियों के सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट हैं और लंबे समय से इनका विश्लेषण किया जा रहा है.’
इससे पहले आरोपी ने अदालत को बताया था कि विशेष शाखा की जांच मीडिया रिपोर्टों के आधार पर की जा रही है.
इन मीडिया रिपोर्टों में ही कहा गया है कि आरोपियों द्वारा कुछ चुनिंदा पोस्ट सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई और जिस दिन यह घटना हुई उस दिन आरोपियों के फोन कथित तौर पर बंद थे.
आरोपियों के वकील ने अदालत को बताया था कि उनके मुवक्किल छात्र हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं.
हालांकि, विशेष शाखा ने अदालत को बताया कि नजीर अक्सर ट्विटर पर अत्यधिक आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करता था औऱ अन्य आरोपी जुल्फइकार उसे ट्विटर पर फॉलो करता था.
अदालत को यह भी बताया गया कि 28 और 29 जनवरी के बीच नजीर के मोबाइल फोन से कोई कॉल या एसएमएस नहीं किया गया. जुल्फिकार, एजाज और मुज्जमिल के सीडीआर के विश्लेषण से पता चलता है कि ये सभी घटना के दिन दिल्ली में मौजूद थे. हालांकि, उस दिन उनके फोन से कोई फोन कॉल या एसएमएस नहीं किया गया.
पुलिस का कहना है कि नजीर और जुल्फिकार वीपीएन का इस्तेमाल कर रहे थे.