न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक से हिरासत में पूछताछ की क्यों ज़रूरत है: दिल्ली हाईकोर्ट

इस साल फरवरी में ईडी ने समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक कार्यालय के साथ-साथ संगठन से जुड़े कई अधिकारियों और पत्रकारों के आवासों पर छापेमारी की थी. ईडी ने कहा था कि छापे कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े थे और एजेंसी विदेश में संदिग्ध कंपनियों से संगठन को प्राप्त धन की जांच कर रही थी. अदालत ने प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ़्तारी से मिली अंतरिम सुरक्षा 17 दिसंबर तक बढ़ा दी है.

न्यूजक्लिक के मालिक प्रबीर पुरकायस्थ. (फोटो: यूट्यूब)

इस साल फरवरी में ईडी ने समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक कार्यालय के साथ-साथ संगठन से जुड़े कई अधिकारियों और पत्रकारों के आवासों पर छापेमारी की थी. ईडी ने कहा था कि छापे कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े थे और एजेंसी विदेश में संदिग्ध कंपनियों से संगठन को प्राप्त धन की जांच कर रही थी. अदालत ने प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ़्तारी से मिली अंतरिम सुरक्षा 17 दिसंबर तक बढ़ा दी है.

न्यूजक्लिक के मालिक प्रबीर पुरकायस्थ. (फोटो: यूट्यूब)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने विदेशी वित्त पोषण मामले में समाचार वेबसाइट न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम सुरक्षा 17 दिसंबर तक बढ़ा दी है और दिल्ली पुलिस से पूछा कि उनसे हिरासत में पूछताछ की क्या आवश्यकता है, जब आरबीआई की प्रथम दृष्टया जांच उनके पक्ष में है.

जस्टिस योगेश खन्ना ने पुरकायस्थ की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बृहस्पतिवार को कहा, ‘प्रथम दृष्टया आरबीआई के अनुसार कोई देरी आदि नहीं हुई. ऐसे में आपको उनसे हिरासत में पूछताछ की क्यों आवश्यकता है?’

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में मौजूद जांच अधिकारी ने जवाब दिया कि वह अब भी अन्य लेनदेन की पुष्टि कर रहे हैं और जांच अभी चल रही है.

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कानून का उल्लंघन करते हुए वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी अमेरिका से 9.59 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ.

अदालत ने प्राथमिकी में न्यूजक्लिक के निदेशक प्रांजल पांडे को दी अंतरिम सुरक्षा की अवधि भी बढ़ा दी है.

सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक मनजीत एस. ओबरॉय ने कहा कि विदेश में कुछ संस्थानों को अनुरोध पत्र भी भेजा गया है और इनके जवाब का इंतजार है तथा अन्य लोगों से भी पूछताछ की गई है. जांच करना, मामले की जांच कर रहे अधिकारी का विशेषाधिकार है.

अदालत ने पुलिस से मामले पर अंतिम जवाब मांगा और सवाल किया, ‘संस्थानों के जवाब से आप क्या करेंगे. 100 संस्थान हो सकते हैं. अंतिम जवाब दीजिए. मामले पर अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी. अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पुरकायस्थ का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने पुलिस की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार अदालत से इस आधार पर अपने मुवक्किल को दी गई अंतरिम सुरक्षा बढ़ाने का आग्रह किया था कि आरबीआई, जो संबंधित निकाय है, ने एक स्टैंड लिया है कि शेयर जारी करने में कोई देरी नहीं हुई थी और विदेशी फंडिंग से संबंधित लेन-देन कानून के अनुपालन में हुए थे.

दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि एक डिजिटल समाचार वेबसाइट में एफडीआई की 26 प्रतिशत की कथित सीमा से बचने के लिए कंपनी के शेयरों का बहुत अधिक मूल्य निर्धारण करके निवेश किया गया था और एफडीआई और देश के अन्य कानूनों का उल्लंघन किया गया था.

प्राथमिकी में आगे आरोप लगाया गया है कि इस निवेश का 45 प्रतिशत से अधिक वेतन/परामर्श, किराए और अन्य खर्चों के भुगतान के लिए डायवर्ट/निष्कासित किया गया था, जो कथित तौर पर गलत उद्देश्यों के लिए किए गए हैं.

कंपनी ने एक अन्य याचिका के माध्यम से पहले ही विदेशी फंडिंग के आरोपों पर दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी को इस आधार पर रद्द करने की मांग की है कि वह कथित रूप से किसी भी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करती है.

अदालत ने सात जुलाई को पुरकायस्थ और पांडे को जांच में शामिल होने का निर्देश देते हुए गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था.

उच्च न्यायालय ने 21 जून को प्रवर्तन निदेशालय को धन शोधन मामले में न्यूज पोर्टल और उसके प्रधान संपादक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था.

बता दें कि इस साल फरवरी में ईडी ने न्यूजक्लिक कार्यालय के साथ-साथ संगठन से जुड़े कई अधिकारियों और पत्रकारों के आवासों पर छापेमारी की थी. ईडी ने कहा था कि छापे कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े थे और एजेंसी विदेश में संदिग्ध कंपनियों से संगठन को प्राप्त धन की जांच कर रही थी.

कई मीडिया समूहों ने ईडी की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा था कि यह आलोचनात्मक पत्रकारिता को चुप कराने और आधिकारिक लाइन नहीं मानने वालों को डराने-धमकाने का प्रयास था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)