एमनेस्टी इंटरनेशनल ने झूठी ख़बरों को लताड़ा, कहा- पेगासस प्रोजेक्ट के तथ्यों के साथ हैं

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी इज़रायल इकाई द्वारा जारी एक हिब्रू बयान को ग़लत तरीके से उद्धृत करने, ग़लत अनुवाद करने और ग़लत व्याख्या करने वाली कुछ वेबसाइटों की ख़बरों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है. संगठन की ओर से कहा गया है कि इन ख़बरों का इस्तेमाल मोदी सरकार द्वारा उन आरोपों को ख़ारिज करने के प्रयास में किया जा रहा है कि भारत में एक आधिकारिक एजेंसी पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं की जासूसी कर रही है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी इज़रायल इकाई द्वारा जारी एक हिब्रू बयान को ग़लत तरीके से उद्धृत करने, ग़लत अनुवाद करने और ग़लत व्याख्या करने वाली कुछ वेबसाइटों की ख़बरों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है. संगठन की ओर से कहा गया है कि इन ख़बरों का इस्तेमाल मोदी सरकार द्वारा उन आरोपों को ख़ारिज करने के प्रयास में किया जा रहा है कि भारत में एक आधिकारिक एजेंसी पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं की जासूसी कर रही है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: पेगासस प्रोजेक्ट और उसके लीक हुए डेटाबेस पर एमनेस्टी इंटरनेशनल इजरायल द्वारा जारी एक हिब्रू बयान को गलत तरीके से उद्धृत करने, गलत अनुवाद करने और गलत व्याख्या करने वाली कुछ वेबसाइट की खबरों का इस्तेमाल मोदी सरकार द्वारा उन आरोपों को ख़ारिज करने के प्रयास में किया जा रहा है कि भारत में एक आधिकारिक एजेंसी पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं की जासूसी कर रही है.

की रिपोर्ट को मोदी सरकार द्वारा उन आरोपों को खारिज करने के प्रयास में इस्तेमाल किया जा रहा है कि भारत में एक आधिकारिक एजेंसी पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं की जासूसी कर रही है.

पेगासस प्रोजेक्ट के संबंध में सोशल मीडिया पर झूठे आरोप और गलत मीडिया खबरों के जवाब में गुरुवार दोपहर को जारी एक तीखे शब्दों वाले आधिकारिक बयान में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल साफ तौर पर पेगासस प्रोजेक्ट के निष्कर्षों पर कायम है और डेटा निर्विवाद रूप से एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के संभावित लक्ष्यों से जुड़ा हुआ है. सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही झूठी अफवाहों का उद्देश्य पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के व्यापक गैरकानूनी निगरानी से ध्यान हटाना है, जो पेगासस प्रोजेक्ट ने सामने लाया है.’

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि वह जल्द ही एमनेस्टी इंटरनेशनल इजराइल के बयान का अंग्रेजी अनुवाद जारी करेगा.

द वायर  ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इजरायल के प्रवक्ता गिल नावे से भी बात की, जिन्होंने पुष्टि की कि संगठन के हिब्रू बयान को इजरायल में मीडिया के एक वर्ग द्वारा गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया था और गलत तरीके से अंग्रेजी में कोट किया जा रहा है.

नावे ने कहा कि एमनेस्टी के हिब्रू बयान में पेगासस प्रोजेक्ट के लीक डेटा को ठीक उसी तरह परिभाषित किया गया है, जैसे वैश्विक जांच का हिस्सा रहे 17 मीडिया संगठनों ने रिपोर्ट किया है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल पेगासस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है और इसकी तकनीकी लैब ने डेटाबेस पर व्यक्तियों द्वारा संचालित 67 फोन नंबरों की फोरेंसिक जांच की है, जिनमें से 37 में पेगासस हैक के सफल या प्रयास के सबूत पाए गए हैं.

पेगासस एक मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर है, जिसे इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा दुनियाभर की सरकारों को बेचा जाता है. कंपनी अपने ग्राहकों की पहचान का खुलासा नहीं करती है, लेकिन पत्रकारों, एक विपक्षी नेता और अन्य लोगों के स्मार्टफोन पर पेगासस संक्रमण की उपस्थिति इस बात का सबूत है कि स्पायवेयर को भारत में किसी आधिकारिक एजेंसी या एजेंसियों द्वारा तैनात किया गया है.

झूठी कहानियों में से एक यह है कि एमनेस्टी का कहना है कि फोन नंबरों की सूची एनएसओ ग्राहकों की ओर संकेत कर रही है.

नावे ने द वायर  को बताया कि यह एक गलत अनुवाद है और उन्होंने अपने बयान में जो कहा था वह यह है कि यह उन नंबरों की सूची है, जिनमें कंपनी के ग्राहकों ने रुचि व्यक्त की है, जिसमें पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिक विरोधी, वकील आदि शामिल हैं.

एमनेस्टी इजरायल ने 17 मीडिया संगठनों द्वारा कही जा रही इस बात को भी दोहराया कि उसने सूची को कभी भी उन नंबरों की सूची के रूप में पेश नहीं किया कि वे एनएसओ के पेगासस स्पायवेयर का शिकार हुए ही हैं. उसने कहा कि हो सकता है कि कुछ मीडिया संगठनों ने ऐसा किया हो.

उसने कहा, ‘एमनेस्टी और जांच में शामिल पत्रकारों ने शुरुआत से ही बहुत ही स्पष्ट शब्दों में यह साफ कर दिया था कि यह एक ऐसी सूची है जो एसएसओ के ग्राहकों, जो कि अलग-अलग सरकारें हैं, द्वारा लक्षित किए गए या संभावित तौर पर लक्षित किए गए.’

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)