सीमा विवाद: केंद्र, असम और मिज़ोरम को मानवाधिकार आयोग का नोटिस

26 जुलाई को असम-मिज़ोरम सीमा पर हुई एक हिंसक झड़प में असम के छह पुलिसकर्मियों समेत सात लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक घायल हुए थे. असम के एक निवासी की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव के साथ असम व मिज़ोरम के मुख्य सचिवों से चार हफ़्तों में इस पर रिपोर्ट देने को कहा है.

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26 जुलाई को असम-मिजोरम सीमा पर संघर्ष के दौरान लोग. (फोटो: पीटीआई)

26 जुलाई को असम-मिज़ोरम सीमा पर हुई एक हिंसक झड़प में असम के छह पुलिसकर्मियों समेत सात लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक घायल हुए थे. असम के एक निवासी की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव के साथ असम व मिज़ोरम के मुख्य सचिवों से चार हफ़्तों में इस पर रिपोर्ट देने को कहा है.

26 जुलाई को असम-मिजोरम सीमा पर संघर्ष के दौरान लोग. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर जुलाई में हुए जानलेवा संघर्ष को लेकर केंद्र, असम और मिजोरम को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा है कि उस दौरान मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ.

असम निवासी मोहम्मद इंजमामुल हक की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आयोग ने रविवार को केंद्रीय गृह सचिव और असम तथा मिजोरम के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा.

सुनवाई के अनुसार, ‘आयोग ने मामले पर विचार किया है. मामले के तथ्य परेशान करने वाले हैं. शिकायत में लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और उसमें मौतें तथा सरकारी कर्मचारियों का घायल होना शामिल है.’

उसके अनुसार, ‘यह मामला मृतकों और घायलों के मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन से जुड़ा हुआ है. आयोग इस तरह के मामलों को बहुत गंभीरता से लेता है. इन परिस्थितियों में पहले नोटिस भेजें.’

इसके अनुरुप, नोटिस जारी किए जाएं और चार सप्ताह के बाद पूर्ण आयोग के समक्ष मामला रखा जाएगा.

बता दें कि असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर पुलिस बलों के बीच बीते 26 जुलाई को एक हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें असम के छह पुलिसकर्मियों सहित सात लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक अन्य घायल हो गए थे. केंद्र के हस्तक्षेप के साथ इस मामले को सुलझाने की प्रक्रिया जारी है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुवाहाटी के कानून के छात्र मोहम्मद इंजमामुल हक ने कहा कि उन्होंने घटना के चार दिन बाद 30 जुलाई को शिकायत दर्ज कराई थी.

21 वर्षीय हक ने कहा, ‘मेरा मामले से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है, लेकिन मैंने मानवीय आधार पर शिकायत दर्ज की है. कुछ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. यह देखते हुए कि कितने कर्मचारी मारे गए.’

पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि 26 जुलाई की घटना में असम के अधिकारियों को मिजोरम की ओर से बदमाशों की भीड़ ने घेर लिया और हमला किया, जिसे मिजोरम पुलिस द्वारा स्पष्ट रूप से समर्थन किया गया था.

उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘इस भीड़ के आक्रामक व्यवहार और मुद्रा के साथ-साथ यह तथ्य कि वे हथियार दिखा रहे थे और हेलमेट पहने हुए थे, सभी उपलब्ध वीडियो फुटेज में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.’

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मिजोरम पुलिस ने दो ऊंची जगहों असम के कर्मचारियों और नागरिकों पर लाइट मशीन गन (एलएमजी) जैसे आटोमेटिक हथियारों से फायरिंग की थी.

एनएचआरसी ने संबंधित पक्षों को नोटिस प्राप्ति की तारीख से चार सप्ताह की अवधि के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

इस घटना के बाद केंद्र के हस्तक्षेप और तटस्थ बलों को तैनात करने से तनाव धीरे-धीरे कम हुआ था. असम और मिजोरम के प्रतिनिधियों ने 5 अगस्त को आइजोल में बातचीत की थी और अंतर-राज्यीय सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमत हुए थे.

उल्लेखनीय है कि असम के बराक घाटी के जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी मिजोरम के तीन जिलों- आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं.

1971 में वर्षों के उग्रवाद के बाद एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाए जाने से पहले मिजोरम असम का एक जिला था.

सीमा के इस बारे में धारणाएं अलग-अलग थीं. मिजोरम जहां चाहता है कि यह 1875 में अधिसूचित इनर लाइन के साथ होनी चाहिए, जिसे मिजो आदिवासी मानते हैं कि यह उनकी ऐतिहासिक मातृभूमि का हिस्सा है. वहीं, असम चाहता है कि इसे बहुत बाद में किए गए जिले के सीमांकन के अनुसार सीमांकित किया जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)