जर्मन मीडिया संस्थान से जुड़े पत्रकार की तलाश में तालिबान ने रिश्तेदार की हत्या की

जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले (डीडब्ल्यू) ने कहा है कि इसके अलावा पत्रकार के एक अन्य रिश्तेदार गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जबकि अन्य बचकर निकलने में कामयाब रहे. तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में डॉयचे वेले के तीन अन्य पत्रकारों के घरों पर भी छापेमारी की थी. डीडब्ल्यू ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि तालिबान पहले से ही काबुल और अन्य प्रांतों में पत्रकारों की तलाश कर रहे हैं. हमारे पास समय नहीं है.

/
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले (डीडब्ल्यू) ने कहा है कि इसके अलावा पत्रकार के एक अन्य रिश्तेदार गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जबकि अन्य बचकर निकलने में कामयाब रहे. तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में डॉयचे वेले के तीन अन्य पत्रकारों के घरों पर भी छापेमारी की थी. डीडब्ल्यू ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि तालिबान पहले से ही काबुल और अन्य प्रांतों में पत्रकारों की तलाश कर रहे हैं. हमारे पास समय नहीं है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

बर्लिनः अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों ने जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले (डीडब्ल्यू) के पत्रकार के एक रिश्तेदार की गोली मारकर हत्या कर दी.

समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉयचे वेले ने गुरुवार को बताया कि तालिबानी आतंकी घर-घर जाकर पत्रकार की तलाशी कर रहे थे. हालांकि, पत्रकार अब जर्मनी में काम करता है.

डॉयचे वेले ने घटना की अधिक जानकारी दिए बिना कहा कि इसके अलावा पत्रकार के एक अन्य रिश्तेदार गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जबकि अन्य बचकर निकलने में कामयाब रहे.

डॉयचे वेले के महानिदेशक पीटर लिम्बर्ग ने हत्या की निंदा करते हुए कहा कि इससे अफगानिस्तान में मीडियाकर्मियों और उनके परिवारों के ऊपर मंडरा रहे खतरे का पता चलता है.

उन्होंने कहा, ‘तालिबान द्वारा हमारे संपादकों में से एक के करीबी संबंधी की हत्या दुखद है और यह उस गंभीर खतरे को उजागर करता है, जिसमें अफगानिस्तान में हमारे सभी कर्मचारी और उनके परिवार खुद को पाते हैं.’

उन्होंने कहा कि तालिबान ने तीन अन्य डीडब्ल्यू के पत्रकारों के घर पर छापा मारा था. डीडब्ल्यू और अन्य जर्मन मीडिया संगठनों ने जर्मन सरकार से अपने अफगान कर्मचारियों की मदद के लिए त्वरित कार्रवाई करने का आह्वान किया है.

लिम्बर्ग ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि तालिबान पहले से ही काबुल और अन्य प्रांतों में पत्रकारों की तलाश कर रहे हैं. हमारे पास समय नहीं है.’

बता दें कि काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने मीडिया की स्वतंत्रता और अपने सभी विरोधियों के लिए क्षमा का वादा करते हुए जनसंपर्क अभियान शुरू किया था.

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के एक गोपनीय दस्तावेज में कहा गया है कि तालिबानी अमेरिका और नाटो बलों के साथ काम करने वाले लोगों की तलाश तेज कर रहे हैं.

पॉलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉयचे वेले सहित जर्मनी के मीडिया संगठनों ने खुला पत्र लिखकर जर्मनी सरकार से अफगान कर्मचारियों के लिए आपात वीजा योजना शुरू करने का अनुरोध किया है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आह्वान कर उनसे अफगानिस्तान में खतरनाक परिस्थितियों का सामना कर रहे पत्रकारों को इस संकट से निकालने के लिए त्वरित प्रभाव से एक बैठक करने का अनुरोध किया है.

बता दें कि अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने अपनी पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रतिशोध नहीं लेने का वादा किया था, लेकिन कई रिपोर्टों से पता चलता है कि उनकी गतिविधियों और उनके वादे में विरोधाभास है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, तालिबान ने पिछले महीने गजनी प्रांत में हजारा अल्पसंख्यक समुदाय के नौ लोगों की हत्या कर दी थी.

इतना ही नहीं पिछले महीने पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारत के एक जाने-माने फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की तालिबान ने कंधार में हत्या कर दी थी.

मालूम हो कि अफगानिस्तान पर कब्ज़े के बाद 17 अगस्त को तालिबान ने पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं.

अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने और अमेरिकी सेना के वहां से पूरी तरह से वापस लौटने के कुछ ही दिनों के भीतर तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. कुछ ही दिन पहले एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा.

बीते 15 अगस्त को राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भाग निकलने और राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान का पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण हो गया है.