काबुल हवाईअड्डे पर आत्मघाती हमलों में मरने वालों की संख्या 100 के पार, 13 अमेरिकी भी शामिल

अफ़ग़ानिस्तान पर आतंकी संगठन तालिबान के क़ब्ज़ा जमाने के बाद राजधानी काबुल स्थित हवाईअड्डे पर देश छोड़कर जाने के लिए लोग जद्दोजहद कर रहे हैं. इस दौरान बृहस्पतिवार को हवाईअड्डे और नज़दीक के एक होटल पर दो भयावह आत्मघाती हमले हुए हैं, जिसमें कम से कम 108 लोगों की मौत हो गई है. इसमें 95 अफ़ग़ान नागरिक और 13 अमेरिकी शामिल हैं. हमले के बाद शुक्रवार को देश से बाहर जाने वालों के लिए उड़ानें फिर से शुरू हो गई हैं.

काबुल हवाईअड्डे पर आत्मघाती हमले के बाद घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया. (फोटो: रॉयटर्स)

अफ़ग़ानिस्तान पर आतंकी संगठन तालिबान के क़ब्ज़ा जमाने के बाद राजधानी काबुल स्थित हवाईअड्डे पर देश छोड़कर जाने के लिए लोग जद्दोजहद कर रहे हैं. इस दौरान बृहस्पतिवार को हवाईअड्डे और नज़दीक के एक होटल पर दो भयावह आत्मघाती हमले हुए हैं, जिसमें कम से कम 108 लोगों की मौत हो गई है. इसमें 95 अफ़ग़ान नागरिक और 13 अमेरिकी शामिल हैं. हमले के बाद शुक्रवार को देश से बाहर जाने वालों के लिए उड़ानें फिर से शुरू हो गई हैं.

काबुल हवाईअड्डे पर आत्मघाती हमले के बाद घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया. (फोटो: रॉयटर्स)

काबुल/वॉशिंगटन: अफगानिस्तान में बीते बृहस्पतिवार को दो आत्मघाती हमलावरों और बंदूकधारियों द्वारा काबुल हवाई अड्डे के पास किए गए हमलों में कम से कम 108 लोगों की मौत हो गई. मृतकों में 95 अफगान नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक शामिल हैं.

राजधानी काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और उसके नजदीक एक होटल पर ये दोनों भयावह आत्मघाती हमले हुए हैं. बहरहाल शुक्रवार को देश से बाहर जाने वालों के लिए निकासी उड़ानें फिर से शुरू हो गईं.

अफगानिस्तान पर आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के बाद लोग देश छोड़कर जाने के लिए हवाई अड्डे पर जद्दोजहद कर रहे हैं, जब इन हमलों को अंजाम दिया गया है.

अफगान और अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि अगस्त 2011 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए सबसे घातक दिन में, काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बृहस्पतिवार के बम धमाकों में कम से कम 95 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए.

21 दिसंबर, 2015 को एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी मोटरसाइकिल को नाटो-अफगानिस्तान के संयुक्त गश्ती दल में टक्कर मार दी थी, जिसमें छह अमेरिकी सैनिक मारे गए था. बगराम एयरफील्ड के पास एक गांव से गुजरते समय सैनिकों को निशाना बनाया गया था.

अफगानिस्तान से अमेरिकी लोगों की वापसी के अभियान की निगरानी कर रहे जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने कहा कि इन हमलों के बाद भी अमेरिका अपने नागरिकों एवं अन्य को अफगानिस्तान से निकालना जारी रखेगा.

उन्होंने कहा कि हवाईअड्डे पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं और अफगानिस्तान से बाहर जाने के इच्छुक लोगों को लाने के लिए वैकल्पिक मार्ग इस्तेमाल किए जा रहे हैं. करीब 5,000 लोग हवाई अड्डे पर उड़ानों का इंतजार कर रहे हैं.

काबुल हवाई अड्डे से बड़े स्तर पर लोगों की निकासी के अभियान के बीच पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने हमले की आशंका जताई थी और लोगों से हवाई अड्डे से दूर रहने की अपील की थी, लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से तालिबान के क्रूर शासन की आशंका के चलते देश छोड़ने को आतुर लोगों ने इस परामर्श को नजरअंदाज किया. इस बारे में सतर्क किए जाने के कुछ ही घंटों बाद हमला हुआ.

अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने बीते 15 अगस्त को पूरे देश पर कब्जा कर लिया था. फिलहाल अमेरिका अपने बाकी बचे कर्मचारियों को निकालने में लगा हुआ है. इस बीच देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी देश छोड़कर जा चुके हैं.

इसके बाद से पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से वहां के तमाम नागरिक देश से निकलने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर देखे जा रहे हैं. नागरिक इस भय से देश छोड़ना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है, जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे.

आईएस ने ली जिम्मेदारी, अमेरिकी राष्ट्रपति ने बदला लेने की बात कही

इस्लामिक स्टेट (आईएस या आईएसआईएस) समूह ने अपने ‘अमाक’ समाचार चैनल पर इस हमले की जिम्मेदारी ली है. आईएस से संबद्ध इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएसआईएस-के) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.

यह समूह तालिबान से कहीं अधिक कट्टरपंथी है. ऐसा माना जा रहा है कि तालिबान इन हमलों में शामिल नहीं है और उसने हमलों की निंदा की है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने काबुल में हुए हमलों में मारे गए लागों की जान का बदला लेने का संकल्प लेते हुए कहा, ‘हम तुम्हें (हमलावरों को) पकड़कर इसकी सजा देंगे.’

बाइडन ने बृहस्पतिवार को ह्वाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘इस हमले को अंजाम देने वाले और अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की मंशा रखने वाले ध्यान रखें कि हम तुम्हें बख्शेंगे नहीं. हम यह भूलेंगे नहीं. हम तुम्हें पकड़कर इसकी सजा देंगे. मैं अपने देश के हितों और लोगों की रक्षा करूंगा.’

बाइडन ने कहा, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं, जिन आतंकवादी हमलों के बारे में हम बात कर रहे थे और जिनके बारे में खुफिया तंत्र चिंतित था, उसे ‘आईएसआईएस-के’ नामक संगठन ने अंजाम दिया. उन्होंने हवाईअड्डे पर तैनात अमेरिकी सेवा के सदस्यों की जान ली और कई को गंभीर रूप से घायल भी कर दिया. उन्होंने कई असैन्य लोगों की भी जान ली और कई को घायल भी किया.’

बाइडन ने कहा कि उन्होंने अपने कमांडरों को ‘आईएसआईएस-के’ के ठिकानों, नेतृत्व और केंद्रों पर हमला करने की योजना तैयार करने के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने कहा कि काबुल में निकासी अभियान को 31 अगस्त तक पूरा करने के लिए वह अब भी प्रतिबद्ध हैं.

बाइडन ने कहा, ‘हम अभियान पूरा कर सकते हैं और जरूर करेंगे. मैंने उन्हें यही आदेश भी दिया है. हम आतंकवादियों के आगे घुटने नहीं टेकेंगे. हम उन्हें हमारा अभियान रोकने नहीं देंगे. हम निकासी अभियान जारी रखेंगे.’

राष्ट्रपति ने कहा कि यह तालिबान के हित में है कि वह ‘आईएसआईएस-के’ को अफगानिस्तान में और पैर ना पसारने दे. बाइडन ने कहा, ‘यह तालिबान के हित में है कि वह ‘आईएसआईएस-के’ को अफगानिस्तान में और पैर न पसारने दे.’

उन्होंने साथ ही कहा कि हवाईअड्डे पर हमले को अंजाम देने में तालिबान और आईएसआईएस की मिलीभगत का अब तक कोई सबूत नहीं मिला है.

काबुल हवाई अड्डे के बाहर हमलों के बाद बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति बाइडन और इजराइल के नए प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की पहली बैठक का कार्यक्रम टाल दिया गया.

बाइडन, इजराइल के नए प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के कार्यभार संभालने के बाद उनसे पहली बार मुलाकात करने वाले थे. बाइडन का उन गवर्नरों के एक समूह के साथ डिजिटल माध्यम से बैठक करने का भी कार्यक्रम था, जिन्होंने कहा था कि वे अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए सहायता करने के इच्छुक हैं. गर्वनरों के साथ बैठक को भी स्थगित कर दिया गया है.

अमेरिका के अधिकारियों ने शुरुआत में बताया था कि हमले में नौसेना का एक चिकित्साकर्मी और 11 अमेरिकी नौसैनिक मारे गए हैं. एक और अमेरिकी सैन्यकर्मी ने बाद में दम तोड़ दिया. अधिकारियों ने बताया कि हमले में 18 और सेवारत कर्मी घायल हुए हैं और मृतकों की संख्या बढ़ सकती है.

जानकारी के मुताबिक, एक हमलावर ने उन लोगों को निशाना बनाकर हमला किया जो गर्मी से बचने के लिए घुटनों तक पानी वाली नहर में खड़े थे और इस दौरान शव पानी में बिखर गए. ऐसे लोग जो कि कुछ देर पहले तक विमान में सवार होकर निकलने की उम्मीद कर रहे थे वो घायलों को एंबुलेंस में ले जाते देखे गए. उनके कपड़े खून से सन गए थे.

वहीं अफगानिस्तान में अस्पतालों का संचालन करने वाली इटली की एक परमार्थ संस्था ‘इमरजेंसी’ ने कहा कि वे हवाईअड्डे पर हमले में घायल 60 लोगों का उपचार कर रहे हैं, जबकि 10 घायल ऐसे थे, जिन्होंने अस्पताल लाने के दौरान दम तोड़ दिया.

अफगानिस्तान में संस्था के प्रबंधक मार्को पुनतिन ने कहा कि सर्जन रात में भी सेवा देंगे. उन्होंने कहा कि घायलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही है.

पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि एक धमाका हवाई अड्डे के प्रवेश द्वार के पास हुआ, जबकि दूसरा एक होटल से कुछ दूरी पर हुआ. मैकेंजी ने कहा कि हवाई अड्डे पर स्पष्ट रूप से किसी असफलता के कारण आत्मघाती हमलावर द्वार के इतना निकट आ गया.

उन्होंने कहा कि तालिबान गेट (हवाई अड्डे) के बाहर लोगों की जांच कर रहा है, हालांकि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि तालिबान ने जान-बूझकर हमले होने दिए. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तालिबान कमांडरों से हवाई अड्डे की परिधि के आसपास सुरक्षा कड़ी करने को कहा है.

एक अफगान व्यक्ति ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के एक द्वार के बाहर इंतजार कर रही भीड़ के बीच हुए धमाके के बाद उसे कुछ लोग मृत या घायल नजर आए. घटनास्थल के पास मौजूद अदम खान ने कहा कि धमाके के बाद कुछ लोग मृत और घायल नजर आ रहे थे.

दूसरा धमाका होटल बारोन के पास हुआ जहां अफगान, ब्रिटिश और अमेरिकी नागरिकों समेत अन्य लोग एकत्र थे, जिन्हें देश छोड़ने के लिए हवाईअड्डे पर जाने से पहले हाल के दिनों में यहां ठहराया गया था.

बाद में कुछ और धमाकों की आवाजें भी सुनी गईं, लेकिन तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अमेरिकी बलों ने उनके उपकरणों को नष्ट करने के लिए कुछ विस्फोट किए.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने काबुल हवाईअड्डे पर हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हमले को बर्बर करार देते हुए कहा कि निकासी अभियान तेजी से जारी रखने की जरूरत है.

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि कुछ घंटे पहले हुए धमाकों के कारण काबुल हवाई अड्डे के पास हालात गंभीर रूप से बिगड़े हैं.

आयरलैंड के डबलिन में अपने दौरे के दौरान एक प्रेसवार्ता में मैक्रों ने कहा, ‘हम एक अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे हैं, ऐसे में हमें अपने अमेरिकी सहयोगियों के साथ समन्वय करना चाहिए. हवाई अड्डे पर हालात अनुकूल रहने तक फ्रांस अपने नागरिकों, अन्य सहयोगी देशों के लोगों और अफगानों को निकालना जारी रखेगा.’

वहीं, अफगानिस्तान में पशुशाला चलाने वाले ब्रिटेन के पॉल पेन ने ब्रिटिश समाचार एजेंसी को बताया कि हवाई अड्डे के पास हुए हमले के बाद की अफरातफरी में वह और उनके कर्मचारी भी फंस गए थे. उन्होंने बताया कि उनकी संस्था के लोग उस समय हवाई अड्डे के बाहर ही थे जब धमाका हुआ.

पॉल ने कहा, ‘हम सभी सुरक्षित हैं लेकिन इस समय यहां अफरातफरी का माहौल है. अचानक हमें गोलियां चलने की आवाज सुनाई दीं और हमारे वाहन को निशाना बनाया जा रहा था.’

पिछले सप्ताह के दौरान इस युद्धग्रस्त देश से निकलने के लिए हवाई अड्डे पर अफरातफरी जैसा माहौल देखने को मिला था.

कुछ देश पहले ही अफगानिस्तान से लोगों को निकालने का अभियान समाप्त कर चुके हैं और अपने सैनिकों और राजनयिकों को निकालना शुरू कर चुके हैं.

तालिबान ने तय समयसीमा में निकासी अभियान के दौरान पश्चिमी बलों पर हमला नहीं करने का संकल्प जताया था. हालांकि, यह भी दोहराया है कि अमेरिका द्वारा 31 अगस्त की तय समयसीमा में सभी विदेशी सैनिकों को देश छोड़ना होगा.

इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री ने बुधवार को कहा कि ऐसा समझा जा रहा है कि अफगानिस्तान में अब भी करीब 1,500 अमेरिकी नागरिक हैं, लेकिन मंत्रालाय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने इनमें से 500 लोगों को बाहर निकाल लिए जाने की पुष्टि की है.

इस घटनाक्रम से पहले ब्रिटिश सरकार ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी थी कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा अफगानिस्तान में काबुल हवाई अड्डे पर जमा लोगों को निशाना बनाकर हमला किए जाने की ‘बहुत विश्वसनीय’ खुफिया रिपोर्ट है.

ब्रिटिश सशस्त्र बल मंत्री जेम्स हेप्पी ने बीबीसी से कहा था कि ‘बहुत विश्वसनीय’ खुफिया सूचना है कि अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश में काबुल हवाई अड्डे पर जमा हुए लोगों पर इस्लामिक स्टेट जल्द ही हमला करने की साजिश रच रहा है.

भारत ने काबुल हवाई अड्डे के पास हुए बम धमाकों की निंदा की

नई दिल्ली: भारत ने बृहस्पतिवार को काबुल हवाई अड्डे के पास हुए घातक बम धमाकों की कड़ी निंदा की और कहा कि इन धमाकों ने एक बार फिर उस आवश्यकता को उजागर किया है कि आतंक के विरुद्ध दुनिया को एक साथ आने की जरूरत है.

मंत्रालय ने हमलों में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना भी प्रकट की. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत आज काबुल में हुए बम धमाकों की कड़ी निंदा करता है. हम आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति तहेदिल से संवदेना प्रकट करते हैं.’ मंत्रालय ने कहा, ‘हम घायलों के ठीक होने की प्रार्थना करते हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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