दिल्ली के द्वारका के सेक्टर 22 में हज हाउस निर्माण के विरोध में शुक्रवार को कई दक्षिणपंथी संगठनों ने महापंचायत का आयोजन किया था. इन संगठनों का आरोप है कि यह हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है और यहां हज हाउस के निर्माण से क्षेत्र में शांति बाधित होगी. प्रदर्शन स्थल पर मौजूद वक्ताओं ने कहा था कि हज हाउस का निर्माण ‘देश में आतंकवाद और मुस्लिम वर्चस्व में तब्दील’ होगा.
नई दिल्लीः दिल्ली के द्वारका में हज हाउस निर्माण के विरोध में शुक्रवार को दक्षिणपंथी संगठनों ने प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कानून की उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच जारी है.
बता दें कि हज हाउस निर्माण का कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन कट्टर दक्षिणपंथी समूह इसका विरोध करते हुए कह रहे हैं कि इससे क्षेत्र में शांति बाधित होगी.
द्वारका के भरथल चौक पर बन रहा हज हाउस दिल्ली का पहला है. अन्य राज्यों के विपरीत दिल्ली का अपना हज हाउस नहीं है. हालांकि, पुरानी दिल्ली में तुर्कमान गेट के पास एक जीर्ण-शीर्ण इमारत है, जिसे हज मंजिल के रूप में जाना जाता है, जिसे वार्षिक हज यात्रा से पहले भारतीय हज यात्रियों को उनके दस्तावेज जमा करने, पासपोर्ट के वितरण, शिविर की व्यवस्था और अन्य आवश्यकताओं में मदद करने के लिए सौंपा गया है.
हज हाउस के अभाव में तीर्थयात्रियों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ हर साल दिल्ली के रामलीला मैदान और दरगाह फैज इलाही में बनाए जाने वाले कैंपों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
हज हाउस निर्माण के विरोध में शुक्रवार को द्वारका के सेक्टर 22 में ‘हिंदू शक्ति संगठन’, ‘समस्त क्षेत्रवासी’, ‘संपूर्ण देहात’ और ‘फेडरेशन ऑफ द्वारका’ जैसे कई दक्षिणपंथी समूहों ने महापंचायत का आयोजन किया था.
क्लस्टर बस डिपो के पास हुए इस विरोध प्रदर्शन में आसपास के गांवों- जैसे पालम, धूल सिरस, भरथल, पोचनपुर और बमनोली और आसपास की डीडीए कॉलोनी में रहने वाले लोग भी इकट्ठा हुए थे.
प्रदर्शन स्थल पर शुक्रवार लगभग 10 बजे ही जय श्रीराम का नारा लगाते हुए लोग भरथल चौक पर इकट्ठा होने शुरू हुए और घंटेभर के भीतर लगभग हजार प्रदर्शनकारी वहां जुट गए. उनमें से कुछ बैनर लिए हुए थे, जिस पर लिखा था, ‘हज हाउस क्यों? स्कूल, कॉलेज या अस्पताल क्यों नहीं?’
प्रदर्शन स्थल पर मौजूद वक्ताओं ने कहा कि हज हाउस का निर्माण ‘देश में आतंकवाद और मुस्लिम वर्चस्व में तब्दील’ होगा. कुछ प्रदर्शनकारियों ने हज हाउस निर्माण के लिए करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल करने का भी विरोध किया.
प्रदर्शनकारियों से यह पूछने पर कि वह हज हाउस निर्माण का विरोध क्यों कर रहे हैं, इस पर एक शख्स ने कहा, ‘यह हिंदू समुदाय के साथ गलत है. यह हमारे लिए प्रताड़ना है. अगर मुस्लिमों को हज हाउस की जरूरत है तो इसका निर्माण निजामुद्दीन या ओखला जैसे इलाकों में क्यों नहीं कराया जा सकता, जहां वे रहते हैं?’
दिवंगत शीला दीक्षित के करीबी एक राजनेता के अनुसार, द्वारका में जगह का चुनाव हवाई अड्डे से इसकी निकटता की वजह से किया गया था, जहां से हज यात्री आसानी से अपनी यात्रा के लिए सऊदी अरब प्रस्थान कर सकते थे.
हर साल लगभग 20,000 तीर्थयात्री हज पर जाते हैं, देश में इस तीर्थयात्रा के लिए दिल्ली सबसे बड़ा प्रस्थान बिंदु है.
इस परियोजना की परिकल्पना 2008 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने की थी. दीक्षित ने हज हाउस की आधारशिला रखी थी और इसके लिए द्वारका के सेक्टर 22 में लगभग 5,000 वर्ग मीटर का एक प्लॉट आवंटित किया था.
एक दशक बाद 2018 में, अरविंद केजरीवाल सरकार ने परियोजना के लिए 94 करोड़ रुपये आवंटित किए.
बहरहाल हज हाउस के विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में ऐसे कई प्लॉट हैं, जो वक्फ बोर्ड के हैं और वहां पर हज हाउस का निर्माण किया सकता है.
उन्होंने कहा कि शहर में स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों की कमी है तो ऐसे में हज हाउस का निर्माण क्यों किया जा रहा है? गुप्ता ने कहा, ‘द्वारका के सेक्टर 22 में हज हाउस का निर्माण यहां के लोगों की इच्छा के खिलाफ किया जा रहा है.’
हज हाउसे के विरोध में ऑल द्वारका रेजिडेंट्स फेडरेशन द्वारा उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखा गया था, जिसके बाद यह प्रदर्शन हुए हैं. इस पत्र में उपराज्यपाल से हज हाउस के लिए आवंटित की गई जमीन को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.