पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल करके पत्रकारों और नेताओं की व्यापक निगरानी को लेकर मीडिया में आई खबरों पर हैरानी जताते हुए बुधवार को कथित जासूसी की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एक स्वतंत्र जांच की मांग की.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ट्विटर पर साझा किए गए एक बयान में कहा, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) पत्रकारों, नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं, उद्योगपतियों और नेताओं की कथित तौर पर सरकारी एजेंसियों द्वारा व्यापक तौर पर निगरानी इजरायली कंपनी एनएसओ द्वारा बनाए और विकसित पेगासस नामक एक हैकिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके किए जाने संबंधी मीडिया में आई खबरों से हैरान है.’
गिल्ड ने कहा कि 17 मीडिया प्रकाशनों के एक संघ द्वारा पिछले कुछ दिनों में दुनिया भर में प्रकाशित की गईं खबरें दुनिया भर में कई सरकारों द्वारा निगरानी की ओर इशारा करती हैं.
EGI is shocked by the media reports on the wide spread surveillance, allegedly mounted by government agencies, on journalists, civil society activists, businessmen and politicians, using a hacking software known as #Pegasus, created and developed by the Israeli company NSO. pic.twitter.com/I4M9pOsPTt
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) July 21, 2021
एडिटर्स गिल्ड ने बयान में कहा, ‘चूंकि एनएसओ का दावा है कि वह इस सॉफ्टवेयर केवल इजराइल सरकार द्वारा सत्यापित सरकारी ग्राहकों को बेचती है, इससे अपने ही नागरिकों पर जासूसी करने में भारत सरकार की एजेंसियों के शामिल होने का संदेह गहराता है.’
गौरतलब है कि द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इजरायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
पड़ताल में खुलासा किया है कि पेगासस के जरिये भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों.
एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकारों की निगरानी की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है.
गिल्ड ने कहा, ‘हालांकि निगरानी के कुछ उदाहरणों को उन लोगों के खिलाफ लक्षित किया गया हो सकता है, जिन्हें विश्वसनीय राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों के रूप में देखा जा सकता है, जो बात परेशान करने वाली है वह यह है कि बड़ी संख्या में निशाने पर पत्रकार और नागरिक समाज के कार्यकर्ता थे. यह अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर एक खुल्लमखुल्ला और असंवैधानिक हमला है.’
गिल्ड ने कहा कि जासूसी का यह कृत्य यह दिखाता है कि पत्रकारिता और राजनीतिक असंतोष को अब आतंक के बराबर कर दिया गया है.
उसने कहा, ‘एक संवैधानिक लोकतंत्र कैसे जीवित रह सकता है यदि सरकारें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने का प्रयास नहीं करें और इस तरह की दण्डमुक्ति से निगरानी की अनुमति दें.’
मामले की एक स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए एडिटर्स गिल्ड ने मांग की कि स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करने के लिए जांच समिति में पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाना चाहिए.
बयान में कहा गया है, ‘यह एक ऐसा क्षण है जो गहन आत्मनिरीक्षण और जांच की मांग करता है कि हम किस तरह के समाज की ओर बढ़ रहे हैं और हम अपने संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों से कितनी दूर हो गए हैं.’
बयान में कहा गया है, ‘गिल्ड इन जासूसी आरोपों की भारत के उच्चतम न्यायालय की निगरानी में तत्काल और स्वतंत्र जांच की मांग करता है. हम यह भी मांग करते हैं कि इस जांच समिति में विभिन्न क्षेत्रों (पत्रकारों और नागरिक समाज सहित) से स्वच्छ छवि वाले लोगों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि यह पेगासस की सेवाओं का उपयोग करके जासूसी करने की सीमा और इरादे के आसपास के तथ्यों की स्वतंत्र रूप से जांच कर सके.’
इससे पहले प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, मुंबई प्रेस क्लब और इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स जैसे कई पत्रकार संगठनों एनएसओ समूह से संबंधित लीक डेटाबेस में पत्रकारों, मंत्रियों और अन्य लोगों के फोन नंबर की उपस्थिति की निंदा कर चुके हैं.
इस बात का खुलासा होने के बाद कि इस लीक हुई सूची में 40 पत्रकारों के नाम हैं, जिनकी या तो जासूसी हुई है या उन्हें संभावित टारगेट के तौर पर लक्षित किया या है. द वायर ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी जैसे विपक्षी नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के नाम भी इस सूची में शामिल थे.
इस निगरानी सूची में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी, सीजेआई रंजन गोगाई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला, मोदी सरकार के दो मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, चुनाव सुधार पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर आदि भी शामिल हैं.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के फोन को इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के जरिये हैक किया गया था. एमनेस्टी इंटरनेशनल के सिक्योरिटी लैब द्वारा कराए डिजिटल फॉरेंसिक्स से ये खुलासा हुआ है.
इजरायली स्पायवेयर पेगासस के जरिये राहुल गांधी समेत कई प्रमुख हस्तियों, पत्रकारों आदि की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के मामले को लेकर कांग्रेस के अलावा अन्य दलों ने भी स्वतंत्र जांच की मांग की है.
मालूम हो कि द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि लीक किया हुआ डेटा दिखाता है कि भारत में इस संभावित हैकिंग के निशाने पर बड़े मीडिया संस्थानों के पत्रकार, जैसे हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक शिशिर गुप्ता सहित समेत इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस के कई नाम शामिल हैं.
इनमें द वायर के दो संस्थापक संपादकों समेत तीन पत्रकारों, दो नियमित लेखकों के नाम हैं. इनमें से एक रोहिणी सिंह हैं, जिन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह के कारोबार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी कारोबारी निखिल मर्चेंट को लेकर रिपोर्ट्स लिखने के बाद और प्रभावशाली केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बिजनेसमैन अजय पिरामल के साथ हुए सौदों की पड़ताल के दौरान निशाने पर लिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)