म्यांमार के सैन्य शासन के विरोध में गठित नेशनल यूनिटी गवर्मेंट के कार्यकारी अध्यक्ष दुवा लाशी ला ने एक ही समय में पूरे देश के हर गांव, क़स्बे और शहर में विद्रोह का आह्वान किया. म्यांमार सेना ने एक फरवरी को आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार का तख़्तापलट कर दिया था, जिसके बाद लोकतंत्र के समर्थक व्यापक प्रदर्शन कर रहे हैं.
बैंकॉक: म्यांमार में सैन्य शासन जुंटा के खिलाफ प्रतिरोध का समन्वय करने वाली छद्म (शैडो) सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रव्यापी विद्रोह का आह्वान किया.
म्यांमार के सैन्य शासन के विरोध में गठित नेशनल यूनिटी गवर्मेंट (एनयूटी) के कार्यकारी अध्यक्ष दुवा लाशी ला ने अपने संबोधन में आपातकाल का आह्वान किया.
इस शैडो सरकार ने एक ही समय में पूरे देश के हर गांव, कस्बे और शहर में विद्रोह का आह्वान किया. इस शैडो सरकार में निर्वासित और सेना से छिपकर रह रहे लोग शामिल हैं.
म्यांमार सेना ने एक फरवरी को आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार का तख्तापलट कर दिया था, जिसके बाद लोकतंत्र समर्थित समर्थक व्यापक प्रदर्शन कर रहे हैं.
सैन्य शासन के कुछ विरोधियों ने पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज के बैनर के तहत सशस्त्र समूहों का गठन किया और उन जातीय मिलिशिया के साथ गठबंधन किया, जिन्हें म्यांमार की सेना लंबे समय से अपना दुश्मन मान रही हैं.
दुवा लाशी ला ने रक्षात्मक युद्ध शुरू करने का ऐलान करते हुए मिन आंग हलांग की अगुवाई में सैन्य आतंकियों के खिलाफ देश के हर कोने में विद्रोह का आह्वान किया.
म्यांमार के सैन्य शासक मिन आंग हलांग ने नवगठित केयरटेकर सरकार में पिछले महीने प्रधानमंत्री पद संभाला था और 2023 में चुनाव कराने की प्रतिबद्धता जताई थी.
दुवा लाशी ला ने अपने 14 सूत्रीय संबोधन में कहा कि सेना नियुक्त प्रशासकों को तुरंत अपने पद छोड़ देने चाहिए.
इस संबोधन में उन्होंने सुरक्षाबलों के सदस्यों से उनके साथ जुड़ने का आग्रह किया और सीमावर्ती इलाकों में जातीय बलों से सेना पर हमला करने का आह्वान किया.
सत्तारूढ़ सेना के एक प्रवक्ता ने नये सिरे से विरोध प्रदर्शन के आह्वान को अधिक तवज्जो नहीं दिया.
मेजर जनरल जॉ मिन टुन ने सरकारी टेलीविजन एमआरटीवी द्वारा टेलीग्राम ऐप पर पोस्ट किए गए एक बयान में विपक्ष की ताकत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए निर्वासित मीडिया को दोषी ठहराया.
बता दें कि जब से सेना ने आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल किया गया है, तब से म्यांमार में अशांति है. सुरक्षाबलों द्वारा बल प्रयोग के बाद कई शहरी क्षेत्रों में सत्ताधारी जनरलों के खिलाफ शुरू में शांतिपूर्ण रहे प्रदर्शन अब विद्रोह में तब्दील हो गए हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक गंभीर संघर्ष हुआ है, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां जातीय अल्पसंख्यक मिलिशिया सरकारी सैनिकों के साथ भारी संघर्ष में संलग्न हैं.
इस शैडो सरकार में प्रधानमंत्री माहन विन्न खैंग थान ने ऑनलाइन पोस्ट एक अलग बयान में कहा कि नया कदम बदलती परिस्थितियों के कारण लिया गया है जिसके लिए सत्तारूढ़ सैन्य सरकार के पूर्ण उन्मूलन की आवश्यकता थी.
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) हिंसा समाप्त करने और म्यांमार में सैन्य शासकों और उनके विरोधियों के बीच वार्ता के प्रयास कर रहा है.
म्यांमार में आसियान के राजदूत एरविन यूसोफ ने क्योदा समाचार एजेंसी के साथ साक्षात्कार में बताया कि सेना ने मानवीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए इस साल के अंत तक संघर्षविराम के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
लोकतंत्र समर्थित कार्यकर्ता और एनयूजी के एक अन्य सदस्य ने बताया कि इस तरह के समझौते को लेकर जुंटा पर विश्वास नहीं किया जा सकता.
मालूम हो कि सेना के सत्ता पर काबिज होने के बाद सात महीनों के संघर्ष में करीब 1,000 नागरिक मारे गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)