आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोपों में दो प्रमुख मीडिया समूहों- दैनिक भास्कर और उत्तर प्रदेश के हिंदी समाचार चैनल भारत समाचार के परिसरों पर बीते 22 जुलाई को छापा मारा था. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि दैनिक भास्कर द्वारा कोविड-19 महामारी पर की गई उस गहन रिपोर्टिंग की पृष्ठभूमि के ख़िलाफ़ ये छापेमारी की गई हैं, जिसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा घोर कुप्रबंधन और मानव जीवन के भारी नुकसान को सामने लाया गया था.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने शुक्रवार को कहा कि वह चिंतित है कि स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल ‘दबाव बनाने के हथकंडे’ के रूप में किया जा रहा है.
आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोपों में दो प्रमुख मीडिया समूहों- ‘दैनिक भास्कर’ और उत्तर प्रदेश के हिंदी समाचार चैनल ‘भारत समाचार’ के विभिन्न शहरों में स्थित परिसरों पर बीते 22 जुलाई को छापे मारे थे. इसके बाद एडिटर्स गिल्ड की यह टिप्पणी आई है.
गिल्ड ने एक बयान में कहा, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया 22 जुलाई को देश के प्रमुख समाचार पत्र समूह दैनिक भास्कर के साथ-साथ लखनऊ के एक समाचार चैनल भारत समाचार के कार्यालयों पर आयकर छापों को लेकर चिंतित है.’
The Editors Guild of India is concerned about the Income Tax raids on July 22, at the offices of country’s leading newspaper group, Dainik Bhaskar, as well as a Lucknow based independent news channel, Bharat Samachar. pic.twitter.com/bkJM24TVfn
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) July 23, 2021
उसने कहा, ‘दैनिक भास्कर द्वारा (कोविड-19) महामारी पर की गई उस गहन रिपोर्टिंग की पृष्ठभूमि के खिलाफ ये छापेमारी की गई हैं, जिसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा घोर कुप्रबंधन और मानव जीवन के भारी नुकसान को सामने लाया गया था.’
उसने दावा किया कि हाल में इसके द्वारा आयोजित एक वेबिनार में दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संपादक ओम गौर ने कहा था कि राज्य अधिकारियों की हालिया आलोचनात्मक कवरेज के बाद सरकारी विभागों से उनके विज्ञापनों को काट दिया है.
गिल्ड ने कहा, ‘उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक ऑप-एड भी लिखा था, जिसका शीर्षक था ‘द गंगा इज रिटर्निंग द डेड. इट डज नॉट लाइ.’
गिल्ड ने कहा, ‘हम इसलिए चिंतित हैं कि सरकारी एजेंसियों को स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए एक जबरदस्त उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह पेगासस स्पायवेयर का उपयोग कर पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं की व्यापक निगरानी पर हालिया मीडिया रिपोर्टों को देखते हुए और अधिक परेशान करने वाला है.’
गौरतलब है कि द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इजरायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत समाचार पर छापेमारी को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने कहा, ‘आयकर अधिकारियों द्वारा इस पर इसलिए छापामारी की, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के उन चुनिंदा चैनलों में से एक है, जो कोविड-19 प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार से कठिन सवाल कर रहा था.’
गिल्ड ने कहा, ‘इन छापों का समय दोनों संगठनों द्वारा हाल में की गई महत्वपूर्ण कवरेज को से संबंधित है.’
गिल्ड ने कहा कि फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न्यूजक्लिक के कार्यालय पर छापे मारे थे, जो किसान आंदोलन और नागरिक संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर रिपोर्टिंग करने में सबसे आगे था.’ ‘’
गिल्ड ने कहा कि भारत को प्रेस की स्वतंत्रता की अपनी लंबी परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहिए और पत्रकारों को सार्वजनिक हित के मामलों पर स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट करने की अनुमति देनी चाहिए.
गौरतलब है कि फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय ने कई दिनों तक दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र मीडिया पोर्टल न्यूजक्लिक से जुड़े कई अधिकारियों और पत्रकारों के आवासों पर छापेमारी की थी.
दैनिक भास्कर के मामले में भोपाल, जयपुर, अहमदाबाद और नोएडा समेत 30 स्थानों पर छापेमारी की गई. दैनिक भास्कर समूह की मौजूदगी 12 राज्यों में हैं और यह हिंदी, गुजराती तथा मराठी में समाचार-पत्रों का प्रकाशन करता है. यह सात राज्यों में 30 रेडियो केंद्रों का भी संचालन करता है और छह वेब पोर्टल तथा चार मोबाइल फोन ऐप के साथ इसकी ऑनलाइन उपस्थिति भी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)