दागी उम्मीदवारों की जानकारी नहीं देने पर भाजपा और कांग्रेस सहित आठ दलों पर जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान छह पार्टियों भाजपा, कांग्रेस, राजद, जदयू, भाकपा और लोक जनशक्ति पार्टी पर आंशिक रूप से आदेश का पालन नहीं करने के लिए एक-एक लाख रुपये और माकपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर आदेश का पूर्ण रूप से पालन नहीं करने के लिए पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ रहे अपने उम्मीदवारों के सभी लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया था. 

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान छह पार्टियों भाजपा, कांग्रेस, राजद, जदयू, भाकपा और लोक जनशक्ति पार्टी पर आंशिक रूप से आदेश का पालन नहीं करने के लिए एक-एक लाख रुपये और माकपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर आदेश का पूर्ण रूप से पालन नहीं करने के लिए पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ रहे अपने उम्मीदवारों के सभी लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया था. 

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों का पूरा ब्योरा पार्टियों की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं करने पर मंगलवार को भाजपा और कांग्रेस सहित आठ राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया है.

अदालत ने राजनीतिक दलों को ऐसे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी अखबारों और सोशल मीडिया पर उजागर करने का भी निर्देश दिया था.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने छह राजनीतिक दलों- भाजपा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), भाकपा और लोक जनशक्ति पार्टी पर आंशिक रूप से आदेश का पालन नहीं करने के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

वहीं, माकपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूर्ण रूप से पालन नहीं करने के लिए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

अदालत ने कहा, ‘हम प्रतिवादी संख्या तीन, चार, पांच, छह, सात और 11 को निर्देश देते हैं कि वह भारतीय चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए खाते में फैसले की तारीख से अगले आठ हफ्तों की अवधि तक एक-एक लाख रुपये जमा करें. जहां तक प्रतिवादी संख्या आठ और नौ का संबंध है, इन्होंने अदालत की ओर से जारी किए गए निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया, इसलिए हम इन्हें उपरोक्त खाते में अगली अवधि तक पांच-पांच लाख रुपये की राशि जमा करने का निर्देश देते हैं.’

बता दें कि पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ रहे अपने उम्मीदवारों के सभी लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया था.

अदालत ने कहा था कि ये जानकारी स्थानीय अखबारों और राजनीतिक दलों की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल पर प्रकाशित की जानी चाहिए. इसमें ये बताया जाना चाहिए कि उम्मीदवार के खिलाफ किस तरह के अपराध का आरोप है और जांच कहां तक पहुंची है.

जस्टिस रोहिंग्टन फली नरीमन की अध्यक्षता में पीठ ने कहा था, ‘ऐसे उम्मीदवारों का चुनाव करना जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, उनके चयन का कारण योग्यता होनी चाहिए न कि सिर्फ जीतने की संभावना.’

अदालत ने यह आदेश एक अवमानना याचिका पर दिया था, जिसमें राजनीति में अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए कहा गया था कि दागी उम्मीदवारों की जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2018 के फैसले से जुड़े निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.