हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने विधानसभा में बताया कि राज्य में कृषि क़ानूनों के विरोध में हुए प्रदर्शनों के संबंध में ज़्यादातर मामले कुरुक्षेत्र, सोनीपत, भिवानी, हिसार, सिरसा और फ़तेहाबाद ज़िलों में दर्ज किए गए हैं. ये मामले दंगा, घातक हथियार से लैस होने, आदेश की अवज्ञा, लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने सहित विभिन्न धाराओं से संबंधित हैं. सभी 138 मामले सितंबर 2020 से अब तक दर्ज किए गए हैं.
चंडीगढ़: हरियाणा में केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान पिछले 11 महीने में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राजद्रोह के दो मामले और 136 अन्य केस दर्ज किए गए हैं. राज्य विधानसभा में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई.
कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ अब तक 136 प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई हैं. इसके अलावा किसानों के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) के तहत भी केस दर्ज किए गए हैं.
विज के अनुसार, 18 जिलों में मामले दर्ज किए गए थे और 136 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जो दंगा, घातक हथियार से लैस, आदेश की अवज्ञा, लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने सहित विभिन्न धाराओं से संबंधित हैं. सभी 138 मामले सितंबर 2020 से अब तक दर्ज किए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विज द्वारा प्रस्तुत बयान में कहा गया है कि 11 जुलाई, 2021 को सिरसा के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में धारा 124 ए (राजद्रोह) के तहत मामला दर्ज किया गया था और शिकायतकर्ता का बयान ड्यूटी मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया गया था.
बयान में शिकायतकर्ता का कहना है कि नए कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष के काफिले पर हमला किया था. इस मामले में दो लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 80-90 अज्ञात व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया है.
राजद्रोह का एक अन्य मामला 15 जनवरी, 2021 को झज्जर के थाना बहादुरगढ़ में दर्ज किया गया था. सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करने के लिए सुनील गुलिया के खिलाफ यह धारा लगाई गई है, जिसमें उसने कसम खाई थी कि अगर किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वह सरकार पर तोप से हमला करेंगे.
विज ने कहा कि ज्यादातर मामले कुरुक्षेत्र, सोनीपत, भिवानी, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिलों में दर्ज किए गए हैं.
शून्यकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया और कहा कि हजारों किसान कई महीनों से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस विधायकों ने किसानों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई.
कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने कहा कि किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया जा रहा है. उन्होंने इस तरह के प्रावधान को लागू करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया.
विधायक ने कहा, ‘विरोध के दौरान मंत्री की कार पर भी अगर डंडे से हमला किया गया, तो क्या वह व्यक्ति (आरोपी) देशद्रोही बन जाता है? क्या हमारे पास आईपीसी की अन्य धाराएं नहीं हैं, जो ऐसे मामलों से निपट सकें?’
कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मुद्दा सिर्फ हरियाणा के किसानों का नहीं, बल्कि पूरे देश का है.
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता हुड्डा ने कहा, ‘नौ महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं. सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे किसानों की उपज खरीदने को दंडनीय अपराध बनाते हुए कानून क्यों नहीं बना सकती.’
दूसरी ओर भाजपा विधायक मोहन लाल बडोली ने प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़कों को अवरुद्ध करने के तरीके पर आपत्ति जताई और सरकार से सड़कों को साफ करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया.
एक अन्य भाजपा विधायक अभय सिंह यादव ने कहा कि विपक्ष को कृषि कानूनों में कमियों को इंगित करना चाहिए और सरकार इसमें संशोधन के लिए तैयार है.
भाजपा विधायक घनश्याम दास ने कहा कि सभी को कानून के दायरे में रहकर अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)