दिल्ली: न्यूज़क्लिक व न्यूज़लॉन्ड्री के दफ़्तरों में ‘सर्वे’ के लिए पहुंचा आयकर विभाग

प्रवर्तन निदेशालय मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद अब आयकर विभाग ने न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ जांच शुरू की है.

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प्रवर्तन निदेशालय मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद अब आयकर विभाग ने न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ जांच शुरू की है.

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने शुक्रवार सुबह दिल्ली के दो ऑनलाइन मीडिया पोर्टल्स- न्यूजक्लिक और न्यूजलॉन्ड्री के यहां ‘सर्वे’ किया.

वैसे तो दोनो संस्थानों के कर्मचारियों ने द वायर  से पुष्टि किया है उनके ऑफिस में कई अधिकारी मौजूद थे, हालांकि अभी पूरी तरह से स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है.

एनडीटीवी को आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ये ‘सर्वे’ था, न कि ‘छापेमारी.’ ‘सर्वे’ के दौरान अधिकारी संस्थान के वित्तीय रिकॉर्ड्स खंगालते हैं लेकिन कोई चीज जब्त नहीं करते हैं.

सूत्रों ने द वायर  को बताया कि न्यूजक्लिक में दफ्तर में मौजूद सभी कर्मचारियों के फोन को बंद कर दिया था, ऐसे में घर से काम करने वाले लोग उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे थे. न्यूजक्लिक के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने भी इस बात की पुष्टि की.

द वायर  ने न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और वरिष्ठ संपादक प्रांजल से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनके फोन बंद थे.

ऑफिस में मौजूद रहे न्यूजलॉन्ड्री के एक कर्मचारी के अनुसार, ‘अभी तक न्यूज़लॉन्ड्री के केवल एक कार्यालय में छापेमारी की गई है.’ उस व्यक्ति ने द वायर  को बताया कि संस्थान के ‘वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच की जा रही है.’

न्यूज़लॉन्ड्री के एक सूत्र के अनुसार, ‘आज सुबह 11:40 बजे जब आयकर अधिकारी आए, तो सर्वोदय एन्क्लेव के कार्यालय में लगभग 20 लोग थे. सभी के फोन जब्त कर लिए गए, स्विच ऑफ कर एक साथ टेबल पर रख दिया गया.’

सूत्र ने बताया कि दोपहर करीब तीन बजे कुछ कर्मचारियों को ऑफिस से बाहर जाने की अनुमति दी गई थी.

इससे पहले साल 2014 में भी आयकर विभाग द्वारा न्यूजलॉन्ड्री पर छापा मारा गया था.

द वायर  ने आयकर विभाग से भी पूछा है कि न्यूजलॉन्ड्री के ऑफिस में जाने का उद्देश्य क्या था. उनका जवाब आने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.

बता दें कि इस साल फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न्यूजक्लिक कार्यालय के साथ-साथ संगठन से जुड़े कई अधिकारियों और पत्रकारों के आवासों पर छापेमारी की थी.

ईडी ने कहा था कि छापे कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े थे और एजेंसी विदेश में संदिग्ध कंपनियों से संगठन को प्राप्त धन की जांच कर रही थी.

कई मीडिया समूहों ने ईडी की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा था कि यह आलोचनात्मक पत्रकारिता को चुप कराने और आधिकारिक लाइन नहीं मानने वालों को डराने-धमकाने का प्रयास था.

पोर्टल और इसके संपादकों ने तब दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और ईडी मामले में अंतरिम राहत मिली थी, जो अभी भी जारी है.

न्यूजक्लिक के एक सूत्र ने द वायर  को बताया, ‘ईडी मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद हम पर एक आयकर का मामला दर्ज किया गया था. करीब दो महीने पहले विभाग की एक टीम संपादकों प्रबीर पुरकायस्थ और प्रांजल के बयान दर्ज करने के लिए हमारे कार्यालय आई थी.’

न्यूजक्लिक और न्यूजलॉन्ड्री दोनों ने व्यापक रूप से कोविड-19 महामारी, किसानों के विरोध प्रदर्शन और अन्य ऐसे मुद्दों को कवर किया है, जिसने केंद्र सरकार की कथित विफलताओं को उजागर किया है.

इस साल जुलाई में आयकर विभाग ने दैनिक भास्कर ग्रुप और भारत समाचार चैनल से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की थी. मीडिया समूह ने उस समय कहा था कि यह डराने-धमकाने की रणनीति है, क्योंकि इन मीडिया घरानों ने कोविड-19 के दूसरी लहर की काफी आलोचनात्मक और गहन रिपोर्टिंग की थी.