घटना नागपुर की है, जहां 38 वर्षीय महेश शालिकराम राउत ने ज़हर खाकर जान दे दी. उनके भाई का आरोप है कि महेश द्वारा स्थानीय झगड़े की शिकायत करने के बाद उन्हें पुलिस ने पीटा, जिससे अवसाद में आकर उन्होंने यह कदम उठाया. पुलिस ने इससे इनकार करते हुए दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया है.

नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार को कथित तौर पर आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के परिजन ने मंगलवार को दावा किया कि उक्त व्यक्ति को पुलिस द्वारा पीटा गया था, जिससे वह अवसाद में था और इसी के चलते उसने आत्मघाती कदम उठाया.
रघुजी नगर इलाके में स्थित अपने घर में महेश शालिकराम राउत (38) ने सोमवार रात को जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. उसके भाई शैलेश राउत ने कहा कि महेश ने उस दिन शाम को पुलिस नियंत्रण कक्ष में कॉल कर मानसिक रूप से अस्वस्थ एक व्यक्ति को सुबह में एक महिला द्वारा पीटे जाने की जानकारी दी थी.
शैलेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘महेश ने सोमवार शाम को नियंत्रण कक्ष में फोन किया था और वहां से दो बीट मार्शलों को भेजा गया था. पुलिस के दोनों कर्मियों ने महेश से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने किसी कारण से फोन नहीं उठाया. इसके बाद दोनों घर आये और उन्होंने मेरे भाई को पीटा जिससे वह अपमानित महसूस कर रहा था और अवसाद में चला गया था.’
उन्होंने कहा कि महेश ने सोमवार रात को जहर खाकर आत्महत्या कर ली जिसके बाद हुडकेश्वर पुलिस थाने ने दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया.
राउत के परिजन द्वारा हुडकेश्वर पुलिस थाने के बाहर प्रदर्शन होने के बाद पुलिस उपायुक्त (जोन चार) अक्षय शिंदे ने कहा कि अपराध शाखा इस घटना और परिजनों के आरोपों की जांच करेगी. डीसीपी ने कहा कि अगर पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राउत के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं, जिनकी उम्र पांच और दो साल है. पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने महेश के साथ मारपीट नहीं की थी.
नागपुर के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया, ‘राउत ने शाम 7 बजे नियंत्रण कक्ष में हुडकेश्वर इलाके में झगड़े के बारे में फोन किया था. दो बीट मार्शल प्रदीप आलम और किशोर शिराड ने मौके पर जाकर कथित घटना की जानकारी ली. हालांकि, उन्होंने पाया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था. इसलिए उन्होंने उस नंबर पर कॉल किया जहां से अलर्ट आया था. नंबर से कोई जवाब नहीं आया.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन राउत के पड़ोस के एक व्यक्ति ने उसका नंबर अपने मोबाइल फोन में सेव कर रखा था. राउत की कॉल करने वाले के रूप में पहचान करने के बाद जिस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की गई थी, वह राउत के आवास पर गया और पूछा कि उसने पुलिस से शिकायत क्यों की. दोनों के बीच कहासुनी हो गई. पुलिस पर राउत के साथ मारपीट का आरोप पूरी तरह झूठा है. राउत पिछले 3-4 महीने से बेरोजगार था और अपने द्वारा किए गए फर्जी कॉल पर क्षेत्र के लोगों के सामने बेनकाब होने के कारण खुद को अपमानित महसूस कर रहा था, यही उनकी आत्महत्या का कारण हो सकता है.’
पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि राउत पर किसी तरह का हमला नहीं हुआ है.’
कुमार ने कहा, ‘ऐसा पहली बार नहीं हुआ था, जब राउत ने अपने पड़ोसी द्वारा कथित हमले के बारे में फोन किया था. इससे पहले भी उसने उस पड़ोसी के खिलाफ पुलिस को फोन किया था और पुलिस को शिकायत में कोई तत्व नहीं मिला था.’
वहीं, महेश के भाई ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘पूरे इलाके ने पुलिस को मेरे भाई पर हमला करते देखा है. अगर वे अब दावा कर रहे हैं कि उन्होंने उन्हें नहीं पीटा तो वे खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिस शाम साढ़े सात बजे के आसपास इलाके में आई थी और मेरे भाई पर झूठा कॉल करने का आरोप लगाते हुए उसकी पिटाई कर दी थी. लेकिन हकीकत यह है कि हमारे पड़ोस में रहने वाले मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को हमारे पड़ोसी ने पीटा था. महेश को मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति पर दया आ गई थी और वह इस घटना की पुलिस में शिकायत करना चाहता था. पुलिस द्वारा पिटाई किए जाने के बाद उसने खुद को अपमानित महसूस कर रहा था और फिर उसने आत्महत्या कर ली.’
शैलेश ने पुलिस आयुक्त के इस दावे का भी खंडन किया कि राउत पिछले कुछ महीनों से बेरोजगार थे. उन्होंने कहा, ‘वह दोपहिया वाहनों की बिक्री करने वाले आउटलेट में काम करते थे.’
एक महीने से भी कम समय में नागपुर में नागरिकों पर कथित पुलिस हमले का यह दूसरा मामला है. हाल ही में पुलिस द्वारा रुकने के लिए कहने के बाद एक नाकाबंदी गश्त को चकमा देने और तेजी से भागने के आरोप में पुलिस द्वारा कथित रूप से हमला किए जाने के बाद एक विकलांग व्यक्ति की मौत हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)