देश में समाचार चैनलों का एक वर्ग हर चीज़ को सांप्रदायिकता के पहलू से दिखाता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेब पोर्टल किसी भी चीज़ से नियंत्रण नहीं होते हैं. ख़बरों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है और यह एक समस्या है. अंतत: इससे देश का नाम बदनाम होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम और कोविड-19 के प्रसार पर इसके प्रभाव को लेकर फ़र्ज़ी और सांप्रदायिक खबरें प्रसारित करने के ख़िलाफ़ दाख़िल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.

/
(फोटो: रॉयटर्स)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेब पोर्टल किसी भी चीज़ से नियंत्रण नहीं होते हैं. ख़बरों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है और यह एक समस्या है. अंतत: इससे देश का नाम बदनाम होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम और कोविड-19 के प्रसार पर इसके प्रभाव को लेकर फ़र्ज़ी और सांप्रदायिक खबरें प्रसारित करने के ख़िलाफ़ दाख़िल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया मंचों और वेब पोर्टल्स पर फर्जी खबरों पर बृहस्पतिवार को गंभीर चिंता जताई और कहा कि मीडिया के एक वर्ग में दिखाई जाने वाली खबरों में सांप्रदायिकता का रंग होने से देश की छवि खराब हो रही है.

देश की राजधानी दिल्ली में पिछले साल मार्च महीने में तबलीगी जमात के कार्यक्रम और कोविड-19 के प्रसार पर इसके प्रभाव को लेकर फर्जी और सांप्रदायिक खबरें प्रसारित करने के खिलाफ दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते दो सितंबर को इस तथ्य पर गंभीर चिंता व्यक्त की कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और डिजिटल पोर्टल्स के माध्यम से जरा-सी पड़ताल के साथ झूठी खबर फैलाई जाती है.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात की धार्मिक सभा से संबंधित ‘फर्जी खबरें’ फैलाने से रोकने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है.

जमीयत ने इस धार्मिक सभा से संबंधित ‘फर्जी खबरों’ को फैलाने से रोकने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की है.

जमीयत ने आरोप लगाया कि तबलीगी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल पूरे मुस्लिम समुदाय को ‘बुरा दिखाने’ तथा कसूरवार ठहराने के लिए किया जा रहा है तथा उसने मीडिया को ऐसी खबरें प्रकाशित/प्रसारित करने से रोकने का भी अनुरोध किया.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया के दिग्गज तो न्यायाधीशों को भी जवाब नहीं देते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया केवल ‘शक्तिशाली आवाजों’ को सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं.

पीठ ने कहा, ‘ट्विटर, फेसबुक या यूट्यूब… वे हमें कभी जवाब नहीं देते हैं और उनकी कोई जवाबदेही नहीं है. संस्थानों के बारे में उन्होंने खराब लिखा है. वे इसका जवाब नहीं देते और कहते हैं कि यह उनका अधिकार है. उन्हें केवल शक्तिशाली लोगों की परवाह करते हैं और न्यायाधीशों, संस्थानों या आम आदमी की नहीं, हमने यही देखा है. हमारा यही अनुभव है.’

निजामुद्दीन पश्चिम स्थित मरकज में 13 मार्च से 15 मार्च तक कई सभाएं हुई थीं, जिनमें सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दुबई, उज्बेकिस्तान और मलेशिया समेत अनेक देशों के मुस्लिम धर्म प्रचारकों ने भाग लिया था.

देशभर के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में भारतीयों ने भी इसमें हिस्सा लिया था, जिनमें से कई कोरोना संक्रमित पाए गए थे. इसे लेकर मुस्लिम समुदाय पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाया गया था.

तबलीगी जमात के कार्यक्रम शामिल लोगों को समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर एक दुष्प्रचार का सामना करना पड़ा, जहां उन्हें मरकज से पूरे भारत में अपने घरों में वापस लौटने के बाद ‘सुपर स्प्रेडर्स’ के रूप में प्रचारित किया गया.

इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता आईपीसी, महामारी रोग अधिनियम, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया गया था. उनकी निंदा की सांप्रदायिक प्रकृति स्पष्ट थी, कुछ टीवी चैनलों ने ‘कोरोना जिहाद’ जैसी हेडिंग के साथ संबंधित समाचारों कवरेज का कवरेज किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि समाचार चैनलों का एक वर्ग सभी समाचारों को सांप्रदायिक लहजे के साथ दिख रहा था.

पीठ ने कहा, ‘समस्या यह है कि इस देश में समाचार चैनलों के एक वर्ग द्वारा हर चीज सांप्रदायिकता के पहलू से दिखाई जाती है. आखिरकार इससे देश की छवि खराब हो रही है. क्या आपने (केंद्र) इन निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है.’

पीठ ने इस संबंध में यूट्यूब चैनलों द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

पीठ ने कहा, ‘अगर आप यूट्यूब पर जाते हैं तो एक मिनट में इतना कुछ दिखाया जाता है. आप देख सकते हैं कि वहां कितनी फर्जी खबरें हैं और कोई भी इसे शुरू कर सकता है. वेब पोर्टल किसी भी चीज से नियंत्रण नहीं होते हैं. खबरों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है और यह एक समस्या है.अंततः इससे देश का नाम बदनाम होता है.’

सुप्रीम कोर्ट सोशल मीडिया तथा वेब पोर्टल्स समेत ऑनलाइन सामग्री के नियमन के लिए हाल में लागू सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों की वैधता के खिलाफ विभिन्न उच्च न्यायालयों से लंबित याचिकाओं को सर्वोच्च अदालत में स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर छह हफ्ते बाद सुनवाई करने के लिए भी राजी हो गया.

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा ने सुप्रीम कोर्ट की इन चिंताओं का जवाब दिया कि नए सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2021, जिसके खिलाफ उच्च न्यायालयों में कई याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है, के तहत इन मुद्दों का ध्यान रखा गया है.

उन्होंने कहा कि न केवल सांप्रदायिक, बल्कि मनगढ़ंत खबरें भी इसी तरह से फैलाई जाती हैं.

शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया और वेब पोर्टल सहित ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने के लिए नए अधिनियमित आईटी नियमों के मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों से खुद को याचिकाओं को स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर छह सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की.

इसके अलावा न्यायालय ने जमीयत को अपनी याचिका में संशोधन की अनुमति दी और उसे सॉलिसिटर जनरल के जरिये चार हफ्तों में केंद्र को देने को कहा, जो उसके बाद दो सप्ताह में जवाब दे सकते हैं.

सुनवाई शुरू होने पर मेहता ने याचिकाओं पर सुनवाई से दो हफ्तों का स्थगन मांगा. पिछले कुछ आदेशों का जिक्र करते हुए पीठ ने केंद्र से पूछा कि क्या उसने सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों के लिए कोई नियामक आयोग गठित किया हे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq