केरलः पार्टी सदस्यों पर यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद आईयूएमएल ने छात्र महिला मोर्चा भंग किया

बीते जून में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के छात्र संगठन एमएसएफ की महिला इकाई हरिथा की तीन नेताओं ने उनके तीन पुरुष सहकर्मियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था. पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर हरिथा ने राज्य महिला आयोग का रुख़ किया, जिसके बाद पार्टी ने शिकायत वापस न लेने पर 'अनुशासनहीनता' का आरोप लगाते हुए हरिथा की राज्य समिति को भंग कर दिया.

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इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (फोटो साभारः फेसबुक)

बीते जून में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के छात्र संगठन एमएसएफ की महिला इकाई हरिथा की तीन नेताओं ने उनके तीन पुरुष सहकर्मियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था. पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर हरिथा ने राज्य महिला आयोग का रुख़ किया, जिसके बाद पार्टी ने शिकायत वापस न लेने पर ‘अनुशासनहीनता’ का आरोप लगाते हुए हरिथा की राज्य समिति को भंग कर दिया.

(फोटो साभारः फेसबुक)

मलप्पुरमः इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने पार्टी के छात्र संगठन मुस्लिम छात्र संघ (एमएसएफ) की महिला शाखा ‘हरिथा’ की राज्य समिति को अनुशासनहीनता के आरोप में बुधवार को भंग कर दिया.

दरअसल, एमएसएफ की महिला शाखा की कुछ सदस्यों ने पार्टी के पुरुष सदस्यों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसके बाद महिला सदस्यों ने केरल महिला आयोग में शिकायत भी दर्ज कराई है.

इस शिकायत को वापस नहीं लिए जाने के कारण आईयूएमएल ने ‘हरिथा’ की राज्य समिति को भंग करने का फैसला लिया है.

हरिथा-एमएसएफ की राज्य समिति की 10 सदस्यों ने कुछ महीने पहले राज्य समिति की बैठक के दौरान कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए एमएसएफ के कुछ पुरुष सदस्यों के खिलाफ राज्य महिला आयोग में याचिका दायर की थी.

इस मामले को लेकर आईयूएमएल के शीर्ष नेताओं द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर हरिथा ने महिला आयोग का रुख किया है.

पार्टी की उच्चस्तरीय समिति की बैठक के बाद इस फैसले की घोषणा करते हुए बुधवार को आईयूएमएल के राज्य महासचिव पीएमए सलाम ने कहा, ‘पार्टी ने हरिथा की राज्य समिति को भंग कर दिया है. यह अनुशासनहीनता का गंभीर मामला है. एक ऐसी समिति, जो पार्टी लाइन का पालन नहीं करती, उसे संचालन की मंजूरी नहीं दी जा सकती. आईयूएमएल के द्वारा हरिथा की एक नई समिति का जल्द गठन किया जाएगा.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एमएसएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और हरिथा की नेता फातिमा ताहिलिया ने कहा, ‘पार्टी का फैसला हमें स्वीकार्य नहीं है. मैं अपना रुख स्पष्ट करने के लिए एमएसएफ और हरिथा में हमारे सहयोगियों के संपर्क में हूं. हम आने वाले दिनों में अपना रुख सार्वजनिक करेंगे. हम इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकते.’

दरअसल जून महीने में हरिथा की तीन नेताओं ने एमएसएफ की बैठक के दौरान आरोप लगाया था कि उनके तीन पुरुष सहकर्मियों एमएसएफ की राज्य इकाई के अध्यक्ष पीके नवास, मलप्पुरम जिला अध्यक्ष एम. कबीर और जिला महासचिव वीए वहाब ने कथित तौर पर उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है.

इन आरोपों से क्षुब्ध आईयूएमएल ने अनुशासनहीनता का हवाला देकर हरिथा की राज्य समिति को भंग कर दिया. पार्टी के इस कदम से हरिथा सदस्यों और एमएसएफ की कई कैंपस इकाइयों के सदस्यों ने इसका व्यापक विरोध किया है.

हरिथा की शिकायत राज्य की महिला आयोग के समक्ष लंबित है. इस बीच पिछले महीने आईयूएमएल ने इस विवाद को सुलझाने के प्रयास में फैसला किया कि एमएसएफ के जिन नेताओं ने कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, वे सोशल मीडिया पर खेद जताएंगे और इसके साथ ही हरिथा की राज्य समिति को बहाल किया जाएगा.

आईयूएमएल द्वारा समझौते के ऐलान के तुरंत बाद एमएसएफ के आरोपी नेताओं में से एक ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘मैंने पार्टी नेताओं को बता दिया है कि मैं इस मामले पर किसी भी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हूं. एमएसएफ की बैठक में मैंने कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की. अगर किसी ने मेरी बात को गलत संदर्भ में लिया है या बैठक में मेरी बातों से किसी को कोई पीड़ा हुई है तो मुझे इसका खेद है.’

हालांकि, हरिथा की महिला नेता आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांग पर अड़ी रही, जिसके बाद आईयूएमएल ने राज्य समिति को भंग कर उन्हें दंडित करने का फैसला किया.

केरल महिला आयोग की सदस्य शाहिदा कमला ने कहा कि हरिथा नेताओं की शिकायत सात सितंबर को मलप्पुरम में समिति के समक्ष आई.

उन्होंने कहा, ‘वे (एमएसएफ नेता)  कोविड-19 का हवाला देते हुए समिति के समक्ष पेश नहीं हुए और अगले हफ्ते कोझिकोड में आयोग की बैठक की सुनवाई भी स्थगित करना चाहते हैं. निपाह के डर की वजह से हमें नहीं पता कि क्या अगली बैठक कोझिकोड में संभव होगी. यह शिकायत हरिथा की तीन नेताओं ने दर्ज कराई है लेकिन उन्होंने कहा कि लगभग दस लोग आयोग के समक्ष गवाही देना चाहते हैं. हम कहीं भी उनकी सुनवाई करने को तैयार है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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