धनबाद जज की मौत के पांच सप्ताह बाद भी संदिग्धों की पहचान नहीं होना निराशाजनक: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत मामले की सीबीआई की धीमी जांच पर असंतोष जताया है. धनबाद के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह सैर पर निकले थे, जब एक ऑटो रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी.

जज उत्तम आनंद.

झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत मामले की सीबीआई की धीमी जांच पर असंतोष जताया है. धनबाद के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह सैर पर निकले थे, जब एक ऑटो रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी.

जज उत्तम आनंद.

रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की 28 जुलाई को हुई संदिग्ध मौत मामले की सीबीआई की धीमी जांच पर असंतोष जताया है.

अदालत ने कहा कि घटना के पांच सप्ताह बाद भी तीन संदिग्धों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, जबकि सीसीटीवी फुटेज में वे स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं, यह निराशाजनक है.

मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि ऑटो रिक्शा चालक ने जानबूझकर जज को टक्कर मारी थी.’

पीठ ने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि ऑटो रिक्शा चालक ने जान-बूझकर जज को टक्कर मारी है. ऐसा नहीं था कि ऑटो रिक्शा चालक नशे की हालत में था.

पीठ ने सीबीआई से पूछा कि क्या उन्होंने उस बाइक सवार शख्स से पूछताछ की है, जिसने घटना के दौरान जज के पास से गुजरते हुए रुककर उन्हें देखा था और फिर वहां से चला गया था.

इस पर सीबीआई के जांचकर्ता अधिकारी ने कहा कि उस बाइक सवार शख्स से पूछताछ की गई थी और पूछताछ के बाद उसे रिहा कर दिया गया था.

अधिकारी ने बताया कि बाइक सवार शख्स ने बताया कि वह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहा है और खून देखकर बेचैन हो जाता है.

इस पर अदालत ने सीबीआई से पूछा कि क्या उन्होंने शख्स के मेडिकल दस्तावेजों की जांच की है.

पीठ ने सीबीआई से बाइक सवार शख्स की जांच करने का निर्देश देते हुए कहा कि यह जरूरी है, क्योंकि वह कोयले की खदान में काम करता है.

मालूम हो कि झारखंड के जज की मौत से अचंभित सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने जजों को सुरक्षा मुहैया कराने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि सीबीआई न्यायपालिका की बिल्कुल भी मदद नहीं कर रही है.

सीजेआई ने जज आनंद की मौत मामले का उल्लेख करते हुए कहा था, ‘एक युवा जज की मौत के दुर्भाग्यपूर्ण मामले को देखिए. यह राज्य की नाकामी है. यह इलाका कोयला माफियाओं का है और जजों के आवासों को सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए थी.’

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट दोनों ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था.

बता दें कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद बीते 28 जुलाई की सुबह धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर चहलकदमी कर रहे थे, तभी एक ऑटो रिक्शा उनकी ओर मुड़ा, उन्हें पीछे से टक्कर मारी और मौके से भाग गया.

कुछ स्थानीय लोगों ने खून से लथपथ जज आनंद को पास के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था.

पहले इस घटना को हिट एंड रन केस माना जा रहा था, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पता चला कि ऑटो रिक्शा चालक ने कथित तौर पर जान-बूझकर जज को टक्कर मारी थी.

अदालत ने सीबीआई को अगले हफ्ते मामले की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.

सीबीआई ने चार अगस्त को यह मामला अपने हाथ में लिया था. उसके पांच दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच की प्रगति को लेकर साप्ताहिक रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया था.

सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने रांची में फॉरेंसिक साइंसेज लेबोरेटरी (एफएसएल) में नियुक्तियां नहीं होने पर असंतोष जाहिर किया था.

पीठ ने कहा कि झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को एफएसएल में नियुक्तियां सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए. पीठ ने कहा, एफएसएल में नियुक्तियों की कमी की वजह से कामकाज बाधित हुआ है.

अदालत ने कहा कि 2011 में पदों का सृजन किया गया था, लेकिन लगभग एक दशक बाद भी ये पद खाली पड़े हैं. वहीं, जेपीएससी के वकील ने अदालत को बताया कि एफएसएल में नियुक्तियों के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)