अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े पर अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफ़जई ने कहा है कि वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय ताक़तों को तत्काल संघर्ष विराम की मांग करनी चाहिए. तुरंत मानवीय सहायता मुहैया कराएं और शरणार्थियों और नागरिकों की रक्षा करें.
लंदनः जानी-मानी अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे पर हैरत जताते हुए कहा है कि वह संकटग्रस्त देश में रह रहीं महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए चिंतित हैं.
मलाला ने वैश्विक और क्षेत्रीय शक्तियों से तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान करने का अनुरोध किया और अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद करने की अपील की.
We watch in complete shock as Taliban takes control of Afghanistan. I am deeply worried about women, minorities and human rights advocates. Global, regional and local powers must call for an immediate ceasefire, provide urgent humanitarian aid and protect refugees and civilians.
— Malala Yousafzai (@Malala) August 15, 2021
मलाला ने रविवार को ट्वीट कर कहा, ‘तालिबान जिस तरह से अफगानिस्तान पर कब्जा जमाता जा रहा है, हम उसे देखकर स्तब्ध हैं. मैं महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों के लिए चिंतित हूं.’
मलाला ने कहा, ‘वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय ताकतों को तत्काल संघर्ष विराम की मांग करनी चाहिए. तत्काल मानवीय सहायता मुहैया कराएं और शरणार्थियों और नागरिकों की रक्षा करें.’
पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने पर मलाला (24 वर्ष) को 2012 में तालिबानी आतंकवादियों ने स्वात इलाके में सिर पर गोली मारी थी.
इस हमले में गंभीर रूप से घायल मलाला का पहले पाकिस्तान में इलाज हुआ फिर उन्हें बेहतर उपचार के लिए ब्रिटेन ले जाया गया.
हमले के बाद तालिबान ने बयान जारी कर कहा था कि अगर मलाला बच जाती है तो वह उस पर दोबारा हमला करेगा.
मलाला हमले से उबरकर ब्रिटेन में रहीं और मलाला फंड की शुरुआत की, जिसके जरिये वह पाकिस्तान, नाइजीरिया, जॉर्डन, सीरिया और केन्या में स्थानीय शिक्षा को प्रोत्साहित कर रही हैं.
उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए सिर्फ 11 साल की उम्र में अभियान शुरू किया था. उस समय 2009 में उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में तालिबान के साए में जिंदगी को लेकर बीबीसी उर्दू सेवा के लिए ब्लॉग लिखना शुरू किया था.
बता दें कि तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा रखा था.
लड़कियों के लिए शिक्षा की पैरोकार मलाला को सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. उन्हें 2014 में मात्र 17 साल की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ था. उन्हें यह पुरस्कार भारत के सामाजिक कार्यकता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से दिया गया था.
बता दें कि अफगानिस्तान में लंबे समय से चले आ रहे युद्ध में रविवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब तालिबान के चरमपंथियों ने राजधानी काबुल में प्रवेश कर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति अशरफ गनी को देशी-विदेशी नागरिकों के साथ देश छोड़कर जाना पड़ा.
हाल फिलहाल देश के पश्चिम प्रशिक्षित सुरक्षाबलों ने आक्रामक तालिबान लड़ाकों के सामने घुटने टेक दिए हैं. इन तालिबान लड़ाकों ने इस महीने के आखिर तक अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह वापसी से पहले ही पूरे देश पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया.
इससे पहले 1996 से 2001 तक तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन किया था और अमेरिका एवं मित्र देशों की सेनाओं के आने के बाद उनके शासन का अंत हो गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)