देश के आठ राज्यों ने ही अपने सभी स्कूलों में पेयजल की सुविधा सुनिश्चित की: संसदीय समिति

संसद में हाल ही में पेश एक स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि सिर्फ आठ राज्यों ने अपने सभी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित की है. समिति ने शिक्षा मंत्रालय से 2021-22 के अंत तक हर शैक्षणिक संस्थान में नल से जल मिशन के तहत सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है.

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(फोटो साभार: ट्विटर/@jaljeevan_)

संसद में हाल ही में पेश एक स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि सिर्फ आठ राज्यों ने अपने सभी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित की है. समिति ने शिक्षा मंत्रालय से 2021-22 के अंत तक हर शैक्षणिक संस्थान में नल से जल मिशन के तहत सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है.

(फोटो साभार: ट्विटर/@jaljeevan_)

नई दिल्ली: देश के केवल आठ राज्यों ने ही अपने सभी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित की है तथा मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य इस अभियान में बहुत पीछे हैं. संसद में हाल ही में पेश एक स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.

संसदीय समिति ने इस स्थिति को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय से 2021-22 के अंत तक हर शैक्षणिक संस्थान में नल से जल मिशन के तहत पाइप के जरिये सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की सिफारिश की है.

मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश शिक्षा, महिला, बाल विकास एवं युवा मामलों पर संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति यह नोट करती है कि आठ राज्यों ने अपने प्रदेशों के सभी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित की है. हालांकि मेघालय, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश जैसे राज्य इस अभियान में काफी पीछे हैं.’

समिति ने 2021-22 के अंत तक हर शैक्षणिक संस्थान में नल से जल मिशन के तहत पाइप के जरिये सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की सिफारिश करते हुए शिक्षा मंत्रालय से कहा है कि वह इस संबंध में ग्रामीण विकास मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय के साथ समन्वय करे.

शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने की गई कार्रवाई के बारे में समिति को बताया कि राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के तहत गांव के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों, स्कूलों, आश्रमशाला और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में पाइप से सुरक्षित पेयजल आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए शुरू किए गए ‘100 दिनों के अभियान’ के बारे में जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 14 अक्तूबर 2020 को पत्र लिखा था.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल दो अक्टूबर को स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए 100 दिन के अभियान की शुरुआत की गई थी यह अभियान जल जीवन मिशन का हिस्सा था, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों तक नल से जल की आपूर्ति करना है.

इसमें कहा गया है कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 12 नवंबर 2020 को सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (शिक्षा) को एक पत्र लिखा था, जिसमें उनसे लड़कियों और लड़कों के लिए शौचालयों में पाइप/नल से पानी की आपूर्ति करने, प्रदेश के प्रत्येक स्कूल की मैपिंग के लिए आवश्यक कार्रवाई करने, हाथ धोने की जगह और पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने विभाग द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए सिफारिश की है कि विभाग को की गई कार्रवाई के परिणामों के साथ साथ उस ठोस समय सीमा से भी अवगत कराना चाहिए जिसमें देश के प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में सुरक्षित एवं प्रदूषण मुक्त पेयजल आपूर्ति के लक्ष्य को पूरा किया जायेगा.

समिति ने पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए किए गए विशिष्ट उपायों की भी जानकारी मांगी है जो इस अभियान में पिछड़ गए हैं.

मालूम हो कि हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने बताया था कि देश के एक तिहाई से अधिक स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों तक नल से जलापूर्ति नहीं हो सकी है.

जल शक्ति मंत्रालय ने बताया था कि देश में 6.85 लाख स्कूल, 6.80 लाख आंगनबाड़ी केंद्र और 2.36 लाख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पेयजल और मध्याह्न भोजन पकाने के लिए नल से जल की आपूर्ति होती है. इसके अलावा 6.18 लाख स्कूलों के शौचालयों में नल का पानी आता है और 7.52 लाख स्कूलों में नल के पानी से हाथ धोने की सुविधा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)