असम के बराक घाटी के ज़िले कछार, करीमगंज और हैलाकांडी, पड़ोसी राज्य मिज़ोरम के तीन जिलों- आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. दोनों राज्य एक दूसरे पर अपनी ज़मीनों पर अतिक्रमण का आरोप लगाते रहे हैं. बीते 26 जुलाई की शाम कछार ज़िले के लैलापुर से सटे मिज़ोरम के कोलासिब ज़िले के वैरेंग्टे में हिंसा भड़की थी, जिसमें छह पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी.
गुवाहाटी/नई दिल्ली: सीमा विवाद के बीच असम सरकार ने बीते गुरुवार को यात्रा परामर्श (एडवाइजरी) जारी करके राज्य के लोगों से अशांत परिस्थितियों के मद्देनजर मिजोरम की यात्रा से बचने और वहां काम करने वाले और रहने वाले राज्य के लोगों से ‘अत्यंत सावधानी बरतने’ को कहा है.
किसी भी राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया इस तरह का यह शायद पहला परामर्श है.
असम गृह सचिव एमएस मणिवन्नन द्वारा जारी परामर्श में कहा गया, ‘मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए असम के लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मिजोरम की यात्रा न करें, क्योंकि यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि असम के लोगों को कोई भी खतरा उत्पन्न हो.’
परामर्श में इस बात का उल्लेख किया गया है कि असम और मिजोरम के सीमावर्ती इलाके में हिंसक झड़प की कई घटनाएं हुई हैं, जिसमें छह पुलिसवालों की मौत हो चुकी है और कई घायल हुए हैं.
एडवाइजरी में कहा गया है कि असम और मिजोरम की सीमा पर कई जगहों पर हिंसक झड़प हुई हैं. हालिया झड़पें असम के तीन जिलों कछार करीमगंज और हैलाकांडी में हुई हैं.
असम गृह सचिव ने कहा, ‘कई मिजो सिविल सोसाइटी, छात्र और युवा संगठन असम एवं यहां के निवासियों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं. असम पुलिस के उपलब्ध वीडियो फुटेज से यह स्पष्ट होता है कि कई नागरिक ऑटोमैटिक हथियारों से लैस हैं.’
वहीं असम सरकार द्वारा जारी एक अलग आदेश में कामरूप मेट्रो और कछार के पुलिस उपायुक्तों, गुवाहाटी पुलिस आयुक्त और कछार पुलिस अधीक्षक को राज्य में मिजोरम के सभी लोगों और गुवाहाटी तथा सिचलर में मिजोरम हाउसेस में रह रहे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया है.
असम के बराक घाटी के जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडी, मिजोरम के तीन जिलों- आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं.
यह नवीनतम संघर्ष असम के कछार जिले के लैलापुर गांव और पड़ोसी मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरेंग्टे गांव के स्थानीय लोगों के बीच तनाव की परिणति थी.
देश के लिए शर्मसार करने वाला दिन: कांग्रेस
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने कहा कि यह देश के लिए शर्मसार करने वाला दिन है, क्योंकि असम और मिजोरम के बीच सीमा पर तनाव के बीच एक राज्य को अपने यहां के लोगों को दूसरे राज्य की यात्रा को लेकर एक परामर्श जारी करना पड़ा है.
देश के इतिहास में सबसे शर्मसार करने वाला दिन!
जब देशवासी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में न जा पाएँ, तो क्या मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को अपने पद पर बने रहने का अधिकार है?
मोदी है तो यही मुमकिन है !#AssamMizoramBorderTension https://t.co/fqV42EE60O
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 29, 2021
कांग्रेस महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने असम सरकार द्वारा राज्य के लोगों को मिजोरम की यात्रा से बचने के लिए जारी किये गए परामर्श का हवाला देते हुए कहा कि देश में यह सब संभव है, जब नरेंद्र मोदी हों.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘देश के इतिहास में सबसे शर्मसार करने वाला दिन. जब देशवासी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में न जा पाएं, तो क्या मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को अपने पद पर बने रहने का अधिकार है? मोदी है तो यही मुमकिन है.’
दोनों राज्यों के बीच वर्षों पुराना है सीमा विवाद
दरअसल दोनों राज्य एक दूसरे पर उनकी सीमाओं में अतिक्रमण का आरोप लगाते हैं. दरअसल, दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का मसला बहुत पुराना और मिजोरम के असम से अलग होने के साथ ही शुरू हो गया था.
1972 में एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग किए जाने से पहले मिजोरम, असम राज्य का हिस्सा था.
20 फरवरी 1987 को तत्कालीन भूमिगत मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और केंद्र के बीच मिजोरम समझौते के बाद यह (मिजोरम) भारत का 23वां राज्य बना था और इसके साथ ही राज्य में 20 साल का विद्रोह समाप्त हो गया.
मौजूदा असम और मिजोरम के बीच 164 किमी सीमा ब्रिटिश जमाने से ही है जब मिजोरम को असम के एक जिले लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था.
विवाद 1875 की एक अधिसूचना से उपजा है, जो लुशाई हिल्स को कछार के मैदानी इलाकों से अलग करता है, जबकि 1933 की एक अन्य अधिसूचना ने उस विवाद को बढ़ाने का काम किया, जिसके तहत लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच एक सीमा निर्धारित कर दी गई.
इस बीच मिजोरम के उपमुख्यमंत्री तावनलुइया ने कहा है कि उनकी सरकार इस दावे पर किसी भी मुकदमे का सामना करने को तैयार है कि उसने पड़ोसी राज्य असम के क्षेत्र में अतिक्रमण किया है.
उपमुख्यमंत्री का बयान असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के ‘अतिक्रमण संबंधी’ आरोपों को खारिज करने के रूप में आया है. शर्मा ने बीते मंगलवार को कहा था कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय जाएगी.
राज्य सरकार द्वारा पिछले सप्ताह गठित सीमा आयोग के अध्यक्ष तावनलुइया ने संवाददाताओं से बातचीत में मिजोरम द्वारा पड़ोसी राज्य के क्षेत्र में अतिक्रमण किए जाने से इनकार किया.
उन्होंने कहा, ‘हम कानूनी अदालत में सुनवाई के लिए तैयार हैं. हमारे पास अपने रुख को साबित करने के लिए वैध दस्तावेज हैं.’
दोनों राज्यों की क्षेत्रीय सीमा को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं हैं. मिजोरम का मानना है कि उसकी सीमा तराई क्षेत्र के लोगों के प्रभाव से आदिवासियों को बचाने के लिए 1875 में खींची गई इनर लाइन तक है, जबकि असम 1930 के दशक में किए गए जिला रेखांकन सर्वेक्षण को मानता है.
भाजपा-कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप
असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के साथ कई दशकों से लंबित सीमा विवाद के लिए पिछली कांग्रेस सरकारें जिम्म्मेदार हैं. भाजपा ने कहा कि कांग्रेस ने विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने की बजाय उनसे भागने का रवैया अपनाया.
वहीं, कांग्रेस ने इस आरोप पर पलटवार करते हुए पूछा कि पिछले कुछ सालों में केंद्र की भाजपा सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए क्या किया है. गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता पवित्रा मार्गेट्रिया ने कहा कि असम और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच सीमा विवाद कांग्रेस की देन है.
उन्होंने कहा कि असम के क्षेत्र की कई लाख हेक्टेयर भूमि पर सीमावर्ती राज्यों द्वारा पिछले कुछ वर्षों में अवैध कब्जा कर लिया गया, क्योंकि ज्यादातर समय तक सत्ता में रही कांग्रेस ने इन मुद्दों से बच निकलने का रवैया अपनाया.
मार्गेट्रिया ने कहा, ‘ऐसे कई वाकये हैं, जब पड़ोसी राज्यों के आक्रमण से सीमा पर रहने वाले हमारे राज्य के लोगों को जानमाल का नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन कांग्रेस ने इसके लिए कुछ नहीं किया.’
उन्होंने दावा किया कि वर्तमान में हिमंता बिस्वा शर्मा की सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि असम की एक इंच भूमि भी किसी और के कब्जे में न जाए.
मार्गेट्रिया ने मिजोरम कांग्रेस पर ट्विटर पर असम के विरुद्ध ‘हैशटैग’ चलाने का भी आरोप लगाया.
इन आरोपों का खंडन करते हुए असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और वरिष्ठ प्रवक्ता अपूर्व कुमार भट्टाचार्जी ने कहा कि एक चुनी हुई सरकार पिछली सरकारों पर इल्जाम लगा कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती.
उन्होंने कहा कि अगर एक क्षण के लिए यह मान भी लें कि कांग्रेस ने ये समस्या पैदा की तो वे (भाजपा नेता) इतने लंबे समय से खामोश क्यों थे. भाजपा केंद्र में वर्ष 2014 और असम में वर्ष 2016 से सत्तारूढ़ है. उनके द्वारा इस मुद्दे को हल करने के लिए क्या पहल की गई.
24 जुलाई को पूर्वोत्तर के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जोर-शोर से घोषणा की थी कि नरेंद्र मोदी सरकार क्षेत्र के सभी सीमा संबंधी विवादों को सुलझाना चाहती है. उनके इस बयान को 48 घंटे भी नहीं बीते थे कि असम और मिजोरम की सीमा पर बनी हुई तनावपूर्ण स्थिति गंभीर हो गई और हिंसा में असम पुलिस के छह जवानों ने जान गंवा दी. असम पुलिस के 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.
26 जुलाई की शाम करीब 4:45 बजे जब असम के कछार जिले के लैलापुर से सटे मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरेंग्टे में हिंसा भड़की, ठीक उसी समय ट्विटर पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों- ज़ोरमथांगा और हिमंता बिस्वा शर्मा में जबानी जंग छिड़ी हुई थी.
असम-मिजोरम सीमा पर तनाव की स्थिति बीते दो महीनों से बरकरार है. इस महीने के शुरुआत में आई मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि तब मिजोरम के 25-30 लोगों ने असम में जमीन पर अतिक्रमण करने की कोशिश की थी, असम पुलिस के अनुसार जिसके बाद आईईडी से कई धमाके किए गए थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, असम पुलिस ने दावा किया था कि ये विस्फोट कछार जिले में हुए थे और कथित तौर पर खुलिचेरा इलाके में अतिक्रमण हटाने के दौरान ‘मिजोरम के उपद्रवियों द्वारा’ किए गए थे.
लैलापुर और वैरेंग्टे क्षेत्र में हिंसा की आखिरी घटना का अक्टूबर 2020 में हुई थी, जब दोनों ओर के नागरिक झड़पों में शामिल थे. लगभग उसी समय असम के करीमगंज, जो मिजोरम के मामित जिले से सटा हुआ है, की ओर से इसी तरह की हिंसा की घटना सामने आई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)