बीते 17 अगस्त को जेएनयू की अकादमिक परिषद द्वारा तीन नए पाठ्यक्रमों को मंज़ूरी दी गई, जिसमें एक आतंकवाद रोधी पाठ्यक्रम है. जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने पाठ्यक्रम शुरू करने पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि इसमें बताया गया है कि ‘जिहादी आतंकवाद’, ‘कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद’ का एकमात्र रूप है.
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को कहा कि नए आतंकवाद रोधी पाठ्यक्रम के अकादमिक गुणों पर ध्यान दिए बिना ही इसको लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है.
कुलपति ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले इंजीनियरिंग के छात्रों को यह पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने को लेकर शिक्षकों और छात्रों का एक गुट विरोध कर रहा है.
कुलपति ने कहा कि जिस तरह से भारत के पड़ोस में चीजें सामने आई हैं, वह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो रही हैं. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि जेएनयू जैसा शैक्षणिक संस्थान नेतृत्व करे और आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों का एक अच्छा समूह तैयार करे.
जेएनयू के प्रोफेसर अरविंद कुमार, जिन्होंने यह पाठ्यक्रम तैयार किया था, उन्होंने मंगलवार (31 अगस्त) को कहा था कि यह किसी भी समुदाय को लक्षित नहीं करता है और यह विशुद्ध रूप से शैक्षणिक पाठ्यक्रम है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कुलपति ने बताया कि जेएनयू ने 2018 में डुएल डिग्री प्रोग्राम के साथ स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की स्थापना की थी. इस स्कूल में छात्र अपनी स्नातक की डिग्री के लिए पहले चार वर्षों में इंजीनियरिंग विषयों का अध्ययन करते हैं और पांचवें वर्ष में वे मानविकी, सामाजिक विज्ञान, भाषाएं, अंतरराष्ट्रीय संबंध, प्रबंधन, विज्ञान और इंजीनियरिंग में से किसी भी क्षेत्र में एक वर्षीय मास्टर डिग्री (एमएस) के लिए नामांकन करते हैं.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य छात्रों को समग्र और बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करना है. यह इस संदर्भ में है कि 17 अगस्त को जेएनयू की अकादमिक परिषद द्वारा तीन नए पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी गई थी. ये पाठ्यक्रम हैं- ‘काउंटर टेररिज्म, एसिमेट्रिक कॉनफ़्लिक्ट्स एंड स्ट्रैटजीज़ फॉर कोऑपरेशन अमंग मेजर पावर्स’, ‘इंडियाज़ इमरजिंग वर्ल्ड व्यू इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’, ‘सिग्नीफिकेंस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंटरनेशनल रिलेशंस’.’
जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने पाठ्यक्रम शुरू करने पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि इसमें बताया गया है कि ‘जिहादी आतंकवाद’, ‘कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद’ का एकमात्र रूप है.
‘काउंटर टेररिज्म, एसिमेट्रिक कॉनफ़्लिक्ट्स एंड स्ट्रैटजीज़ फॉर कोऑपरेशन अमंग मेजर पावर्स’ शीर्षक वाले पाठ्यक्रम में यह भी जोर दिया गया है कि सोवियत संघ और चीन में कम्युनिस्ट शासन आतंकवाद के राज्य-प्रायोजक थे, जिन्होंने उनके अनुसार कट्टरपंथी इस्लामी राज्यों को प्रभावित किया था.
कुलपति के बयान के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से नए आतंकवाद रोधी पाठ्यक्रम के अकादमिक गुणों पर ध्यान दिए बिना ही इसको लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है. ‘काउंटर टेररिज्म, एसिमेट्रिक कॉनफ़्लिक्ट्स एंड स्ट्रैटजीज़ फॉर कोऑपरेशन अमंग मेजर पावर्स’ पाठ्यक्रम का उद्देश्य मुख्य रूप से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों पर गहन समझ और किसी भी घटना के मामले में भारत कैसे पर्याप्त प्रतिक्रिया से लैस हो सकता है, समझाना है.
भारत को इस क्षेत्र में विशेषज्ञों के एक महत्वपूर्ण समूह की तत्काल आवश्यकता है कहते हुए कि कुलपति ने कहा कि पाठ्यक्रम को वैश्विक स्तर पर आतंकवादी गतिविधियों और उनसे निपटने में भारत के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.
कुलपति ने कहा, ‘संतुलित और वस्तुनिष्ठ तरीके से भारत के दृष्टिकोण को और विकसित करने की आवश्यकता है. इस पाठ्यक्रम में भारत के लिए एक मजबूत आख्यान बनाने की क्षमता है. यह विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय आतंकवादी नेटवर्क की गहन समझ का एक हिस्सा है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)