महाराष्ट्र: सीबीआई ने अनिल देशमुख के वकील और अपने सब-इंस्पेक्टर को गिरफ़्तार किया

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को कथित तौर पर क्लीनचिट देने की प्राथमिक जांच की रिपोर्ट बीते दिनों लीक हो गई थी. जांच अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित कथित प्राथमिक जांच रिपोर्ट के लीक हुए दस्तावेज़ों के अनुसार, देशमुख के ख़िलाफ़ कोई संज्ञेय अपराध नहीं पाया गया.

अनिल देशमुख. (फोटो साभारः MahaDGIPR)

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को कथित तौर पर क्लीनचिट देने की प्राथमिक जांच की रिपोर्ट बीते दिनों लीक हो गई थी. जांच अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित कथित प्राथमिक जांच रिपोर्ट के लीक हुए दस्तावेज़ों के अनुसार, देशमुख के ख़िलाफ़ कोई संज्ञेय अपराध नहीं पाया गया.

अनिल देशमुख. (फोटो साभारः MahaDGIPR)

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा सीबीआई के सब इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी को भी गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई ने अनिल देशमुख के दामाद गौरव चतुर्वेदी से भी पूछताछ की है.

देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच तब शुरू हुई जब मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृहमंत्री मुंबई में बार और रेस्तरां से पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेने के लिए मजबूर कर रहे थे. आरोपों की जांच पर एक आधिकारिक रिपोर्ट के कथित लीक के संबंध में सीबीआई द्वारा की गई.

अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि वकील पर देशमुख के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश में हो रही प्रारंभिक जांच को बाधित करने का आरोप है. उन्होंने बताया कि डागा को मुंबई से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया है.

साथ ही बताया कि वकील को गिरफ्तार किए गए सीबीआई के सब-इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी के साथ यथोचित अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा. तिवारी को डागा से कथित तौर पर रिश्वत लेने के लिए बुधवार की रात हिरासत में लिया गया था.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने डागा और तिवारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने कहा, ‘सीबीआई ने रिश्वत देने समेत कुछ अन्य आरोपों को लेकर अपने सब-इंस्पेक्टर, नागपुर के एक वकील और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. जांच के दौरान सीबीआई ने सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया. वकील से पूछताछ की जा रही है. इलाहाबाद और दिल्ली में छापेमारी की गई.’

देशमुख को कथित तौर पर क्लीनचिट देने की प्राथमिक जांच की रिपोर्ट शनिवार (28 अगस्त) रात लीक हो गई, जिससे एजेंसी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी. सीबीआई ने इस रिपोर्ट के लीक होने की जांच शुरू की, जिसमें सामने आया कि प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष प्रभावित हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जांच अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक आरएस गुंजियाल द्वारा हस्ताक्षरित कथित प्राथमिक जांच (पीई) रिपोर्ट के लीक हुए दस्तावेजों के अनुसार, देशमुख के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं पाया गया.

हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत द्वारा ट्वीट किए गए और मीडिया के एक हिस्से द्वारा रिपोर्ट किए गए दस्तावेजों की प्रामाणिकता से सीबीआई ने इनकार नहीं किया है.

अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक सीबीआई अधिकारी ने कहा कि दस्तावेज अंतिम प्राथमिक जांच नहीं है, बल्कि जांच अधिकारी द्वारा सौंपी गई शुरुआती जांच रिपोर्ट है.

अधिकारी ने कहा, ‘जांच रिपोर्ट परामर्श के कई दौर से गुजरती है और कानूनी अधिकारियों की राय को भी ध्यान में रखती है. आखिरकार, वरिष्ठ अधिकारी निर्णय लेता है कि मामला दर्ज किया जाना है या नहीं.’

अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने रिपोर्ट के लीक होने की जांच शुरू की, जिसमें अब तक पता चला है कि देशमुख की टीम ने एजेंसी के एक सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को कथित तौर पर रिश्वत देकर उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच को प्रभावित करने की कोशिश की.

केंद्रीय एजेंसी ने बुधवार को देशमुख के दामाद गौरव चतुर्वेदी और वकील आनंद डागा से अपनी जांच को लेकर पूछताछ की, जिसके बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि सीबीआई को अब तक चतुर्वेदी की संलिप्तता का पता नहीं चला है और उन्हें जाने दिया गया.

एक अधिकारी ने बताया, ‘अनिल देशमुख की टीम का प्रयास बॉम्बे हाईकोर्ट की अवमानना है, जिसने निर्देश दिया था कि सभी संबंधित पक्षों को प्रारंभिक जांच करते समय सीबीआई का पूरा सहयोग करना चाहिए. इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि देशमुख की टीम ने प्राथमिक जांच को प्रभावित करने की कोशिश की.’

उन्होंने कहा कि उनका प्रयास सफल नहीं हो सका, क्योंकि सीबीआई में एक प्रक्रिया है जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने से पहले रिकॉर्ड पर साक्ष्य और कानूनी राय भी दर्ज की जाती है. उन्होंने कहा, ‘वे उच्च स्तर पर लोगों को प्रभावित नहीं कर सके.’

सीबीआई ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर एक प्रारंभिक जांच शुरू की थी. अदालत ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया था.

गौरतलब है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने देशमुख के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए थे और अदालत ने जांच एजेंसी को इन आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था. देशमुख ने इन आरोपों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र के गृह मंत्री के पद से अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था.

उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के बाहर एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले की जांच के दौरान सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे की भूमिका सामने आई थी. इसके बाद मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था. वझे को भी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के बाद सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख ने वझे को मुंबई के बार और रेस्तरां से एक महीने में 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूलने को कहा था.

सीबीआई एफआईआर के बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में देशमुख और उनके दो सहयोगियों पर मामला दर्ज किया था. दोनों सहयोगियों संजय पलांडे और कुंदन शिंदे को गिरफ्तार किया गया था और चार्जशीट भी दायर कर दी गई है.

गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तारी का आरोप लगाया

इस बीच, देशमुख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि एजेंसी ने गौरव चतुर्वेदी (देशमुख के दामाद) और वकील आनंद डागा को बिना कोई नोटिस जारी किए या उनके परिवारों को सूचित करने की अनुमति दिए बिना अवैध रूप से उठा लिया.

देशमुख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि चतुर्वेदी और डागा को जबरन सीबीआई कार्यालय ले जाया गया.

हालांकि, एक सीबीआई अधिकारी ने कहा कि इस मामले में देशमुख के वकील नागपुर स्थित डागा को पूछताछ के लिए ले जाया गया, क्योंकि उन्होंने प्राथमिक जांच में शामिल सब-इंस्पेक्टर को कथित तौर पर रिश्वत दी थी.

अधिकारी ने कहा, ‘यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि वकील ने प्राथमिक जांच के दौरान मामले में जांच अधिकारी से नीचे के स्तर पर काम करने वाले एक अधिकारी को रिश्वत दी थी. पूछताछ जारी है.

एनसीपी और कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा

एनसीपी और सत्तारूढ़ सहयोगी कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सीबीआई का कदम राजनीति से प्रेरित था

पत्रकारों से बात करते हुए एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा, ‘किसी नियम का पालन नहीं किया गया. हम नहीं जानते कि इस देश में राज्य के कानून का शासन है या शासकों का कानून है. सीबीआई को यह स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने किन नियमों के तहत ऐसा किया?’

कांग्रेस प्रवक्ता सावंत ने सीबीआई की कार्रवाई को गंभीर मुद्दा बताया. केंद्र पर निशाना साधते हुए सावंत ने ट्वीट किया, ‘देश भर में मोदीशाही’ चल रहा है और नियमों और कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है. मोदी सरकार ने दिखा दिया है कि वे जो कुछ भी करते हैं वह कानून बन जाता है. घटना की निंदा करते हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)