आयकर विभाग ने बीते 10 सितंबर को दिल्ली के दो ऑनलाइन मीडिया पोर्टल्स- न्यूज़क्लिक और न्यूज़लॉन्ड्री के परिसरों का दौरा किया और दोनों के बही-खातों की जांच की थी. अधिकारियों ने बताया था कि ये ‘सर्वे’ था, न कि ‘छापेमारी.’ ‘सर्वे’ के दौरान अधिकारी संस्थान के वित्तीय रिकॉर्ड्स खंगालते हैं, लेकिन कोई चीज ज़ब्ज नहीं करते हैं.
नयी दिल्लीः दो समाचार वेबसाइट के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई पर चिंता व्यक्त करते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने शनिवार को कहा कि सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने और डराने की खतरनाक प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए, क्योंकि यह संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करता है.
आयकर विभाग की टीम ने बीते 10 सितंबर को ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ और ‘न्यूजलॉन्ड्री’ के परिसरों का दौरा किया और दोनों न्यूज पोर्टल के बही-खातों की जांच की थी.
एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि वह दोनों समाचार वेबसाइट के कार्यालयों में बही-खातों के अवलोकन के लिए आयकर विभाग की कार्रवाई से बहुत परेशान हैं.
The Editors Guild of India is deeply disturbed about the Income Tax “surveys” at the offices of news websites https://t.co/GYNJdhmMds and https://t.co/M5fmtEXgqK. pic.twitter.com/xp9WmuTNz6
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) September 11, 2021
एडिटर्स गिल्ड ने बयान में कहा, ‘गिल्ड इस तरह की कार्रवाई से बहुत चिंतित है. इसमें पत्रकारों की संवेदनशील जानकारी जैसे स्रोतों का विवरण, खबरों से जुड़ी जानकारी और अन्य विवरण हो सकते हैं. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन है.’
गिल्ड ने कहा कि हालांकि इस कार्रवाई को आधिकारिक तौर पर आयकर अधिकारियों द्वारा बही-खातों के अवलोकन के रूप में वर्णित किया गया.
आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये ‘सर्वे’ था, न कि ‘छापेमारी.’ ‘सर्वे’ के दौरान अधिकारी संस्थान के वित्तीय रिकॉर्ड्स खंगालते हैं, लेकिन कोई चीज जब्त नहीं करते हैं.
हालांकि, न्यूजलॉन्ड्री के सह-संस्थापक अभिनंदन सेखरी द्वारा जारी बयान के अनुसार यह उनके अधिकारों पर हमला था और इसलिए यह प्रेस स्वतंत्रता पर हमला है.
उन्होंने कहा कि सर्वे में अधिकारी संगठनों के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच कर सकते हैं, लेकिन किसी सामान को जब्त नहीं कर सकते.
अभिनंदन सेखरी ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि आयकर विभाग के अधिकारियों ने उनके निजी मोबाइल फोन, लैपटॉप और ऑफिस की कुछ मशीनों से डेटा डाउनलोड किया.
गिल्ड ने कहा, ‘पता चला है कि आयकर विभाग की टीम ने सेखरी के मोबाइल और लैपटॉप के साथ-साथ कार्यालय की कुछ अन्य मशीनों के क्लोन बनाए और उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई.’
बयान में कहा गया, ‘यह स्पष्ट रूप से आयकर कानून की धारा 133ए के तहत परिभाषित सेवा के आदेश से परे है, जो केवल जांच से संबंधित डेटा की प्रतिलिपि बनाने की अनुमति देता है. निश्चित रूप से पत्रकारों के व्यक्तिगत और पेशेवर विवरण लेने की इजाजत नहीं है. यह सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 में निर्धारित प्रक्रियाओं का भी उल्लंघन है.’
एडिटर्स गिल्ड ने कहा, ‘न्यूजक्लिक और न्यूजलॉन्ड्री दोनों ही केंद्र सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली के आलोचक रहे हैं.’
बयान में कहा गया, ‘सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने और डराने-धमकाने का खतरनाक चलन बंद होना चाहिए, क्योंकि यह हमारे संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करता है.’
एडिटर्स गिल्ड ने कहा, ‘गिल्ड की मांग है कि ऐसी सभी जांचों में बहुत सावधानी और संवेदनशीलता दिखाई जाए, ताकि पत्रकारों और मीडिया संगठनों के अधिकार कमजोर न हों. इसके अलावा यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस तरह की जांच निर्धारित नियमों के भीतर हो और यह स्वतंत्र मीडिया को डराने के लिए उत्पीड़न के साधन में परिवर्तित नहीं होने चाहिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)