पाकिस्तान में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत नजीबुल्लाह अलीखिल की 26 वर्षीय बेटी को पांच से अधिक घंटे तक बंधक बनाए रखा गया. इस स्तब्धकारी घटना के मामले में फ़िलहाल किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है. अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मामले की तत्काल जांच की मांग की है.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत की बेटी को इस्लामाबाद से अगवा करके उन्हें कई घंटों तक बंधक बनाए रखा गया और उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई. दोनों देशों में अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
अफगानिस्तान के राजदूत नजीबुल्लाह अलीखिल की 26 वर्षीय बेटी सिलसिला अलीखिल के साथ शुक्रवार को हुई इस स्तब्धकारी घटना के मामले में फिलहाल किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मामले की तत्काल जांच की मांग की है और कहा कि अलीखिल को ‘बुरी तरह से प्रताड़ित’ किया गया.
अस्पताल की चिकित्सकीय रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके सिर पर प्रहार किए गए, कलाइयों और पैरों पर रस्सी से बांधे जाने के निशान हैं और उसके साथ बुरी तरह मारपीट की गई. आशंका है कि राजदूत की बेटी के शरीर की कई हड्डियां टूटी हुई हैं और एक्स-रे करने के आदेश दिए गए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें पांच से अधिक घंटे तक बंधक बनाए रखा गया और इस्लामाबाद पुलिस उन्हें अस्पताल ले कर आई. अलीखिल को अगवा करने और रिहाई के संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है.
पाकिस्तान ने हमले को ‘विचलित’ करने वाला बताया और कहा कि इस्लामाबाद में अफगानिस्तान के राजदूत के आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह ‘इस जघन्य कृत्य’ की कड़े शब्दों में निंदा करता है, साथ ही उसने पाकिस्तान में अफगान राजदूतों और उनके परिवारों की सुरक्षा के प्रति चिंता जताई.
पाकिस्तान की प्रमुख महिला सांसद शेरी रहमान ने शुक्रवार को हुई इस घटना की निंदा की और ट्वीट किया, ‘अफगानिस्तान के राजदूत की बेटी एक महिला हैं और मध्य इस्लामाबाद में उन्हें घूमने में किसी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि वह पाकिस्तान में राजनयिक सुरक्षा की हकदार हैं.’
पाकिस्तान के जाने माने पत्रकार हामिद मीर ने ट्वीट कर प्रश्न किया कि इस्लामाबाद में इस प्रकार की घटना कैसे हो सकती है. उन्होंने कहा कि शहर में लगे महंगे कैमरों का काम ही क्या है फिर? उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी पत्रकारों और यहां तक कि एक पुलिस अधिकारी को भी इस्लामाबाद में अगवा किया जा चुका है, इस संबंध में कुछ लोगों को ही गिरफ्तार किया गया था.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘राजनयिक मिशनों, राजनयिकों और उनके परिवारों की रक्षा और सुरक्षा बेहद अहम है. इस प्रकार की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’
मालूम हो कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अफगानिस्तान में वर्षों से चल रहे युद्ध को समाप्त करने की घोषणा मध्य अप्रैल में किए जाने के बाद तालिबान ने पूरे देश में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं.
युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की रवानगी और देश के अधिकतर क्षेत्रों पर तेजी से बढ़ते तालिबान के नियंत्रण के बीच चरमपंथी समूह ने बीते दिनों दावा किया था कि देश के 85 प्रतिशत हिस्से पर अब उसका कब्जा है.
बता दें कि पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध लंबे समय से खराब हैं. काबुल ने पाकिस्तान पर तालिबान विद्रोहियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह की अनुमति देने का आरोप लगाता है, जबकि इस्लामाबाद काबुल पर आतंकवादियों को पाकिस्तान में हमले करने के लिए अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देने का आरोप लगाता है.
बीते शुक्रवार को ताशकंद में हो रहे एक क्षेत्रीय सम्मेलन ‘मध्य और दक्षिण एशिया: क्षेत्रीय संपर्क, चुनौतियां और अवसर’ पर सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आरोप लगाया था कि पिछले महीने पाकिस्तान और अन्य स्थानों से 10,000 से अधिक जिहादी लड़ाके (अफगानिस्तान में) दाखिल हुए थे.
उन्होंने यह भी कहा था कि पाकिस्तान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए तालिबान को प्रभावित करने और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों को रोकने के आश्वासन को पूरा करने में नाकाम रहा है.
हालांकि, इमरान खान ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि किसी भी देश ने तालिबान को बातचीत के लिए मेज पर लाने के लिए पाकिस्तान से ज्यादा कोशिश नहीं की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)