पेगासस जासूसी विवाद को लेकर गठित जांच आयोग के दो सदस्य कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा, लेकिन केंद्र हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है, इसलिए हमने एक जांच आयोग गठित करने का फैसला किया. पश्चिम बंगाल ऐसा क़दम उठाने वाला पहला राज्य है.
कोलकाता: पेगासस जासूसी विवाद को लेकर केंद्र के साथ टकराव के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए दो सदस्यीय जांच आयोग की घोषणा की.
कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर आयोग के दो सदस्य हैं.
इस फैसले की घोषणा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के नई दिल्ली के लिए उड़ान भरने से कुछ समय पहले हुई, जहां वह 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा विरोधी दलों का गठबंधन बनाने के तरीकों का पता लगाने के लिए विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत करेंगी.
बनर्जी ने कहा, ‘मंत्रिमंडल ने 1952 के जांच आयोग अधिनियम की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई अवैध हैकिंग, निगरानी, निगरानी में रखने, पश्चिम बंगाल में विभिन्न व्यक्तियों के मोबाइल फोन की ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग के मामले में जांच आयोग के गठन को मंजूरी दी है.’
उन्होंने नई दिल्ली रवाना होने से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘वे इस बात की जांच करेंगे कि इस हैकिंग मामले में कौन शामिल हैं और वे इस अवैध गतिविधि को कैसे कर रहे हैं. साथ ही यह भी जांच करेंगे कि वे दूसरों को कैसे चुप करा रहे हैं.’
बनर्जी का दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात का कार्यक्रम है.
बता दें कि जांच आयोग अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य दोनों जांच शुरू कर सकते हैं.
अधिनियम के अनुसार, हालांकि अगर केंद्र सरकार ने इस तरह की जांच का आदेश दिया है, ‘कोई भी राज्य सरकार, केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ छोड़ कर, एक ही मामले की जांच के लिए एक और आयोग का गठन नहीं करेगी, जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग काम कर रहा हो.”
इसमें यह भी कहा गया है कि यदि किसी राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया है, ‘केंद्र सरकार उसी मामले की जांच के लिए दूसरे आयोग को तब तक नियुक्त नहीं करेगी जब तक कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त आयोग काम कर रहा हो, जब तक कि केंद्र सरकार की यह राय न हो कि जांच का दायरा दो या दो से अधिक राज्यों तक बढ़ाया जाना चाहिए.’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के इस कदम को केंद्र को व्यापक जांच का आदेश देने के लिए मजबूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि सूची में संभावित लक्ष्यों में कई राज्यों के लोग शामिल हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा या इस फोन-हैकिंग मामले की जांच के लिए अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा, लेकिन केंद्र हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है, इसलिए हमने जांच के लिए एक आयोग गठित करने का फैसला किया. पश्चिम बंगाल इस मामले में कदम उठाने वाला पहला राज्य है.’
बनर्जी ने कहा कि आयोग यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि फोन हैक करने में कौन-कौन शामिल हैं और वे इसे कैसे कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि साथ ही इस अवैध गतिविधि को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर भी गौर करना जरूरी है.
उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी, आपको कुछ लोगों को जगाने की जरूरत होती है, जब वे सो रहे हों. मेरा मानना है कि हमारे (पश्चिम बंगाल सरकार) द्वारा उठाया गया यह छोटा कदम दूसरों को जगाएगा. मैं जस्टिस भट्टाचार्य और लोकुर साहब से तुरंत जांच शुरू करने का अनुरोध करूंगी.’
उन्होंने कहा, ‘पेगासस लक्ष्य सूची में पश्चिम बंगाल के लोगों के नाम शामिल हैं. पश्चिम बंगाल के पत्रकार हैं, जिनके फोन टैप किए गए हैं. हमें यह भी पता लगाने की जरूरत है कि इस स्पायवेयर से न्यायपालिका में कौन प्रभावित हुए.’
बता दें कि द वायर और 16 मीडिया सहयोगियों की एक पड़ताल के मुताबिक, इजराइल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.
यह खुलासा सामने आने के बाद देश और दुनिया भर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया. लीक डेटा के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान टीएमसी सांसद एवं मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर स्पायवेयर के संभावित निशाने पर थे.
इसी बीच, नंदीग्राम से भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने पूर्वी मेदिनीपुर में एक रैली के दौरान कथित तौर पर दावा किया था कि उसके पास सभी का कॉल रिकॉर्ड है, जो भतीजे के कार्यालय से कॉल करते हैं.
शुभेंदु अधिकारी ने ऐसा कहते हुए पूर्वी मेदिनीपुर के पुलिस प्रमुख अमरनाथ के. का स्थानांतरण कश्मीर के अनंतनाग या बारामूला हो जाने की चेतावनी दी थी. राज्य पुलिस ने इसे संज्ञान में लेकर उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया है.
बहरहाल बीते सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के अलावा टीएमसी नेताओं ने पेगासस मामले को संसद में जिंदा रखने का सार्वजनिक आह्वान किया और दोनों ही सदनों में विरोध कर रहे हैं.
बीते रविवार 25 जुलाई को कांग्रेस ने एक ट्वीट कर कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले स्पायवेयर द्वारा टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी को निशाना बनाया गया था और कांग्रेस के इस ट्वीट का टीएमसी ने स्वागत किया. टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उसे रिट्वीट भी किया.
#KhelaHobe ⚽️ https://t.co/yi8bs0Q3XV
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) July 25, 2021
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पेगासस जासूसी विवाद को लेकर 21 जुलाई को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर देश को ‘निगरानी वाला राष्ट्र’ बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में ‘निरंकुश’ भाजपा सरकार को हटाने के लिए विपक्षी एकता पर बल दिया था.
उन्होंने कहा था कि स्पायवेयर का इस्तेमाल करके नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों आदि को निशाना बनाने वाले कथित जासूसी प्रकरण का संज्ञान ले. उन्होंने विपक्षी दलों से कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए सभी को साथ आना होगा.
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष बनर्जी ने कोलकाता में शहीद दिवस रैली को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कहा था, ‘भाजपा एक लोकतांत्रिक देश को कल्याणकारी राष्ट्र के बजाय निगरानी वाले राष्ट्र में बदलना चाहती है.’
उस समय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में बैठे विपक्षी नेता डिजिटल तरीके से उक्त कार्यक्रम से जुड़े थे जहां बनर्जी के भाषण का प्रसारण बड़ी स्क्रीन के जरिये हो रहा था.
उन नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के तिरुचि शिवा, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज के झा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, टीआरएस के केशव राव, शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी और अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंदर शामिल थे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को अपने पांच दिवसीय दौरे के लिए दिल्ली पहुंचीं. तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहला दिल्ली दौरा है. माना जा रहा है कि इस दौरान वह पेगासस मामले के साथ ही विपक्षी एकजुटता के एजेंडे पर आगे बढ़ेंगी.
जांच आयोग में आमने-सामने आए भाजपा और टीएमसी
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेता अमित मालवीय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्यों बनर्जी इतनी तेजी चुनाव उपरांत हिंसा और कोविड-19 से जुड़े मामलों की जांच में नहीं दिखाती.
उन्होंने कहा, ‘हम क्यों इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि ममता बनर्जी ने फर्जी ‘पेगासस परियोजना’ के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है? उनकी प्राथमिकता हमेशा विकृत रही है. काश उन्होंने इतनी ही तत्परता चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा और कोविड-19 के नाम पर हुए कई घोटालों की जांच पर दिखाई होती.’
पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने राज्य सरकार से सफाई मांगी है क्या ‘कोई पुलिस आयुक्त 10 साल में जासूसी उपकरण खरीदने इजराइल गया’ है .
उन्होंने कहा, ‘मुकुल रॉय ने वर्ष 2017 में भाजपा में शामिल होने के बाद अपना फोन टैप होने का आरोप लगाया था. राज्य सरकार को साफ करना चाहिए कि क्या कोई पुलिस आयुक्त गत 10 साल में जासूसी उपकरण खरीदने इजराइल गया था.’
पेगासस स्पायवेयर का निर्माण इजराइली कंपनी ने किया है.
तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि, केंद्र की भाजपा सरकार से परिपाटी का अनुकरण करने और दूसरों को उपदेश देने के बजाय कथित जासूसी कांड की जांच कराने की मांग की है.
लोकसभा में तृणमूल पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘ममता बनर्जी ने आज उदाहरण पेश किया है कि सच को सामने लाने के लिए क्या किया जा सकता है. केंद्र की भाजपा सरकार इस घटना में शामिल है और मामले को दबाने की कोशिश कर रही है. केंद्र को अपनी बेगुनाही साबित करनी चाहिए और बताना चाहिए कि किसने और कैसे इस सॉफ्टवेयर का इस्तमाल किया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)