आईआईटी छात्रों ने रेप के आरोपी छात्र को ज़मानत देने के कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बीते 23 अगस्त को साथी छात्रा से बलात्कार के आरोपी आईआईटी-गुवाहाटी के एक छात्र को ‘राज्य की भावी संपत्ति’ बताते हुए ज़मानत दी थी. आरोप है कि छात्र ने 28 मार्च की रात को अपनी एक साथी छात्रा से बलात्कार किया था. पुलिस ने आरोपी को तीन अप्रैल को गिरफ़्तार किया था.

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आईआईटी गुवाहाटी. (फोटो: iitg.ac.in)

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बीते 23 अगस्त को साथी छात्रा से बलात्कार के आरोपी आईआईटी-गुवाहाटी के एक छात्र को ‘राज्य की भावी संपत्ति’ बताते हुए ज़मानत दी थी. आरोप है कि छात्र ने 28 मार्च की रात को अपनी एक साथी छात्रा से बलात्कार किया था. पुलिस ने आरोपी को तीन अप्रैल को गिरफ़्तार किया था.

आईआईटी गुवाहाटी. (फोटो: iitg.ac.in)

नयी दिल्लीः देशभर के विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के 60 से ज्यादा छात्रों और पूर्व छात्रों ने बीते दिनों गुवाहाटी हाईकोर्ट द्वारा बलात्कार के आरोपी एक छात्र को जमानत देने के आदेश पर निराशा जताई है.

इस संबंध में जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस फैसले से अदालत से न्याय की आस लगाए कई लोगों की उम्मीदें टूट जाएंगी और परिसर के हालात असुरक्षित हो सकते हैं.

छात्रों और पूर्व छात्रों ने मांग की है कि अदालत ने जिस आधार पर आरोपी को जमानत दी है, उस पर पुनर्विचार किया जाए.

बयान में कहा गया, ‘हम आईआईटी के छात्र और पूर्व छात्र गुवाहाटी में हुए इस हालिया घटनाक्रम को लेकर अपनी निराशा, हताशा और घृणा जताने के लिए यह बयान जारी कर रहे हैं.’

बयान में कहा गया, ‘यह संज्ञान में आया है कि आईआईटी परिसर में सहपाठी से बलात्कार करने के आरोपी आईआईटी गुवाहाटी के एक छात्र को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि आरोपी छात्र राज्य की भावी संपत्ति हैं.’

संयुक्त बयान में कहा गया, ‘वास्तव में आरोपी को जमानत देने वाले जस्टिस बोरठाकुर वहीं जस्टिस हैं, जिन्होंने 13 मार्च के एक आदेश में कहा था कि आरोपी के खिलाफ प्रथमदृष्टया स्पष्ट तौर पर सबूत हैं.’

छात्रों और पूर्व छात्रों ने कहा कि इस तरह का फैसला अत्यंत बेहद परेशान करना वाला घटनाक्रम है, जो देश में लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में अब तक हुई प्रगति के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

बयान में कहा गया कि यौन हिंसा के कथित आरोपियों को दी गईं इस तरह की रियायतें अपराध की गंभीरता को कम करती हैं और इस विचार को पुख्ता करती हैं कि कोई भी शख्स इस तरह के मामलों में आसानी से बच सकता है और अपने उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद कर सकता है.

बयान में कहा गया, ‘हमारा मानना है कि प्रतिभा, बौद्धिकता या प्रतिष्ठा की दुहाई देकर आरोपी को कानूनी कार्यवाही से बचाया नहीं जा सकता या ये आरोपी की सजा कम करने का कारण नहीं बन सकते. ये बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में राहत का कारण नहीं बन सकते.’

बयान में कहा गया, ‘इस तरह के घटनाक्रम विशेष रूप से महिलाओं के संबंध में परिसरों की सुरक्षा के बारे में संदेह पैदा करते हैं. कथित अपराधियों के प्रति उनकी शैक्षणिक क्षमता के कारण सहानुभूति रखते हुए हाईकोर्ट का यह आदेश अदालतों से न्याय प्राप्त करने की उम्मीदों को तोड़ सकता है और परिसरों को असुरक्षित वातावरण जैसा बना सकता है.’

बयान में कहा गया, ‘हमारी मांग है कि आरोपी छात्र को जमानत देने के इस विशिष्ट आधार पर पुनर्विचार किया जाए.’

मालूम हो कि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने 23 अगस्त को आईआईटी गुवाहाटी के बलात्कार के आरोपी छात्र को जमानत दे दी थी. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आरोपी और पीड़िता दोनों को राज्य की भावी संपत्ति बताया था.

आरोप है कि आईआईटी गुवाहाटी के एक छात्र ने 28 मार्च की रात को अपनी एक साथी छात्रा से बलात्कार किया था. छात्रा को अगले दिन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने आरोपी को तीन अप्रैल को गिरफ्तार किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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