काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए ज्ञानवापी मस्जिद ने अपने परिसर के पास की ज़मीन दी

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से करीब 15 मीटर की दूरी पर स्थित प्लॉट काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को सौंप दिया है. मस्जिद के अधिकारी ने कहा कि ट्रस्ट ने कई साल पहले वाराणसी में मंदिर कॉरिडोर परियोजना के लिए इसकी मांग की थी.

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद. (फोटो: डॉ. एपी सिंह/फाइल)

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से करीब 15 मीटर की दूरी पर स्थित प्लॉट काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को सौंप दिया है. मस्जिद के अधिकारी ने कहा कि ट्रस्ट ने कई साल पहले वाराणसी में मंदिर कॉरिडोर परियोजना के लिए इसकी मांग की थी.

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद. (फोटो: डॉ. एपी सिंह/फाइल)

लखनऊ: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का संचालन करने वाली समिति ने उसी इलाके में दूसरी जमीन के बदले में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को मस्जिद परिसर के बाहर की एक जमीन का टुकड़ा सौंप दे दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के अधिकारियों ने कहा कि मस्जिद द्वारा दी गई जमीन इससे पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस को देखते हुए पुलिस नियंत्रण कक्ष बनाने के लिए प्रशासन को एक स्थायी पट्टे पर दी गई थी.

मस्जिद के एक अधिकारी ने कहा कि मंदिर ट्रस्ट ने कई साल पहले वाराणसी में मंदिर कॉरिडोर परियोजना के लिए इसकी मांग की थी.

मस्जिद परिसर से लगभग 15 मीटर की दूरी पर स्थित इस भूखंड की कीमत इसके बदले दी गई जमीन के बराबर है, लेकिन इसका आकार बड़ा है. मस्जिद द्वारा दी गई जमीन, जहां 1700 वर्ग फीट है, वहीं बदले में मिली जमीन 1000 वर्ग फीट है.

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के संयुक्त सचिव और ज्ञानवापी मस्जिद के संरक्षक एसएम यासिन ने कहा कि सौंपी गई जमीन मस्जिद से जुड़ी हुई नहीं है और अलग है.

यासिन ने कहा, ‘ज्ञानवापी मस्जिद समिति के तहत तीन भूखंड हैं. उनमें से एक में मस्जिद है, तो दूसरा भूखंड दो पूजा स्थलों के बीच एक सामान्य रास्ता है. बाबरी मस्जिद गिराए जाने के एक साल बाद दोनों जगहों की सुरक्षा के लिए कंट्रोल रूम बनाने के लिए तीसरा प्लॉट जिला प्रशासन को सौंपा गया था.’

उस जगह पर मौजूद पुलिस कंट्रोल रूम को अब परियोजना के लिए ध्वस्त कर दिया गया है.

यासीन ने कहा कि उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के मालिकाना हक वाली जमीन को असीमित समय के लिए और बिना किसी लेन-देन के पट्टे पर दिया गया था.

मंदिर ट्रस्ट ने कुछ साल पहले यह जमीन देने के लिए हमसे अनुरोध किया था और ऐसे ट्रांसफर के लिए नियमों की जांच करने के बाद हमने इसे 8 जुलाई को सौंप दिया.

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा कि मंदिर ट्रस्ट को दी गई जमीन व्यावसायिक थी और कहीं अधिक कीमती थी. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने हमसे वह मांगा, क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए उसकी जरूरत थी.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील वर्मा ने कहा कि यह ट्रांसफर ट्रस्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच हुआ है.

वर्मा ने कहा, ‘जमीन का मस्जिद से कोई संबंध नहीं है. वक्फ की संपत्ति होने के कारण यह जमीन खरीदी नहीं जा सकती थी तो हमने इसका लेन-देन कर लिया जो कि कीमत के आधार पर किया गया. मस्जिद को सौंपी गई जमीन अब तक श्री काशी विश्वनाथ विशेष क्षेत्र विकास बोर्ड के अधीन थी.’

यह घटनाक्रम वाराणसी की एक स्थानीय अदालत द्वारा विवादित काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण के आदेश के तीन महीने बाद आया है.

इस सर्वेक्षण का आदेश इसलिए दिया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके किए फिलहाल विवादित स्थल पर खड़ी धार्मिक संरचना मूल संरचना है या किसी अन्य संरचना के ऊपर खड़ा किया गया है.

यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत इस तरह के मुकदमे पर रोक है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है.

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