पैरालंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं अवनि लेखरा

निशानेबाज़ अवनि लेखरा के अलावा शुक्रवार को भारत के प्रवीण कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा का रजत पदक जीता, जिससे देश ने इन खेलों में 12 पदक अपने नाम कर लिए हैं. प्रवीण कुमार भारतीय दल के सबसे युवा पदक विजेता भी बन गए हैं. देश ने अभी तक दो स्वर्ण, छह रजत और चार कांस्य पदक जीते हैं.

19 साल की अवनि लेखरा इससे पहले 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग एसएच-1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. (फोटो साभार: ट्विटर)

निशानेबाज़ अवनि लेखरा के अलावा शुक्रवार को भारत के प्रवीण कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा का रजत पदक जीता, जिससे देश ने इन खेलों में 12 पदक अपने नाम कर लिए हैं. प्रवीण कुमार भारतीय दल के सबसे युवा पदक विजेता भी बन गए हैं. देश ने अभी तक दो स्वर्ण, छह रजत और चार कांस्य पदक जीते हैं.

19 साल की अवनि लेखरा इससे पहले 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग एसएच-1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. (फोटो साभार: ट्विटर)

टोक्यो/नई दिल्ली: निशानेबाज अवनि लेखरा ने शुक्रवार को टोक्यो पैरालंपिक खेलों की 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन एसएच-1 स्पर्धा का कांस्य पदक हासिल किया, जिससे वह दो पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं.

19 साल की लेखरा इससे पहले 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग एसएच-1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं.

अवनि के अलावा शुक्रवार को भारत के प्रवीण कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा का रजत पदक जीता, जिससे देश ने इन खेलों में 12 पदक अपने नाम कर लिए हैं.

प्रवीण कुमार भारतीय दल के सबसे युवा पदक विजेता भी बन गए हैं. कुमार (18 वर्ष) निशानेबाज अवनि लेखरा के बाद भारतीय दल के पदक जीतने वाले दूसरे युवा खिलाड़ी हैं. स्वर्ण पदक जीतने वाली लेखरा 19 साल की हैं.

लेखरा ने 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन एसएच-1 स्पर्धा में 1176 के स्कोर से दूसरे स्थान पर रहकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था.

फाइनल काफी चुनौतीपूर्ण रहा, जिसमें लेखरा ने कुल 445.9 अंक का स्कोर बनाया और वह यूक्रेन की इरिना श्चेटनिक से आगे रहकर पदक हासिल करने में सफल रहीं. वहीं यूक्रेन की निशानेबाज एलिमिनेशन में खराब शॉट से पदक से चूक गईं.

उन्होंने कहा, ‘यह मुश्किल फाइनल था, लेकिन मैं खुश हूं कि कांस्य पदक जीत सकी. मैं इससे भी बेहतर कर सकती थी. फाइनल का ऐसा ही असर होता है.’

अवनि ने अपने स्वर्ण पदक के जश्न का जिक्र करते हुए कहा, ‘ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिस पर मुझे काम करना है और मैं निश्चित रूप से अगली बार इससे भी बेहतर करूंगी. काफी ध्यान भटकाने वाली चीजें रहीं, लेकिन मैंने अपना शत प्रतिशत दिया.’

जयपुर की निशानेबाज के 2012 में हुई कार दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी, उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग एसएच-1 स्पर्धा में 249.6 के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी कर पैरालंपिक का नया रिकॉर्ड बनाया था.

उनसे पहले जोगिंदर सिंह सोढ़ी खेलों के एक ही चरण में कई पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे. उन्होंने 1984 पैरालंपिक में एक रजत और दो कांस्य पदक जीते थे. उनका रजत पदक गोला फेंक में, जबकि दो कांस्य पदक चक्का फेंक और भाला फेंक में मिले थे.

शुक्रवार की स्पर्धा का स्वर्ण पदक चीन की झांग कुईपिंग ने 457.9 अंक से खेलों के नए रिकॉर्ड के साथ हासिल किया, जबकि जर्मनी की नताशा हिल्ट्रोप ने 457.1 अंक से रजत पदक हासिल किया.

एचएच-1 राइफल स्पर्धा में खिलाड़ियों के पैरों में विकार होता है जिसमें उनका पैर काटना पड़ा हो या फिर नीचे के अंग में पक्षाघात हो गया. कुछ खिलाड़ी बैठकर जबकि कुछ खड़े होकर हिस्सा लेते हैं.

अवनि लेखरा अभी मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन एसएच-1 स्पर्धा में दीपक और सिद्धार्थ बाबू के साथ हिस्सा लेंगी.

अवनि ने 2015 में अपने पिता के जोर देने पर निशानेबाजी शुरू की थी. वकालत की पढ़ाई कर रही लेखरा ने संयुक्त अरब अमीरात में 2017 विश्व कप में भारत के लिये पदार्पण किया था.

पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री-पी स्पर्धा में दीपक फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहे. वह 1114 के स्कोर से 18वें स्थान पर रहे.

भारत का पैरालंपिक में प्रदर्शन

भारत ने दो स्वर्ण सहित अभी तक कुल 12 पदक जीत लिए हैं. यह पहली बार है जब पैरालंपिक में देश के खिलाड़ियों ने पदकों में दोहरे अंक को पार किया. देश ने अभी तक दो स्वर्ण, छह रजत और चार कांस्य पदक जीते हैं, जो शानदार प्रदर्शन है, क्योंकि इससे पहले भारत ने सभी खेलों में मिलाकर 12 पदक जीते थे.

ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में भारत को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी और पदकों की संख्या इसी के अनुरूप रही.

भारत के 11 में से आठ पदक एथलेटिक्स में ही आए हैं, जिसमें एक स्वर्ण भी शामिल है जो पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में सुमित अंतिल (एफ-64) ने जीता.

भारत ने एथलेटिक्स में इनके अलावा अब तक पांच रजत और एक कांस्य पदक जीते हैं.

बीते 31 अगस्त को भारतीय निशानेबाज सिंहराज अडाना ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में पी-1 पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच-1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था. 31 अगस्त को ही रियो पैरालंपिक के स्वर्ण पदक विजेता मरियप्पन थंगावेलु ने पुरुषों की ऊंची कूद टी-42 वर्ग में रजत और शरद कुमार ने कांस्य पदक जीता था.

बीते 30 अगस्त को भारत ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए थे. निशानेबाजी में अवनि लेखरा के बाद पहली बार पैरालंपिक खेल रहे सुमित अंतिल ने भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया था.

इसके अलावा बीते 30 अगस्त को ही स्टार पैरा एथलीट और दो बार के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया पैरालंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में अपना तीसरा पदक रजत पदक के रूप में जीता, जबकि चक्का फेंक के एथलीट योगेश कथूनिया ने भी दूसरा स्थान (रजत पदक) हासिल किया.

इतना ही नहीं सुंदर सिंह गुर्जर ने भी कांस्य पदक जीता. वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ-46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे. 29 अगस्त को टेबल टेनिस में भाविना पटेल और ऊंची कूद स्पर्धा में निषाद कुमार ने रजत पदक भारत के नाम किया था. भाविना के पदक के साथ भारत का टोक्यो पैरालंपिक में खाता खुला था.

प्रवीण कुमार ने टी-64 ऊंची कूद में रजत पदक जीता

भारत के प्रवीण कुमार ने शुक्रवार को यहां टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद टी-64 स्पर्धा का रजत पदक जीता. 18 वर्षीय कुमार ने पैरालंपिक में पदार्पण करते हुए 2.07 मीटर की कूद से एशियाई रिकॉर्ड के साथ दूसरा स्थान हासिल किया.

वह ब्रिटेन के जोनाथन ब्रूम एडवर्ड्स के पीछे रहे, जिन्होंने 2.10 मीटर की कूद से सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता.

यह कुमार का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है और 2019 में खेल में आने के बाद पहला बड़ा पदक भी है. नोएडा के निवासी कुमार यहां भारतीय दल के सबसे युवा पदक विजेता भी बन गए हैं.

कांस्य पदक रियो खेलों के चैम्पियन पोलैंड के मासिज लेपियाटो के हासिल किया, जिन्होंने 2.04 मीटर की कूद लगाई.

टी-64 क्लास में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं, जिनका पैर किसी वजह से काटना पड़ा हो और ये कृत्रिम पैर के साथ खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं.

कुमार टी-44 क्लास के विकार में आते हैं लेकिन वह टी-64 स्पर्धा में भी हिस्सा ले सकते हैं.

टी-44 उन खिलाड़ियों के लिए है, जिन्हें पैर में विकार हो, उनके पैर की लंबाई में अंतर हो, उनकी मांसपेशियों की क्षमता प्रभावित हो, जिससे उनके पैर के मूवमेंट पर असर होता है.

कुमार का विकार जन्मजात है और यह उनके कूल्हे को बाएं पैर से जोड़ने वाली हड्डियों को प्रभावित करता है.

इससे पहले कुमार ने अपने पदार्पण वर्ष में जूनियर पैरा विश्व चैम्पियनशिप 2019 में रजत पदक जीता था. वह इस समय टी-44 क्लास की विश्व रैंकिंग में तीसरे नंबर पर हैं.

पैरा खेलों के बारे में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय कोच सत्यपाल सिंह से प्रशिक्षण लिया. बचपन में वह सक्षम खिलाड़ियों की ऊंची कूद स्पर्धा में हिस्सा लेते थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण के बाद कांस्य पदक जीतने पर भारतीय निशानेबाज अवनि लेखरा और पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा में रजत पदक जीतने पर प्रवीण कुमार को बधाई दी है.

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘टोक्यो पैरालंपिक में भारत के लिए गौरव का एक और क्षण. अवनि लेखरा के शानदार प्रदर्शन से बेहद उत्साहित हूं. देश के लिए कांस्य पदक जीतने पर उन्हें बधाइयां. भविष्य के लिए उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं.’

प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘पैरालंपिक में रजत पदक जीतने पर प्रवीण कुमार पर गर्व है. यह पदक उनके कठिन परिश्रम और अद्वितीय समर्पण का परिणाम है. उन्हें बधाइयां. भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं.’

बाद में प्रधानमंत्री ने कुमार से फोन पर बात की और उन्हें बधाई दी.

अधिकारियों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने इस दौरान कुमार के कठिन परिश्रम के साथ ही उनके कोच और परिजनों से मिले समर्थन की सराहना की. अठारह वर्षीय कुमार ने बधाई और शुभकामनाओं के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया.

भारतीय पैरालंपिक पदक विजेताओं का लौटने पर भव्य स्वागत

स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक एथलीट सुमित अंतिल सहित चार भारतीय पैरा खिलाड़ी शुक्रवार को स्वदेश लौटे और उनका इतना जोरदार स्वागत हुआ कि उनके समर्थकों और मीडिया में यहां हवाईअड्डे पर उनकी एक झलक लेने के लिए धक्का-मुक्की भी हो गई.

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसमें खेल प्रेमियों और मीडियाकर्मियों ने इन चार पैरा खिलाड़ियों विशेषकर सुमित को देखने और बात करने के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल की अवहेलना की.

सुमित के अलावा तीन बार के पैरालंपिक पदक विजेता भाला फेंक एथलीट देवेंद्र झाझरिया, चक्का फेंक एथलीट योगेश कथूनिया और ऊंची कूद एथलीट शरद कुमार का भी गर्मजोशी से स्वागत किया गया.

भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने ट्वीट में लिखा, ‘हमारे चैम्पियन स्वदेश लौट आए हैं और पहुंचने पर बहुत खुश हैं. सुमित, झाझरिया, कथूनिया और शरद के लिए शुभकामनाओं की बारिश हो रही है.’

साइ अधिकारियों ने चारों खिलाड़ियों का पहुंचने पर फूल माला पहनाकर और फूलों का गुलदस्ता भेंटकर स्वागत किया.

खिलाड़ियों ने अपने पदकों के साथ हवाईअड्डे के अंदर फोटो भी खिंचवाई और उनके प्रशंसक तिरंगा लहरा रहे थे, जिनमें से कुछ ढोल भी बजा रहे थे.

हालांकि इनमें से ज्यादातर मास्क के बिना थे और वे इन चारों को फूल माला पहनाने के लिए एक दूसरे से धक्का-मुक्की कर रहे थे. वहीं हवाईअड्डे से बाहर निकलते ही मीडियाकर्मी भी उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए जूझ रहे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)