अविवाहित भारतीय लड़कियां सिर्फ मौज-मस्ती के लिए शारीरिक संबंध नहीं बनातीं: हाईकोर्ट

बलात्कार के एक मामले में सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि भारत एक रूढ़िवादी समाज है, जो सभ्यता के लिहाज़ से अभी उस स्तर पर नहीं पहुंचा है, जहां एक अविवाहित लड़की बिना शादी के वादे के किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बना सके.

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

बलात्कार के एक मामले में सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि भारत एक रूढ़िवादी समाज है, जो सभ्यता के लिहाज़ से अभी उस स्तर पर नहीं पहुंचा है, जहां एक अविवाहित लड़की बिना शादी के वादे के किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बना सके.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

भोपालः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारत एक रूढ़िवादी समाज है और यह अभी तक सभ्यता के उस स्तर पर नहीं पहुंचा है, जहां अविवाहित लड़कियां धर्म की परवाह किए बिना सिर्फ मौज-मस्ती के लिए पुरूषों के साथ शारीरिक संबंध बनाएं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर एक शख्स की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें शख्स ने शादी का झांसा देकर एक महिला का बलात्कार करने का प्रयास किया था और वह इस मामले में चार जून से जेल में बंद हैं.

इस मामले में आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 366 (अपहरण, महिला को अगवा कर उसे शादी करने के लिए मजबूर करना) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) के विभिन्न प्रावधानों के तहत उज्जैन जिले के महाकाल पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई.

अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह जमानत के लिए सही मामला नहीं है.

अदालत ने कहा, ‘भारत एक रूढ़िवादी समाज है, अभी यह सभ्यता के उन स्तरों पर नहीं पहुंचा है, जहां अविवाहित लड़कियां धर्म की परवाह किए बिना सिर्फ मौज-मस्ती के लिए पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाए. हमारे समाज में लड़कियां किसी लड़के के साथ तब तक शारीरिक संबंध नहीं बनातीं, जब तक उनसे शादी का वादा नहीं किया जाता और यह आवश्यक भी नहीं है कि लड़की अपने तर्कों को साबित करने के लिए हर बार आत्महत्या करने की कोशिश करे, जैसा कि मौजूदा मामले में है.’

बता दें कि इस मामले में महिला ने दो जून को फिनाइल पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. अदालत ने कहा कि लड़की ने आत्महत्या करने की कोशिश की, जिससे पता चलता है कि वह अपने संबंधों को लेकर गंभीर थी और यह नहीं कहा जा सकता कि वह इस रिश्ते में सिर्फ मौज-मस्ती के लिए थी. इस तरह की परिस्थितियों में अदालत जमानत याचिका को मंजूर नहीं कर सकती.

अदालत ने कहा, ‘अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ शारीरिक संबंध बना रहा है तो उसे इसका एहसास होना चाहिए कि आगे क्या होगा और उसे अपनी हरकतों का खामियाजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए क्योंकि वह लड़की ही है, जो हमेशा जोखिम के स्तर पर खड़ी है क्योंकि संबंधों की वजह से वह गर्भवती होने का जोखिम भी उठा रही है और रिश्ते का खुलासा होने की स्थिति में समाज में बदनामी की मार भी उसी पर पड़ेगी.’